MTR Success Story: अमीर घराने में थे कभी बावर्ची, आज करोड़ों की कंपनी के हैं मालिक, लेकिन क्यों इतनी अलग कहानी
MTR Success Story: वर्ष 1920 में खाना बनाने और खिलाने के शौक़ीन तीन भाई परमेश्वर मैया, गणप्पय्या मैया और यज्ञनारायण मैया शहर आये और अगले 4 वर्षो तक अमीर घरों में बतौर कुक कार्य किया। आइये जानते है कुक से लेकर करोड़ो के कारोबार तक MTR की कहानी।
MTR Success Story: MTR, जिसका पूरा नाम Mavalli Tiffin Rooms है, एक ऐसी कंपनी है जिसे भारतीय खाद्य उद्योग में एक मान्यता प्राप्त ब्रांड के रूप में माना जाता है। MTR की कहानी गर्व के साथ एक सफलता की कहानी है जो कि एक छोटे से दुकान से शुरू हुई और आज दुनिया भर में अपने ब्रांड की मान्यता बनाई हुई है। वर्ष 1920 में खाना बनाने और खिलाने के शौक़ीन तीन भाई परमेश्वर मैया, गणप्पय्या मैया और यज्ञनारायण मैया शहर आये और अगले 4 वर्षो तक अमीर घरों में बतौर कुक कार्य किया। आइये जानते है कुक से लेकर करोड़ो के कारोबार तक MTR की कहानी।
वर्ष 1924 में शुरू किया MTR ब्रांड
सन् 1924 में बैंगलोर, कर्नाटक में एक परिवार ने MTR का आविष्कार किया। इस दुकान ने शुरुआत में साउथ इंडियन तिफ़िन के लिए जाना जाता था। अपने स्वादिष्ट खाने, गुणवत्ता और प्राकृतिक सामग्री की वजह से, MTR को जल्दी ही लोकप्रियता मिली। उनकी बिक्री तेजी से बढ़ी और वे अपनी व्यापारिक पहचान बनाने के लिए एक छोटे से होटल में बदल गए।MTR रेस्टोरेंट चलाने का विचार एक यूरोप यात्रा के दौरान आया।
यूरोप यात्रा के दौरान आया MTR खोलने का ख्याल
Mavalli Tiffin Rooms (MTR) के संस्थापकों ने यूरोप यात्रा के दौरान बहुत सारे विदेशी रेस्टोरेंट्स और खाद्य संस्थानों को देखा और इससे प्रेरणा प्राप्त की। वे यह देखकर प्रभावित हुए कि कैसे उन देशों में विदेशी भोजन की संस्कृति और स्वाद को महत्व दिया जाता है।
इस यात्रा के दौरान, उन्होंने समय-समय पर भारतीय खाद्य की ताकत और प्रशंसा को भी महसूस किया। उन्होंने अपने देश के विशेषताओं, विविधताओं और प्राकृतिक स्वाद को समझा। इससे उन्हें यह विचार मिला कि उन्हें भी अपने खाद्य परंपरा को और विशेषताओं को विदेश में प्रस्तुत करने का एक अवसर मिल सकता है।
इस यात्रा के बाद, MTR के संस्थापकों ने अपनी मातृभूमि भारत में उनकी स्थानीय खाद्य परंपरा और स्वाद को उच्चतम स्तर पर प्रदान करने के लिए एक रेस्टोरेंट खोलने का फैसला लिया। उन्होंने यह देखा कि यूरोप में भारतीय खाद्य की मांग और वहां के रेस्टोरेंटों ने उन्हें यह दिखाया कि विदेशी खाद्य की प्रचुरता के बावजूद, यहां के लोग अपनी स्थानीय भोजन को भी महत्व देते हैं और उसे सराहते हैं। ये अनुभव एमटीआर के संस्थापकों को भारतीय खाद्य परंपरा और स्वाद को बढ़ावा देने का विचार दिलाया।
वापस भारत लौटकर, उन्होंने यह सोचा कि वे एक ऐसा रेस्टोरेंट खोल सकते हैं जहां लोगों को विदेशी खाद्य के साथ-साथ उच्चतम स्तर का भारतीय खाद्य भी मिल सकें। उन्होंने यह शुरू किया ताकि वे भारतीय खाद्य को एक बड़े स्तर पर प्रसिद्द कर सकें और दुनिया भर में उसे लोकप्रियता मिलें।
छोटी दुकान से बना आज दुनिया का प्रसिद्द ब्रांड
सन् 1924 में बैंगलोर, कर्नाटक में एक परिवार ने MTR का आविष्कार किया। इस दुकान ने शुरुआत में साउथ इंडियन तिफ़िन के लिए जाना जाता था। अपने स्वादिष्ट खाने, गुणवत्ता और प्राकृतिक सामग्री की वजह से, MTR को जल्दी ही लोकप्रियता मिली। उनकी बिक्री तेजी से बढ़ी और वे अपनी व्यापारिक पहचान बनाने के लिए एक छोटे से होटल में बदल गए। MTR ने समय के साथ अपना विस्तार किया और अन्य शहरों में शाखाएं खोलीं। इसके बाद से, वे बैंगलोर के अलावा दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और हैदराबाद में भी प्रसिद्ध हो गए। आजकल, MTR का ब्रांड सैकड़ों उत्पादों को शामिल करता है।
कम दामों में दिया उच्च क्वालिटी का खाना
MTR ने भारत देश में इमरजेंसी के दौरान सही को कम दाम में भोजन उपलब्ध कराया। इमरजेंसी के समय जब सभी रेस्टुरेन्ट्स को कम दाम में भोजन देने को कहा गया ऐसे में MTR ने उच्च स्तर का स्वादिष्ट भोजन सबसे कम दामों में आम जनता को खिलाया। कम दाम और स्वादिष्ट भोजन होने से सभी इमरजेंसी के उस कठिन दौर में भी दो वक्त का भरपेट खाना खा पाए।
होटल के साथ ही MTR ने शुरू करें साउथ इंडियन पैकेज्ड फ़ूड
MTR के संस्थापकों ने अपने होटल से प्रसिद्धि पाने के बाद अपना बनाया हुआ स्वादिष्ट भोजन पूरी दुनिया तक पहुंचने का निर्णय लिया। इस सोच के साथ उन्होंने सभी साउथ इंडियन खाद्य उत्पादों के पैकेज्ड आइटम बनाने का फैसला लिया। धीरे- धीरे देखते देखते उन्होंने विभिन्न साउथ इंडियन डिशेस के पैकेज्ड फ़ूड बेचने शुरू किये और आज MTR के यह पैकेट भारत ही नहीं पूरी दुनिया में प्रसिद्द है। यह बनमे में ही आसान नहीं हे बल्कि खाने में भी बेहद स्वादिष्ट है।