Mahila Serial Killer Ki Kahani: पहली खूंखार महिला, जानें कुख्यात ‘साइनाइड किलर’ की कहानी
Cyanide Serial Killer Crime History: केम्पम्मा सीरियल किलर बनने से पहले एक आम घरेलू महिला थी।,लेकिन उसकी आंखों में अमीर बनने के सपने थे। उसका जन्म कर्नाटक के कग्गलिपुरा गांव में 1970 में हुआ था।
Cyanide Serial Killer Untold Story: भारत के अपराध जगत में कई रहस्यमयी और भयावह नाम दर्ज हैं। लेकिन इनमें से एक नाम जिसने पूरे देश को चौंका दिया, वह है के डी केम्पम्मा, जिसे ‘साइनाइड किलर’ के नाम से जाना जाता है। केम्पम्मा भारतीय इतिहास की पहली महिला सीरियल किलर मानी जाती हैं, जिसने साइनाइड जहर के माध्यम से सात महिलाओं की जान ली। उसका अपराध न केवल उसकी क्रूरता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि लालच और धोखे का दायरा कितना बड़ा हो सकता है।
के डी केम्पम्मा का परिचय और प्रारंभिक जीवन
केम्पम्मा सीरियल किलर बनने से पहले एक आम घरेलू महिला थी।,लेकिन उसकी आंखों में अमीर बनने के सपने थे। उसका जन्म कर्नाटक के कग्गलिपुरा गांव में 1970 में हुआ था। केम्पम्मा ने प्राइमरी स्कूल तक शिक्षा हासिल की थी। उसके घरवालों ने कम उम्र में ही उसकी शादी बेंगलुरु के एक दर्जी से कर दी थी। शादी के बाद केम्पम्मा से दो बेटियां और एक बेटा हुआ। इसके कुछ ही दिनों बाद उसके दर्जी पति ने भी उसे छोड़ दिया। के डी केम्पम्मा, जिसे ‘केम्पा’ के नाम से भी जाना जाता है। उसका प्रारंभिक जीवन सामान्य था।
लेकिन आर्थिक तंगी और जीवन की कठिनाइयों ने उसे अपराध की ओर धकेल दिया। उसने शुरुआत में सिलाई का काम किया और फिर धीरे-धीरे अपनी आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए चोरी और धोखाधड़ी जैसे अपराधों में लिप्त हो गई।
अपराध का आरंभ
1998 के दशक में, केम्पम्मा ने धार्मिक स्थलों को अपना अपराध क्षेत्र बनाया। उसने अपने पीड़ितों को मंदिरों और धार्मिक आयोजनों में निशाना बनाना शुरू किया। वह गरीब और जरूरतमंद महिलाओं को यह विश्वास दिलाती थी कि वह एक साध्वी या धार्मिक महिला है, जो उनकी समस्याओं का समाधान कर सकती है।
उसके शांत स्वभाव और भरोसेमंद व्यक्तित्व ने महिलाओं को उसकी बातों पर विश्वास करने पर मजबूर कर दिया।
साइनाइड का उपयोग: एक घातक रणनीति
केम्पम्मा का मुख्य हथियार साइनाइड था, जो एक खतरनाक जहर है। उसने अपने शिकार को धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेने का लालच दिया।
पीड़ितों को पवित्र स्नान करने और प्रसाद ग्रहण करने के लिए कहा जाता था। प्रसाद में ही वह साइनाइड मिला देती थी। साइनाइड के प्रभाव से पीड़ित तुरंत अचेत हो जातीं और उनकी मौत हो जाती।
पीड़ितों का चयन और हत्या का तरीका
केडी केमपम्मा मंदिर में पूजा-पाठ करती थी। लेकिन उसकी नजर हमेशा वहां आने वाली संपन्न महिलाओं पर रहती थी। वह भी उनकी तरह अमीर और प्रभावशाली बनना चाहती थी, और यहीं से उसके शातिर दिमाग ने एक खतरनाक योजना को जन्म दिया जिसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
‘साइनाइड मल्लिका’ के नाम से मशहूर इस महिला का अपराध करने का तरीका बेहद डरावना और चालाकी भरा था। वह मंदिर में आने वाली अमीर महिलाओं से मेलजोल बढ़ाती, उनकी समस्याओं और तकलीफों के बारे में पूछती। वह भगवान के चमत्कारों की कहानियां सुनाकर महिलाओं का भरोसा जीत लेती और उन्हें यह यकीन दिलाती कि वह उनकी परेशानियों को दूर कर सकती है।
