Kya Kya Mahanga Hua Hai: कितना असर डाल रही है महंगाई आपके महीने के बजट पर, आइये जाने क्या-क्या हुआ महंगा ?
Kya Kya Mahanga Hua Hai: रोज़मर्रा के जीवन में हमे बहुत सी चीज़ों की ज़रूरत होती हैं वो एक इंसान की बेसिक नीड होती है। वहीँ आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस बढ़ती महंगाई में आपकी जीवनशैली पर कितना असर डाला है ।
Kya Kya Mahanga Hua Hai: रोज़मर्रा के जीवन में हमे बहुत सी चीज़ों की ज़रूरत होती हैं वो एक इंसान की बेसिक नीड होती है। वहीँ आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस बढ़ती महंगाई में आपकी जीवनशैली पर कितना असर डाला है और आपकी जेब को कितना नुकसान पहुंचाया है। भले ही बजट आये कुछ महीने बीत चुके हैं लेकिन आये दिन किसी न किसी चीज़ के दाम बढ़ने से लोगों की जेब पर लगातार असर पड़ रहा है। जहाँ बीते महीने ही घरेलू गैस के दाम में इज़ाफ़ा हुआ था वहीँ हर दिन किसी न किसी चीज़ का दाम बढ़ ही जाता है। आइये जानते हैं कि आम आदमी पर ये मार कितनी ज़्यादा घातक साबित हो रही है।
कितना रुला रही महंगाई की मार आम इंसान को
हर साल की तरह इस साल भी लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि केंद्रीय बजट उनके दैनिक खर्च और आम आदमी की जेब पर क्या असर डालेगा। जहाँ बजट में ये बताया गया था कि किस चीज़ पाए कस्टम ड्यूटी दरों में बदलाव लागू होगा जिससे वो महंगी हो जाएँगी।
क्या हुआ महंगा?
1) किचन इलेक्ट्रिक चिमनीः किचन इलेक्ट्रिक चिमनी पर कस्टम ड्यूटी 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दी गई है।
2) सिगरेट: सिगरेट पर आपदा उपकर में 16 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिससे कीमतों में वृद्धि हुई।
3) कंपाउंडेड रबर: कंपाउंड रबर पर मूल आयात शुल्क 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया है।
4) सोने से बनी वस्तुएं: सोने की छड़ों से बनी वस्तुओं पर बुनियादी सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया है।
5) चांदी के आभूषण: सोने और प्लेटिनम के बराबर लाने के लिए चांदी पर सीमा शुल्क बढ़ाया गया है।
6) घरेलू गैस: रोज़मर्रा की चीज़ों में सबसे महत्वपूर्ण है एल.पी. जी गैस जिसके दाम बढ़ा दिए गए हैं।
वहीँ भारतीय परिवारों के मासिक किराने का खर्च भी पिछले महीने से लगातार बढ़ रहा है। क्या आपने भी महसूस किया है कि मासिक किराने का खर्च फिर से बढ़ रहा है? खुदरा विक्रेता और व्यापारी कई आवश्यक वस्तुओं - दूध, चावल, आटा और अन्य स्टेपल जैसे बुनियादी खाद्य पदार्थों सहित - में ताजा कीमतों में वृद्धि का श्रेय उच्च उत्पादन लागत, कम घरेलू उत्पादन, बढ़ती निर्यात मांग, कमजोर आपूर्ति और मुद्रास्फीति में निरंतर वृद्धि को देते हैं।
7). दूध की कीमतों में लगातार इज़ाफ़ा: कुछ मुद्दों के जारी रहने की संभावना के साथ, कुछ आवश्यक खाद्य पदार्थों की कीमतें लंबे समय तक बढ़ी रह सकती हैं। एक रिपोर्ट ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में दूध की कीमतों में 14-15 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस मूल्य वृद्धि को दूध के संचालन और उत्पादन की कुल लागत में वृद्धि के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
8). चावल के दाम में उछाल: एक महीने में चावल के दाम भी काफी बढ़ गए हैं। इस अवधि के दौरान बासमती और गैर-बासमती दोनों प्रकार की कीमतों में कथित तौर पर 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कारोबारियों ने इसकी वजह घरेलू उत्पादन में गिरावट और बढ़ती निर्यात मांग को बताया है।
बासमती चावल की कीमत दिसंबर 2022 में 90-95 रुपये से बढ़कर जनवरी 2023 में लगभग 105 रुपये प्रति किलो हो गई।
10). आटे की कीमतों में वृद्धि: मुख्य रूप से गेहूं के स्टॉक के केंद्रीय पूल को उतारने में देरी के कारण आटे की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने खतरनाक प्रवृत्ति को देखते हुए घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और गेहूं और आटा की कीमतों को नियंत्रित करने के अपने प्रयासों के तहत ई-नीलामी के दूसरे दौर में थोक उपभोक्ताओं को 3.85 लाख टन गेहूं बेचा है। .
11 दाल की बढ़ीं कीमत: यहां तक कि इस साल उत्पादन में गिरावट की उम्मीद के चलते तुअर दाल जैसी कुछ दालों की कीमतें भी बढ़ी हैं। लाखों भारतीय परिवारों द्वारा प्रतिदिन उपभोग किए जाने वाले एक आवश्यक खाद्य पदार्थ अंडे की कीमत भी देश भर के अधिकांश बाजारों में तेजी से बढ़ी है।