ज्यादा पानी पीने से हो सकते हैं दिल के मरीज, जानिए क्यों देता है बीमारियों को बुलावा

Update:2017-07-30 20:08 IST

लखनऊ: आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में व्यक्ति को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह दी जाती है। आपने भी यदि किसी डॉक्टर से परामर्श लिया होगा, तो उसकी राय भी यही होगी। आए दिन हम सब का इस अनुभव से सामना होता है। लेकिन आयुर्वेदिक दृष्टिकोण के मुताबिक, अधिक पानी पीना सेहत के लिए खतरनाक है। इससे आपकी किडनी भी डैमेज हो सकती है। हृदय रोग, रक्त अल्पतता, सिरदर्द, बेचैनी, अनिद्रा, अपच और पेट की कई बीमारियों के आप शिकार हो सकते हैं।

प्रसिद्ध गोल्ड मेडलिस्ट आयुर्वेदाचार डॉ परमेश्वर अरोड़ा मॉडर्न मेडिकल साइंस के इसी सिद्धांत को चुनौती दे रहे हैं। उनका कहना है कि जरुरत से ज्यादा जलसेवन से आपकी सेहत बिगड़ सकती है। पौराणिक वेदों का हवाला देते हुए वह कहते हैं, कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए किसी व्यक्ति को न्यूनतम र्प्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। अनेक ऐसे रोग हैं जिसमें जल पीने पर रोक लगाई गई है।

डॉ अरोड़ा बताते हैं, कि आयुर्वेद शास्त्रों के अनुसार पेट के सभी रोग जैसे कब्ज,एसिडिटी आदि पाचक अग्नि की कमी के कारण होते हैं। यदि हम शरीर में पाचक अग्नि की मात्रा बढ़ा दें, तो इन रोगों से छुटकारा मिल जाएगा। ऐसे में यदि हम अग्नि के शत्रु जल का प्रयोग करते हैं तो भला पाचक अग्नि कैसे बढ़ेगी। क्षणिक लाभ के लिए अत्यधिक जल का सेवन पेट के सामान्य रोंगों को भी असाध्य रोगों में बदल देता है।

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आखिर कब कितना जल

डॉ अरोड़ा कहते हैं, कि शरद व गर्मी के मौसम को छोड़कर एक स्वस्थ व्यक्ति को कम मात्रा में जल पीना चाहिए।

भोजन से पहले जल पीने से पाचक अग्नि मंद हो जाती है। इससे शरीर में दुर्बलता होती है।

भोजन के बाद जल पीने से मोटापा और कफ की वृद्धि होती है।

भोजन के बीच में जल पीने से अंगों में समता होती है। अन्न भी ठीक से पच जाता है।

भोजन के समय अधिक जल पीने से अन्न नहीं पचता है।

भोजन के समय कुछ भी जल नहीं पीने से अन्न नहीं पचता है।

भोजन के समय पाचक अग्नि को बढ़ाने के लिए थोड़ा-थोड़ा जल पीएं।

अधिक जल पीने से होने वाली हानियां

अधिक जल पीने से शरीर में खून की मात्रा बढ़ जाती है इससे हृदय पर दबाव बढ़ता है।

धमनियों पर भी खून का दबाव बढ़ जाता है।

ज्यादा पानी पीने से जी मिचलाना, उल्टी, पेट में भारी पन, थकान, आलस, सिरदर्द हो सकता है।

शरीर में जल ठहराव की अवस्था उत्पन्न हो सकती है। इससे शरीर के अंगों में सूजन होता है।

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ऐसे करें जल का सेवन

सुबह खाली पेट एक गिलास गरम पानी पीना चाहिए।

भोजन के साथ बार-बार थोड़ा-थोड़ा करके एक कप यानि 100 से 150 एमएल पानी पीना चाहिए।

हर एक से दो घंटे पर प्यास न लगने पर भी एक से दो घूंट पानी पीना चाहिए।

आयुर्वेद पुराने वेदों के सिद्धांत पर काम करता है। पहले के समय के लोगों की आयु अधिक होती थी क्योंकि वह बीमार होने पर जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल करते थे। अधिक पानी का सेवन लोगों के लिए खतरनाक है।

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