महिलाएं उसकी बातों में आ जातीं, चाहे उनकी समस्या संतान प्राप्ति हो, आर्थिक स्थिति में सुधार की चाह हो, या फिर घर में सुख-शांति की कामना। केमपम्मा इन महिलाओं को एक विशेष अनुष्ठान के लिए सुनसान जगह पर बुलाती। वहीं, उसकी असली योजना शुरू होती थी।
चिट फंड से शुरू हुआ अपराध
केडी का शातिर दिमाग हमेशा कुछ न कुछ अनहोनी सोचता रहता था। उसने अपनी चालबाजी से कुछ घरेलू कामकाजी महिलाओं को अपने साथ जोड़कर एक चिट-फंड कंपनी की शुरुआत की। इस कंपनी के जरिए उसने कई महिलाओं से पैसे ठगे। लेकिन यह धोखाधड़ी भी ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई।
इसके बाद, पैसों की लालसा में उसने एक नया तरीका खोजा और इस बार उसने मंदिर का सहारा लिया। भगवान का नाम लेकर, उसने अमीर महिलाओं को अपने जाल में फंसाना शुरू कर दिया। यह ठगी अब और घातक बन चुकी थी, क्योंकि भगवान के नाम पर उसने मासूम महिलाओं को मौत के घाट उतारना शुरू कर दिया।
उसने मुख्य रूप से धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी अमीर महिलाओं को चुना। हत्या के लिए उसका तरीका बेहद क्रूर लेकिन सरल था।केम्पम्मा पीड़ितों से दोस्ती कर उनके विश्वास को जीत लेती थी।वह उन्हें धार्मिक अनुष्ठान के लिए राजी करती थी और कहती थी कि इससे उनके जीवन की समस्याएं दूर हो जाएंगी।प्रसाद या पवित्र जल में साइनाइड मिलाकर उन्हें दे देती थी। पीड़ितों की मौत के बाद वह उनके गहने और कीमती सामान लेकर फरार हो जाती थी।
इस अनुष्ठान के लिए केमपम्मा हमेशा ऐसा समय चुनती थी, जब आसपास कोई न हो—या तो सुबह का सन्नाटा, या फिर रात का गहराता अंधेरा। वह महिलाओं को उनके सबसे कीमती गहनों और वस्त्रों में सज-धज कर उस सुनसान जगह पर बुलाती। पहले तो वह महिलाओं के सामने पूजा-पाठ का नाटक करती, ताकि उनका भरोसा पूरी तरह से जीत सके।फिर, बड़े ही चालाकी से, वह प्रसाद में साइनाइड मिला देती। पूजा के बहाने वह महिला से आंखें बंद करने को कहती और उसी वक्त साइनाइड मिला हुआ प्रसाद उसे खाने को देती। साइनाइड के असर से महिला की मौत चंद पलों में ही हो जाती।
इसके बाद, वह साइनाइड किलर बड़ी बेफिक्री से मृत महिला के सारे गहने और पैसे उतारती और घटनास्थल से फरार हो जाती। उसका यह तरीका बेहद खतरनाक और सुनियोजित था, जिससे वह अपने अपराधों को अंजाम देती रही।
ममता राजन बनी पहली पीड़ित
साइनाइड मल्लिका, यानी केडी केमपम्मा, ने अपने आपराधिक सफर की शुरुआत 1999 में बेंगलुरु की ममता राजन को अपना पहला शिकार बनाकर की। उसने ममता को बेहद चालाकी से प्रसाद में जहर देकर मार डाला। लेकिन यह हत्या इतनी सफाई से की गई थी कि पुलिस को उसके बारे में कोई सुराग नहीं मिला।
इस पहली सफलता के बाद, केमपम्मा के हौसले बुलंद हो गए। उसी साल, बेंगलुरु में अमीर महिलाओं की रहस्यमयी मौतों का सिलसिला शुरू हो गया। हर कुछ हफ्तों में, किसी अमीर महिला की मौत की खबर अखबारों में छपती। लेकिन असली कातिल का कोई सुराग नहीं मिलता।
1999 में ही केमपम्मा ने अपनी खौफनाक चालों से 5 और महिलाओं को प्रसाद में साइनाइड देकर मौत के घाट उतार दिया। उसने इन हत्याओं को इतनी चालाकी और भक्ति का आवरण ओढ़कर अंजाम दिया कि किसी को भी उस पर शक नहीं हुआ। भगवान के नाम पर भरोसा जीतकर वह लगातार अपने शिकार करती रही और बेखौफ होकर पुलिस और समाज को चकमा देती रही।
अपराधों की जांच और खुलासा
