Pahli Mahila Cabinet Mantri: वो राजकुमारी जो रहीं स्वतंत्र भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री, जिनके प्रयास से शुरू हुआ एम्स

Bharat Ki Pahli Mahila Cabinet Mantri Rajkumari Amrit Kaur: कपूरथला के शाही परिवार से ताल्लुक रखने वालीं राजकुमारी अमृत कौर भारत की स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी महिला नेता थीं। उन्होंने AIIMS की स्थापना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।;

Written By :  Akshita Pidiha
Update:2025-02-03 13:56 IST

Bharat Ki Pahli Mahila Cabinet Mantri Rajkumari Amrit Kaur

Bharat Ki Pahli Mahila Cabinet Mantri: राजकुमारी अमृत कौर भारत की स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी महिला नेता थीं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री (India's First Health Minister) के रूप में कार्य किया। उन्होंने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका जीवन समाज सेवा, नारी सशक्तिकरण और जनकल्याण के लिए समर्पित था।

कौन थीं राजकुमारी अमृत कौर (Rajkumari Amrit Kaur Wikipedia In Hindi)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

राजकुमारी अमृत कौर का जन्म 2 फरवरी, 1889 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ (Lucknow) में हुआ था। वे कपूरथला के शाही परिवार (Royal Family) से ताल्लुक रखती थीं। उनके पिता हरनाम सिंह कपूरथला राज्य के प्रधान मंत्री थे। उन्होंने अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलाने का निर्णय लिया। उनके परिवार ने उनके जन्म से पहले ही ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था। उनकी स्कूली शिक्षा ब्रिटेन के डोरसेट में शेरबोर्न स्कूल में हुई। आगे की पढ़ाई उन्होंने लंदन और ऑक्सफर्ड से की।

शिक्षा के नूर ने उनके जेहन को दुनिया को बेहतर तरीके से समझने और सही दिशा में आगे बढ़ने की समझ दी। अमृत कौर की प्रारंभिक शिक्षा शिमला और इंग्लैंड के प्रतिष्ठित संस्थानों में हुई। उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। वहां रहते हुए महिलाओं और समाज सुधार से जुड़ी गतिविधियों में सक्रिय रहीं।

1909 में वह पंजाब में अपने घर वापस लौटीं। उन्होंने गुलामी की जंजीरों में जकड़े देश की कु्प्रथाओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बच्चों को अधिक मजबूत और अनुशासित बनाने के लिए उन्होंने स्कूली बच्चों के लिए खेलों की शुरुआत करने पर जोर दिया। बाद में नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया की स्थापना करके अपने इरादों को आकार देना शुरू किया।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान (Swatantrata Sangram Mein Yogdan)

उन्होंने पर्दा प्रथा, बाल विवाह और देवदासी जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ आवाज बुलंद की। पढ़ाई पूरी करके स्वदेश लौटने के बाद से राजकुमारी अमृत कौर महात्मा गांधी से खासी प्रभावित थीं। 1919 में उनसे मुलाकात से पहले वह लगातार उन्हें पत्र लिखकर उनसे संवाद किया करती थीं।

राजकुमारी अमृत कौर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर सक्रिय रूप से जुड़ गईं। उन्होंने 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद स्वतंत्रता संग्राम में पूरी तरह भाग लेना शुरू किया।

महात्मा गांधी के साथ सहयोग

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

उन्होंने 1927 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जॉइन की। 1930 में दांडी मार्च में भाग लिया और नमक सत्याग्रह में सक्रिय रहीं। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया और अंग्रेजों द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया।

राजकुमारी अमृत कौर स्वतंत्रता संग्राम की उन चुनिंदा महिलाओं में से थीं, जिन्होंने जेल यात्रा की और अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। बाद के वर्षों में वह 16 वर्ष तक महात्मा गांधी की सचिव रहीं और उनके सबसे करीबी लोगों में शुमार रहीं।

भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री (Bharat Ki Pehli Swasthya Mantri)

