Premanand Ji Maharaj: इस तरह अचानक से फेमस हुए थे प्रेमानंद महाराज, जानिए उनके जीवन की कई बातें

Premanand Ji Maharaj: पीले वस्त्र और पीला तिलक लगाए वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज को आज हर कोई जनता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाराज जी इतने प्रसिद्ध कैसे हुए? उसके पीछे की वजह आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

Update:2023-08-16 07:54 IST
Premanand Ji Maharaj (Image Credit-Social Media)

Premanand Ji Maharaj: पीले वस्त्र और पीला तिलक लगाए वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज को आज हर कोई जनता है। उनका राधा रानी के प्रति भक्ति और लोगों को सादमार्ग पर के वीडियो अक्सर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाराज जी इतने प्रसिद्ध कैसे हुए? उसके पीछे की वजह आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

कैसे रातों रात प्रेमानंद जी महाराज इतना फेमस हो गए

प्रेमानंद जी महाराज के लिए ये बात काफी ज़्यादा प्रचलित है कि वो राधा रानी के परम भक्त हैं और अपने शिष्यों और भक्तों को भी भक्तिभाव में डुब्ने के लिए बोलते हैं। वहीँ उन्हें लेकर एक और बात अक्सर चर्चा में रहती है और वो ये है कि लगभग 17 साल से उनकी दोनों किडनियां फ़ैल हो चुकीं हैं लेकिन अपनी दृण दिनचर्चा की वजह से महाराज जी एक स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।

इन सब के अलावा प्रेमानन्द जी के पॉपुलर होने की वजह बॉलीवुड एक्ट्रेस अनुष्का शर्मा और उनके पति व भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार खिलाडी विराट कोहली भी हैं। दरअसल कपल अपनी बेटी के साथ अचानक महाराज जी के दरबार पहुंच थे। तभी से हर कोई ये जानने के लिए काफी ज़्यादा उत्सुक हुआ कि आखिर प्रेमानंद जी महाराज हैं कौन। कपल की वजह से महाराज जी अचानक लाइम लाइट में आये और जो लोग उन्हें नहीं जानते थे वो भी उन्हें जानने लगे।

आपको बता दें कि महाराज जी का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय है। वो उत्तर प्रदेश के कानपूर के सरसौल के अखरी गांव के रहने वाले हैं। और वहीँ उनका जन्म हुआ था। उनके घर का माहौल पूरी तरह से अध्यात्म से जुड़ा हुआ था। जहाँ उनके दादा जी सन्यासी थे वहीँ पिता जी का झुकाव भी अध्यात्म की ओर ही था। यही वजह थी कि बेहद कम उम्र में भी उन्हें चालीसा कंटस्थ थी। उन्होंने जब अपना घर छोड़कर अध्यात्म के रस्ते को चुना तब वो 9 वीं कक्षा में पढ़ते थे।

प्रेमानंद जी महाराज का काफी समय गंगा घाट के किनारे बिता है वो वो बनारस के अस्सी घाट पर घंटों बिताया करते थे फिर कभी हरिद्वार पहुंचकर वहां भी गंगा घाट पर ही रहते थे। इसको लेकर एक बार महाराज जी ने ये भी कहा था कि इसीलिए वो गंगा मैया को अपनी दूसरी माँ मानते हैं। वो साधना करते समय पूरी तरह तलीन रहते हैं उस समय उन्हें भूख प्यास सर्दी गर्मी का भी ख्याल नहीं रहता। वो कड़ी से कड़ी ठण्ड में भी तीन बार गंगा स्नान करते हैं।

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