पुलिस के लिए अब ये मामला बेहद चैलेंजिंग हो गया था। मरने वालीं सारी बड़े घरों की महिलाएं थी। छानबीन शुरू हुई और इस बार ये साइनाइड मल्लिका नहीं बच पाई। 2007 में पुलिस ने केडी केमपम्मा को बस स्टैंड से गिरफ्तार किया। पुलिस कस्टडी में इसने कबूल किया कि इसने आठ महिलाओं को प्रसाद में साइनाइड मिलाकर दे दिया। वह अमीर बनना चाहती थी, वह उन अमीर महिलाओं की तरह ही दिखना चाहती थी और इसलिए इसने ये खौफनाक रास्ता चुना।
पुलिस जांच और सबूत
केम्पम्मा की गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने उसके घर पर छापा मारा। वहां से साइनाइड के पाउच, गहने, नकदी, और अन्य कीमती सामान बरामद किए गए। पूछताछ के दौरान, उसने अपने सभी अपराधों को कबूल किया और बताया कि उसने आर्थिक तंगी और लालच के चलते ये अपराध किए।
अदालत का फैसला
केम्पम्मा पर सात महिलाओं की हत्या का आरोप लगाया गया। अदालत में पेश किए गए सबूतों और उसकी स्वीकारोक्ति के आधार पर, उसे दोषी ठहराया गया। 2010 में, बेंगलुरु की एक अदालत ने उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई।
यह भारतीय इतिहास में पहली बार था जब किसी महिला को सीरियल किलिंग के लिए फांसी की सजा दी गई। हालांकि, बाद में इस सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया।
मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
केम्पम्मा का मामला केवल एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि यह मानसिक और सामाजिक पहलुओं को भी उजागर करता है।केम्पम्मा का अपराध जीवन की कठिन परिस्थितियों और आर्थिक तंगी का परिणाम था।उसने जल्द पैसा कमाने के लिए अपराध का रास्ता चुना।उसने समाज में धार्मिक आस्था का फायदा उठाकर महिलाओं को अपने जाल में फंसाया।केम्पम्मा के अपराध यह भी दर्शाते हैं कि किस तरह समाज में असमानता और कमजोर तबकों की अनदेखी अपराध को बढ़ावा देती है।
मीडिया और समाज की प्रतिक्रिया
केम्पम्मा के अपराध ने पूरे देश को झकझोर दिया। मीडिया ने इसे बड़े पैमाने पर कवर किया और उसे ‘साइनाइड मल्लिका’ का नाम दिया। इस घटना ने समाज में धार्मिक आस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए।
सीख और सावधानियां
केम्पम्मा के मामले से कई महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं। धार्मिक स्थलों पर अपरिचित व्यक्तियों से सावधान रहना चाहिए।समाज में कमजोर वर्गों की समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए ताकि वे अपराध के शिकार न बनें।पुलिस की सक्रियता और जांच ने अपराधी को पकड़ने में अहम भूमिका निभाई।
वर्तमान स्थिति
आज केम्पम्मा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रही है। उसके अपराधों ने भारतीय कानून और न्याय प्रणाली को यह सोचने पर मजबूर किया कि अपराधियों की मानसिक स्थिति और उनके सामाजिक परिवेश को समझना कितना जरूरी है।
के डी केम्पम्मा, उर्फ ‘साइनाइड किलर’, की कहानी एक भयावह उदाहरण है कि किस तरह आर्थिक तंगी, लालच और सामाजिक असमानता एक सामान्य व्यक्ति को अपराध की दुनिया में धकेल सकते हैं। यह घटना केवल अपराध और सजा की नहीं, बल्कि समाज में मौजूद कमजोरियों और खामियों की भी कहानी है। केम्पम्मा के अपराध भारतीय समाज और कानून को यह संदेश देते हैं कि सतर्कता, जागरूकता, और न्याय का सही समय पर उपयोग किसी भी अपराध को रोकने में कारगर साबित हो सकता है।