Motivational Story in Hindi: विद्या का घमंड, सीखें जीवन का सबसे सबक

Motivational Story : आज गंगा पार होने के लिए कई लोग एक नौका में बैठे, धीरे-धीरे नौका सवारियों के साथ सामने वाले किनारे की ओर बढ़ रही थी,मनमोहन भी उसमें सवार थे। मनमोहन जी ने नाविक से पूछा “क्या तुमने भूगोल पढ़ी है ?”

Update:2023-06-12 15:11 IST
Motivational Story in Hindi (social media)

Best Motivational Story in Hindi: आज गंगा पार होने के लिए कई लोग एक नौका में बैठे, धीरे-धीरे नौका सवारियों के साथ सामने वाले किनारे की ओर बढ़ रही थी,मनमोहन भी उसमें सवार थे। मनमोहन जी ने नाविक से पूछा “क्या तुमने भूगोल पढ़ी है ?”

भोला- भाला नाविक बोला “भूगोल क्या है इसका मुझे कुछ पता नहीं।”

मनमोहनजी ने शिक्षा का प्रदर्शन करते कहा, “तुम्हारी पाव भर जिंदगी पानी में गई।”

फिर मनमोहन जी ने दूसरा प्रश्न किया, “क्या इतिहास जानते हो? महारानी लक्ष्मीबाई कब और कहाँ हुई तथा उन्होंने कैसे लडाई की ?”

नाविक ने अपनी अनभिज्ञता जाहिर की तो मनमोहन जी ने विजयीमुद्रा में कहा “ ये भी नहीं जानते तुम्हारी तो आधी जिंदगी पानी में गई।”

फिर विद्या के मद में मनमोहन जी ने तीसरा प्रश्न पूछा “महाभारत का भीष्म-नाविक संवाद या रामायण का केवट और भगवान श्रीराम का संवाद जानते हो ?”

अनपढ़ नाविक क्या कहे, उसने इशारे में ना कहा, तब मनमोहन जी मुस्कुराते हुए बोले “तुम्हारी तो पौनी जिंदगी पानी में गई।”


तभी अचानक गंगा में प्रवाह तीव्र होने लगा। नाविक ने सभी को तूफान की चेतावनी दी, और मनमोहनजी से पूछा “नौका तो तूफान में डूब सकती है, क्या आपको तैरना आता है?”

मनमोहन जी घबराहट में बोले “मुझे तो तैरना-वैरना नहीं आता है ?”

नाविक ने स्थिति भांपते हुए कहा ,“तब तो समझो आपकी पूरी जिंदगी पानी में गयी।

कुछ ही देर में नौका पलट गई। और मनमोहन जी बह गए।

शिक्षा-

मित्रों ,विद्या वाद-विवाद के लिए नहीं है और ना ही दूसरों को नीचा दिखाने के लिए है। लेकिन कभी-कभी ज्ञान के अभिमान में कुछ लोग इस बात को भूल जाते हैं और दूसरों का अपमान कर बैठते हैं। याद रखिये शास्त्रों का ज्ञान समस्याओं के समाधान में प्रयोग होना चाहिए शस्त्र बना कर हिंसा करने के लिए नहीं।

कहा भी गया है,जो पेड़ फलों से लदा होता है उसकी डालियाँ झुक जाती हैं।धन प्राप्ति होने पर सज्जनों में शालीनता आ जाती है। इसी तरह,विद्या जब विनयी के पास आती है तो वह शोभित हो जाती है। इसीलिए संस्कृत में कहा गया है , ‘विद्या विनयेन शोभते।

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