चीन को झटका: अब भारत ने इसको किया बाय-बाय, स्वदेशी प्रोडक्ट का किया वेलकम

भारत-चीन तनाव के चलते देश में चीनी सामान के बहिष्कार के अभियान में कास्मेटिक इंडस्ट्री भी शामिल हो गई है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में चीन सामान के आयात में कमी दर्ज की गई है।

Update: 2020-07-18 08:01 GMT

नई दिल्ली: भारत-चीन तनाव के चलते देश में चीनी सामान के बहिष्कार के अभियान में कास्मेटिक इंडस्ट्री भी शामिल हो गई है। उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में चीन सामान के आयात में कमी दर्ज की गई है। देश में प्रति वर्ष करोड़ों रूपए के कॉस्मेटिक प्रोडक्ट और कच्चा माल आयात किए जाता है जिनमें चीन की बड़ी हिस्सेदारी है। चीन से कच्चे माल के अलावा कॉस्मेटिक्स के ढेरों आइटम आयात होते हैं। चीनी उत्पादों के लिए छोटे शहर, कस्बे और गाँव सबसे बड़े बाजार हैं क्यों कि ये आइटम काफी सस्ते होते हैं। राजधानी दिल्ली में चीनी कॉस्मेटिक्स के होलसेल मार्केट हैं जहां से बड़े पैमाने पर माल अन्य शहरों में डिस्ट्रीब्यूट होता है।

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उत्तराखंड और हिमाचल की बड़ी पहल

उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश ने चीन को झटका देने के लिए बड़ी पहल की है। इन दोनों राज्यों के औद्योगिक सेक्टर में हर्बल कॉस्मेटिक प्रोडक्ट का उत्पादन शुरू कर दिया है। ये न सिर्फ भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है बल्कि चीन को आर्थिक चोट पहुंचाने की भी कोशिश है। अकेले उत्तराखंड में चीनी कास्मेटिक प्रोडक्ट पर लगभग 40 फीसदी तक की गिरावट दर्ज किए जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। अब हर्बल कास्मेटिक के की बढ़ती मांग के बाद चीनी प्रोडक्ट्स के आयात में और गिरावट दर्ज की जा सकती है। उत्तराखंड में कॉस्मेटिक्स की 327 यूनिट्स हैं जिनमे चीन का सालाना कारोबार 1200 करोड़ रुपये का है। प्रदेश की यूनिट्स में सालाना 2400 क्विंटल चीनी कच्चे माल की खपत होती है।

पतंजलि और हिमालयन ड्रग्स

उत्तराखंड में स्थित पतंजलि और हिमालयन ड्रग्स स्वदेशी कच्चा माल उपयोग करती हैं और इनकी चीन पर किसी तरह की निर्भरता नहीं है। दोनों कपनियों के उत्पादों की देश में बड़ी मांग है। ये कंपनी अपने प्रोडक्ट में स्वदेशी कच्चे माल का इस्तेमाल करती हैं। पतंजलि और हिमालयन ड्रग्स अपने प्रोड्क्ट्स के लिए देश के अलग-अलग राज्यों से कच्चे माल की आपूर्ति करती हैं। इसके लिए उन्होंने बाकायदा जड़ी-बूटी कलस्टर विकसित किए हुए हैं। पतंजलि ज्यादातर कच्चा माल पर्वतीय राज्यों से खरीदती है। दोनों ही कंपनियां अपने उत्पादों में जड़ी-बूटी, फल-फूल, बीज, पत्तियां, मुल्तानी मिट्टी, बादाम, किशमिश, हल्दी, चंदन, लौंग, रीठा, तुलसी, सेंधा नमक, नीम आदि को कच्चे माल के रूप में उपयोग में लाती हैं। रसायनों के विकल्प के चौर पर कंपनियां 50 से अधिक फूलों के एसेंस का प्रयोग करती हैं, जिनमें गुलाब, गेंदा, चंपा, चमेली, गुड़हल, कनेर, आदि शामिल हैं।

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केटीसी कॉस्मेटिक उद्योग में नैचुरल हेयर डाई, मेहंदी, शैंपू, फेसवॉश सहित फेस पैक आदि कई तरह के प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं। प्रदेश में मौजूद औषधीय पौधों से हर्बल प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं। गोदरेज इंडिया, हिंदुस्तान यूनिलीवर, वीवीएफ इंडिया व कुछ अन्य मल्टीनेशनल कंपनी के अधिकारी बताते हैं कि उनके यहां साबुन, हैंड वॉश जैसे उत्पाद बनाए जाते हैं। इनके लिए इस्तेमाल होने वाला कच्चा मैटीरियल गुजरात व मुंबई से उपलब्ध हो जाता है। कुछ अन्य मशीनरी व उपकरणों की आवश्यकता को दूसरे देशों से पूरा कर लेते हैं। भारत में गोदरेज कंपनी भी कच्चे माल का कारोबार कर रही है।

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