International Mud Day 2021: मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती

Intenational Mud Day 2021:आज मिट्टी की अनेक उपयोगिता को समझते हुए विश्व में 29 जून को मड दिवस के रूप में मनाया जाता है।

Written By :  rajeev gupta janasnehi
Published By :  Shraddha
Update:2021-06-28 11:45 IST

विश्व मड दिवस (डिजाइन फोटो - सोशल मीडिया)

Intenational Mud Day 2021: जी हां यह गाने के बोल के पीछे बहुत सकारात्मक (positive) और स्वास्थ्य वर्धक तत्व छुपे हुए हैं। यह अन्न के साथ अनेक जीवन उपयोगी व स्वस्थ्य (Health) वर्धक पूर्ति करता हैं। विश्व में कितना भी विकास हुआ हो पर आज भी गांव की पृष्ठभूमि का व्यक्ति शहर के व्यक्ति की अपेक्षा ज़्यादा स्वास्थ्य व बलिष्ठ और सकारात्मक होता है। कारण है वह धरती रूपी मां की रज यानी मिट्टी (Mud) से ना केवल जुड़ा रहता है बल्कि उसी में पलता है और प्रफुल्लित होता है। यह मिट्टी ही उसे स्वस्थ बलिष्ठता प्रदान करती है।

मिट्टी में वह तत्व होती हैं जो आदमी को शारीरिक रूप से मानसिक रूप से बलिष्ठता व प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं। पुराने जमाने में दुनिया में सभी लोग किसी ना किसी रूप से मिट्टी से जुड़े रहते थे। सभी का बचपन मिट्टी में खेल के बीताता था आज आधुनिकता की दौड़ में और सभ्य कहलाने की या कहिए पिछड़े ना कहलाने की होड़ में ज्यादातर सभी खेलों को इंडोर खेलों का रूप दे दिया जिससे हमें मिट्टी से स्वास्थ्य प्राप्त करने से चूक रहे हैं। आज मिट्टी की अनेक उपयोगिता को समझते हुए विश्व में 29 जून को मड दिवस के रूप में मनाया जाता है।

आज पूरे विश्व ने मड की उपयोगिता को माना है और इसलिए वो कहते है अगर हम थोड़े गंदे हो जाएं तो क्या होगा। बहुत शोधों से पता चला है मड स्नान से एक निश्चित मात्रा में मड जीवाणुओं के संपर्क में आना हमारे लिए अच्छा है, क्योंकि यह प्रतिरक्षा का निर्माण करने में ना केवल मदद करता है,बल्कि दिमाग़ी व शारीरिक स्वस्थ के लिए अच्छा है।

मिट्टी के अनगिनत फायदे


बच्चे मना रहे विश्व मड दिवस ( फोटो - सोशल मीडिया)

हम सब जानते हैं हमारे भारत में पहलवानी मिट्टी में होती है कारण है मिट्टी शरीर को मज़बूत करती है। उसकी गंध दिमाग़ को ठंडा करती है। हमारे देश में मिट्टी का उपयोग विज्ञान चिकित्सा के क्षेत्र में सदियों से हो रहा है। आज पूरा विश्व भारत की प्रकृति चिकित्सा अपना रहा है। तमाम रोगों में मड थेरेपी बहुत कारगर इलाज हैं। मड से मनोरंज भी होता है।

यह भारत के अलावा अन्य देशों में भी होता हैं भारत में कौन नहीं जनता कीचड़ / मिट्टी खेली जाने वाली ब्रज की होली , बच्चों का मिट्टी ओर पांनी से मनोरंजन करना ,बरसात में तालाब व गड्डे ,मैदान आदि का भरना उसमें खेलना कोलाहल करना व तालाब की मिट्टी से मूर्ति व घर बनाना इन सब के पीछे का विज्ञान व मस्ती हम सब जानते हैं। हमारे देश में तीन चार दशक पहले आउट्डोर गेम ही खेलते थे बिना धूल और गंदा होने परवाह किये मैदान में खेले गये सारे खेलों को ही हम खेल मानते हैं ,इसीलिए आज भी भारत का इम्यूनिटी सिस्टम के साथ दिमाग़ी व शारीरिक स्वस्थ अन्य देशों से अच्छा है।

