Harishankar Parsai Biography: प्रसिद्ध व्यंग्य लेखक जिनके उपन्यास लोगों को हैँ सालो साल याद, जानते हैँ हरिशंकर परसाई का जीवन

Harishankar Parsai Biography: हरिशंकर परसाई भारतीय लेखक, कवि, उपन्यासकार और व्यंग्यकार थे। उन्होंने अपनी लेखनी से समाज में विभिन्न मुद्दों पर विचार किए और उन्हेंव्यंग्यपूर्ण दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उनकी रचनाएँ आम जनता की समस्याओं और दिक्कतों को उजागर करने में मदद करती हैं।

Update:2023-08-22 07:37 IST
Harishankar Parsai Birthday (Photo: Social Media)

Harishankar Parsai Biography: हरिशंकर परसाई भारतीय लेखक, कवि, उपन्यासकार और व्यंग्यकार थे। उन्होंने अपनी लेखनी से समाज में विभिन्न मुद्दों पर विचार किए और उन्हेंव्यंग्यपूर्ण दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उनकी रचनाएँ आम जनता की समस्याओं और दिक्कतों को उजागर करने में मदद करती हैं।हिंदी के पहले रचनाकार थे, जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के-फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएँ हमारेमन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करतीं, बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं केआमने-सामने खड़ा करती हैं, जिनसे किसी भी व्यक्ति का अलग रह पाना लगभगअसंभव है।

हरिशंकर परसाई का प्रारंभिक जीवन

उनका जन्म 22 अगस्त, 1924 को हुआ था। वे मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में पैदा हुए थे। उनका प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत और हिंदी माध्यम में हुआथा। उन्होंने हिंदी भाषा में नागपुर यूनिवर्सिटी से M.A. किया। कॉलेज से ग्रेजुएट होने के बाद, उन्होंने अपने कार्य के साथ-साथ लेखन में भी रुचि बनाई।

हरिशंकर परसाई का करियर

हरिशंकर परसाई का करियर लेखक, कवि, उपन्यासकार और व्यंग्यकार के रूप में बहुत सफल रहा। उन्होंने अपने लेखनी से समाज में विभिन्न मुद्दों परविचार किए और उन्हें व्यंग्यपूर्ण दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया। उन्होंने वसुधा पत्रिला कि शुरुआत की थी। यह पत्रिका लोगों के बीच बेहट पसंद की गयी। वित्तीय नुकसान के चलते कुछ समय बाद इसे बंद करना पड़ा। रायपुर और जबलपुर से प्रकाशित होने वाला अलखबार देशबंदु में परसाई जी का लेख छपता था। इस कॉलम का नाम “पूछिए परछाई से” रखा गया था। इसमें वें जनता के सभी सवालों का जवाब देते थे।

हरिशंकर परसाई की प्रमुख रचनाएँ

कहानियाँ

1) भोलाराम का जीव

2) हंसते हैं रोते हैं

3) जैसे उनके दिन फिर

व्यंग्य

1) आध्यात्मिक पागलों का मिशन

2) बदचलन

3) मैं नरक से बोल रहा हूँ

4) विकलांग श्रद्धा का दौर

5) दो नाक वाले लोग

6) क्रांतिकारी की कथा

7) पवित्रता का दौरा

निबंध

1) प्रेमचंद के फटे जूते (प्रेमचंद पर आधारित)

2) ऐसा भी सोचा जाता है

3) अपनी-अपनी बीमारी

4) आवारा भीड़ के ख़तरे

5) काग भगोड़ा

6) बेईमानी की परत

उपन्यास

1) तट की खोज

2) रानी नागफनी की कहानी

3) ज्वाला और जल

हरिशंकर परसाई की मृत्यु

हरिशंकर परसाई का निधन 10 अगस्त, 1995 को हुआ था। उनकी मृत्यु 72 वर्ष कि आयु में हुई थी। उनके जीवनकल में उन्होंने व्यंग्यिका और साहित्यके क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान दिए थे। उनकी रचनाएँ आज भी लोगों के बीच में व्यापक प्रभाव डालती हैं और उन्हें एक अद्वितीय और प्रसिद्ध लेखकके रूप में याद किया जाता है।

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