Indian Clothes Footwear Size: अब आपके कपड़े से लेकर जूते तक में भारतीय मानक संख्या दिखाई देगी, यहां जानिए पूरी जानकारी

Indian Clothes Footwear Size Chart: भारत में अगले तीन महीनों में कपड़ों के लिए एक साइज चार्ट तैयार करने की संभावना है जो यूएस और यूके में उपलब्ध मानकीकृत आकारों की तर्ज पर भारतीय उपभोक्ताओं के माप के लिए विशिष्ट है।

Update:2023-05-27 23:58 IST
Indian Clothes Footwear Size Chart (फोटो: सोशल मीडिया)

Indian Clothes Footwear Size Chart: भारत में अगले तीन महीनों में कपड़ों के लिए एक साइज चार्ट तैयार करने की संभावना है जो यूएस और यूके में उपलब्ध मानकीकृत आकारों की तर्ज पर भारतीय उपभोक्ताओं के माप के लिए विशिष्ट है।

भारतीयों के शरीर अनुसार बनेंगे कपड़े

अधिकारियों ने कहा कि इंडियासाइज प्रोजेक्ट का उद्देश्य कपड़ा निर्माताओं को भारतीय उपभोक्ताओं के वास्तविक शरीर के करीब कटौती करने और आयात को कम करने में मदद करना है। इसी तरह के नियम फुटवियर के लिए भी बनाये जा रहे है।इंडियासाइज परियोजना पूरी के उन्नत चरणों में है। इसे 2-3 महीनों में लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं।"

फाइनेंसियल एयर 23 में भारत का रेडीमेड गारमेंट निर्यात $16.1 बिलियन था, जो साल-दर-साल 1.1% अधिक था। फाइनेंसियल एयर में परिधान और कपड़ों के सामान का आयात $941.83 मिलियन था, जो साल-दर-साल 42% अधिक था।

अभी भारत में चलता हैं कौन सा स्टैण्डर्ड ?

वर्तमान समय में भारत में कपड़ों और फुटवियर के ब्रांड में अंतरराष्ट्रीय मानक यूएस और यूके का इस्तेमाल किया जाता है, जो स्मॉल, मीडियम और लार्ज होते हैं। इण्डियन स्टैण्डर्ड आने पर कंपनियों और ग्राहकों दोनों को फ़ायदे होगे। पश्चिमी देशों के लोगों की लंबाई और चौड़ाई भारतीयों से भिन्न होती है। भारतीयों को कपड़े और जूते या तो बड़े होते है या छोटे। सही फिटिंग आने में भारतीयों को समस्या का सामना करना पड़ता है। नए इण्डियन स्टैण्डर्ड के बाद अब भारतीय साइज के अनुसार कपड़े और फुटवियर बनेगे जो भारतीयों को उचित साइज मिलने में मदद करेंगे। इससे ई- कॉमर्स के मार्केट को भी एक बूस्ट मिलेगा। ग्राहकों का साइज को लेकर कन्फ़्यूशन दूर होगा। 3-डी स्कैनर से भारतीय मानक तय होगा।

साइज चार्ट के लिए हुआ सर्वे

कपड़ा मंत्रालय की सूचना के अनुसार बताया गया था कि वर्ष 2018 में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ फैशन टेक्नोलॉजी(NIFT) भारतीय साइज चार्ट पर एक सर्वे करेंगा और इसकी कुल लागत 31 करोड़ रुपये आएगी जिसके लिये 21 करोड़ की मदद कपड़ा मंत्रालय करेगा और बची राशि निएफट देगा। इस सर्वे को पूर्ण होने में 2 से 3 वर्ष का समय लगेगा। इसके लिए देश के छह शहरों - दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु, शिलांग और हैदराबाद के 15 से 65 वर्ष के उम्र के 25,000 लोगों के माप को लिया गया है।

भारत के अभी तक क्यों इस्तेमाल होता है यूके, यूस साइज का प्रयोग

दुनिया के 40 से अधिक देशों में यूके के साइज का प्रयोग किया है। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है यूके का इन देशों पर लंबे समय तक शासन करना और अग्रेंजों के जाने के बाद भी यूके स्टैंडर्ड साइज भारत में उपयोग होने लगा। अमेरिकी ब्रांड्स के साथ यूएस स्टैंडर्ड भी भारत में आ गया।

पश्चिमी देशों से कितना भिन्न होगा भारतीय साइज चार्ट

भारतीय लोगों के शरीर का आकार पश्चिमी देशों के लोगों के मुकाबले काफी अलग होता है। सबसे बड़ा अंतर इंडियन स्टैंडर्ड में कमर और पैरों के साइज को लेकर होता है। इससे भारत में बनने वाले कपड़े भारतीयों को यूएस और यूके वाले साइज के मुकाबले अधिक फिट आएंगे।

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