स्वतंत्रता के बाद, जब 15 अगस्त, 1947 को भारत आजाद हुआ, तो प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कैबिनेट में शामिल किया। वे 1947 से 1957 तक स्वास्थ्य मंत्री के रूप में कार्यरत रहीं।अपने राजनीतिक कैरियर के दौरान राजकुमारी अमृता कौर ने कई बड़े पदों को सुशोभित किया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियाँ उल्लेखनीय रहीं।उन्होंने और उनके एक भाई ने शिमला में अपनी पैतृक सम्पत्ति और मकान को संस्थान के कर्मचारियों और नर्सों के लिए ‘होलिडे होम’ के रूप में दान कर दिया था।

स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके प्रमुख योगदान

एम्स (AIIMS) की स्थापना:उन्होंने एम्स (All India Institute of Medical Sciences) की स्थापना के लिए अथक प्रयास किए।इसके लिए उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंड जुटाया।एम्स आज भारत के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सा संस्थानों में से एक है।

टीबी उन्मूलन अभियान: भारत में टीबी (क्षय रोग) एक गंभीर समस्या थी। उन्होंने राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत की।

कुष्ठ रोग निवारण कार्यक्रम: कुष्ठ रोगियों के पुनर्वास और उनके इलाज के लिए उन्होंने कई योजनाएँ शुरू कीं।

मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य कार्यक्रम: उन्होंने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को मजबूत करने के लिए विशेष योजनाएँ शुरू कीं।देश में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (ANM) और नर्सिंग सेवाओं को बढ़ावा दिया।

मेडिकल रिसर्च और शिक्षा: उन्होंने मेडिकल रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) को सशक्त किया।मेडिकल कॉलेजों और स्वास्थ्य संस्थानों के विकास में सहयोग दिया।

नारी सशक्तिकरण में भूमिका (Rajkumari Amrit Kaur's Role In Women Empowerment)

राजकुमारी अमृत कौर महिलाओं की शिक्षा और अधिकारों की प्रबल समर्थक थीं। उन्होंने कई संगठनों और आंदोलनों के माध्यम से महिलाओं के अधिकारों के लिए काम किया।ऑल इंडिया वीमेंस कॉन्फ्रेंस (AIWC) की अध्यक्ष रहीं और महिलाओं की शिक्षा व सामाजिक अधिकारों पर कार्य किया।महिला शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए कई स्कूल और कॉलेज खुलवाए।पर्दा प्रथा, बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

राजकुमारी अमृत कौर का योगदान केवल भारत तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली।विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की पहली महिला अध्यक्ष बनने का गौरव प्राप्त किया।उन्होंने वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों के साथ मिलकर भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए फंडिंग जुटाई।भारत को पोलियो उन्मूलन और अन्य स्वास्थ्य अभियानों में अंतरराष्ट्रीय सहायता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

व्यक्तिगत जीवन और आदर्श

राजकुमारी अमृत कौर ने विवाह नहीं किया। अपना पूरा जीवन समाज सेवा और राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित कर दिया। वह महात्मा गांधी की अनुयायी थीं और उनके सिद्धांतों पर चलती थीं। उन्होंने सादा जीवन और उच्च विचार को अपनाया और अंतिम समय तक जनसेवा में लगी रहीं।

राजकुमारी अमृत कौर का निधन 2 अक्टूबर, 1964 को हुआ। उनकी मृत्यु के बाद भी उनके द्वारा शुरू की गई स्वास्थ्य और शिक्षा योजनाएँ आज भी चल रही हैं। एम्स, आईसीएमआर और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है।

राजकुमारी अमृत कौर भारतीय इतिहास की उन महान विभूतियों में से एक थीं, जिन्होंने स्वतंत्र भारत में महिलाओं, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए। एम्स की स्थापना, टीबी और कुष्ठ रोग के खिलाफ अभियान और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष उनका सबसे बड़ा योगदान था।

आज भी, जब हम भारत में चिकित्सा और महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, तो राजकुमारी अमृत कौर का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है। वे न केवल एक राजकुमारी थीं, बल्कि वे भारतीय जनता के लिए सेवा और प्रेरणा का प्रतीक थीं।

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