भारत जैसी भौगलिक स्तिथि नहीं है। विदेशों में सभी जगह पक्की रहती है या कहिए मिट्टी वाले स्थान बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए विदेशों में इस मिट्टी में खेल,स्नान के लिए लोग मिट्टी के मुखौटे स्नान और स्पा में स्नान के लिए सैकड़ों डॉलर का भुगतान करते हैं। इसलिए काफ़ी पैसा खर्च करके कहते चलो निर्लज्ज हो जाएं! इस दिन गंदा हो कर सबसे रचनात्मक और मजेदार गतिविधियों अंतर्राष्ट्रीय मड डे पर करने को सही मानते हैं , मिट्टी , गड्डा और पानी जोड़कर उपयोग कर हँसी और मस्ती का पारिवारिक समय का भरपूर आनंद लेते हुए इसे मनाते है।

भारत के लिए मड उत्सव आज भी जो गरीब को बिना पैसे के उपलब्ध है और अमिर को पैसे से विदेशियों की तरह मनोरंज कराता है। इस दिन का आनंद लेने का एक और आसान तरीका है। घर में या मैदान में मिट्टी का गड्ढा बनाया जाये उसमें पानी भर दे न केवल यह सस्ता है, बल्कि आधुनिक समय में यह वास्तव में एक अनूठा अनुभव है। अपने सबसे बुनियादी स्तर पर, आप सभी की जरूरत है गंदगी, पानी, और दोस्त! फिर देखे मस्ती और तजगी।

बच्चे ले रहे मड डे का मजा ( फोटो - सोशल मीडिया)


29 जनवरी को यह प्रयोग करके देखें आपको कितना आनंद आएगा। इसके आनंद को और बढ़ाने के लिए आप इसे अपने फेसबुक पेज वह व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से और भी मनोरंजक बना सकते हैं। आप इसे एक चैलेंज के रूप में अपने मित्रों और रिश्तेदारों को साझा कर सकते हैं इसका एक फोटो प्रतियोगिता भी हो सकता है। उस फोटो प्रतियोगिता को आप अपने सोशल मीडिया पर डाल कर पुरस्कृत भी करा सकते हैं पर इन सबके साथ आपको एक बात जरूर ध्यान रखनी चाहिए मस्ती करते हुए आपके यहां आंख, नाक, कान या शरीर के अन्य किसी भी भाग में कोई कोई भी कीचड या गंदगी जो रह जाए उसे साफ पानी से और एंटीबायोटिक साबुन जैसे नीम का साबुन लाइफ ब्वॉय भी से नहाना चाहिए| वह आप को और अधिक स्वास्थ्य प्रदान करेगा।

आज कोरोना वायरस के चलते आज हमें अपने शरीर की प्रतिरक्षा बढ़ाना बहुत ही जरूरी हो गया है ऐसे में हमें अपने बच्चों को टीवी वीडियो गेम या अन्य इंडोर गेम की जगह मैदान में खेलने के लिए प्रेरित करना होगा ताकि वह प्राकृतिक के नजदीक आएं उनकी प्रतिरोधक क्षमता वह ऑक्सीजन लेबल भी हमेशा भरा रहे। हमें एक बार फिर अपनी मिट्टी से जोड़कर रहना होगा हम सभी को एक बार फिर अखाड़े, कबड्डी, खो- खो, हॉकी, फ़ुटबाल आदि जैसे गेमों को प्राथमिकता देनी होगी।

अंतर्राष्ट्रीय मड डे सबसे पहले वर्ष 2008 में नेपाल और ऑस्ट्रेलिया में बिष्णु भट्ट और जिलियन मकओलिफ ने कीचड़ में बच्चों को खेलने के लिए इस तरह के त्योहार की शुरुआत की। लेकिन औपचारिक रूप से 2011 में 29 जून को इंटरनेशनल मड डे के रूप में तय कर दिया गया। तब से इसे दुनियाभर में मनाया जाने लगा। अंतर्राष्ट्रीय मड डे की शुरुआत 2009 में एक वर्ल्ड फोरम इवेंट में हुई थी, नेपाल में मड डे चावल उगाने वाले मौसम की शुरुआत का प्रतीक भी है। यह प्रकृति का उत्सव है जो चावल बोने के लिए आदर्श स्थान प्रदान करता है।   

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