Muslim League Ka Pakistan: मुस्लिम लीग की जिद से कैसे बना पाकिस्तान, क्या है इसका इतिहास, आइए जानते हैं

Pakistan Day 2025: हर साल 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस मनाया जाता है। क्योंकि इसी दिन 1956 में पाकिस्तान ने अपना पहला संविधान अपनाया था।;

Written By :  Akshita Pidiha
Update:2025-03-22 14:00 IST

Muslim League Ka Pakistan (Photo Credit- Social Media)

Muslim League Ka Pakistan: 23 मार्च 1940 का दिन भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। इसी दिन, मुस्लिम लीग ने अपने लाहौर अधिवेशन में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया, जिसे बाद में पाकिस्तान प्रस्ताव (Pakistan Resolution) कहा गया। यह प्रस्ताव भारत में मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र बनाने की मांग का औपचारिक और सुस्पष्ट आधार था। इस निर्णय ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नया आयाम दिया और अंततः 1947 में भारत का विभाजन और पाकिस्तान का निर्माण हुआ।

मुस्लिम लीग की स्थापना (Establishment of Muslim League)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

30 दिसंबर 1906 को ढाका में नवाब सलीमुल्लाह, आगा खां और मोहसिन-उल-मुल्क जैसे नेताओं द्वारा ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना की गई थी। मुस्लिम लीग का उद्देश्य शुरुआत में ब्रिटिश शासन के प्रति वफादारी बनाए रखना और मुसलमानों के राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक अधिकारों की रक्षा करना था।

19वीं शताब्दी के अंत और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में हिंदू-मुस्लिम तनाव बढ़ने लगे थे। 1909 के मार्ले-मिंटो सुधार में मुसलमानों को अलग मताधिकार (Separate Electorate) का अधिकार दिया गया, जिससे दोनों समुदायों में अलगाव और बढ़ा। 1937 के प्रांतीय चुनावों में कांग्रेस को भारी जीत मिली, लेकिन मुस्लिम लीग को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इससे मुस्लिम लीग में अलगाव की भावना और मजबूत हुई।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

द्विराष्ट्र सिद्धांत (Two-Nation Theory) का आधार यह था कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र हैं। मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) ने यह तर्क दिया कि दोनों समुदायों का धर्म, संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाज, खान-पान और राजनीतिक विचारधारा अलग-अलग है। इसलिए मुसलमानों को एक अलग राष्ट्र की आवश्यकता है, जहां वे अपने धार्मिक और सामाजिक अधिकारों की रक्षा कर सकें। लाहौर प्रस्ताव 22 से 24 मार्च 1940 के बीच ऑल इंडिया मुस्लिम लीग (All-India Muslim League) के लाहौर अधिवेशन में पारित किया गया था।

इस प्रस्ताव में भारत के मुसलमानों के लिए एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की औपचारिक मांग की गई थी। हालांकि, प्रस्ताव में "पाकिस्तान" शब्द का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं था, लेकिन इसे पाकिस्तान के गठन का आधार माना जाता है। प्रस्ताव में ऐसे भौगोलिक रूप से जुड़े क्षेत्रों का उल्लेख किया गया था, जहां मुस्लिम बहुसंख्यक थे। इन्हें स्वायत्त और संप्रभु राष्ट्रों में बदलने की मांग की गई थी।

प्रस्ताव का पारित होना और उसका महत्व

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

23 मार्च 1956 को पाकिस्तान ने अपना पहला संविधान अपनाया। इस दिन पाकिस्तान डोमिनियन ऑफ पाकिस्तान से इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान (Islamic Republic of Pakistan) में परिवर्तित हुआ। इसीलिए 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस (Pakistan Day) के रूप में मनाया जाता है।1960 से 1968 के बीच लाहौर में लाहौर प्रस्ताव को यादगार बनाने के लिए मीनार-ए-पाकिस्तान का निर्माण किया गया। इस स्मारक के आधार पर प्रस्ताव का पूरा पाठ अंकित किया गया है, जो पाकिस्तान के गठन की याद दिलाता है।

प्रस्ताव की व्याख्या और विवाद

लाहौर प्रस्ताव में "उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों" (North-Western and Eastern Zones of India) और "स्वतंत्र राष्ट्रों" (Independent States) का उल्लेख किया गया था। इस शब्दावली को लेकर इतिहासकारों के बीच बहस है। कुछ लोगों का मानना है कि यह प्रस्ताव एक मुस्लिम राष्ट्र के बजाय दो अलग-अलग मुस्लिम राष्ट्रों की मांग कर रहा था। हालांकि, मुस्लिम लीग और मोहम्मद अली जिन्ना ने स्पष्ट रूप से इसे हिंदू और मुसलमानों के लिए अलग-अलग देशों के निर्माण की मांग बताया।

लाहौर प्रस्ताव की पृष्ठभूमि

1930 के दशक की शुरुआत तक, कई मुसलमान भारत में बेहतर राजनीतिक प्रतिनिधित्व और अधिकारों की रक्षा की मांग कर रहे थे। भारत सरकार अधिनियम, 1935 (Government of India Act, 1935) में मुसलमानों को अलग निर्वाचक मंडल (Separate Electorate) का अधिकार मिला था, जिससे उनके राजनीतिक प्रतिनिधित्व को बल मिला। हालांकि, दशक के अंत तक मुस्लिम लीग में अलगाववादी भावना बढ़ने लगी थी।

1930 के दशक में मुसलमानों में भारत से पूर्णतः अलग होने की मांग जोर पकड़ने लगी। मुसलमानों को लगता था कि स्वतंत्र भारत में वे हिंदू बहुसंख्यक समाज के अधीन हो जाएंगे। हिंदू महासभा और कांग्रेस की नीतियों को मुस्लिम लीग ने मुस्लिम विरोधी बताया, जिससे अलगाव की भावना मजबूत हुई।

लाहौर प्रस्ताव का अधिवेशन 19 मार्च 1940 को लाहौर में हुए खाकसार त्रासदी (Khaksar Tragedy) के बाद हुआ था। खाकसार आंदोलन एक मुस्लिम समूह था, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहा था। 19 मार्च को ब्रिटिश सेना ने लाहौर में खाकसारों पर गोलीबारी की, जिसमें कई लोग मारे गए।इस घटना ने मुस्लिम लीग में अलगाववादी भावना को और तेज कर दिया।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

इस अधिवेशन में मोहम्मद अली जिन्ना ने ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसने पाकिस्तान आंदोलन को गति दी। जिन्ना ने कहा कि हिंदू और मुसलमान अलग-अलग राष्ट्र हैं और एक साथ नहीं रह सकते। उनके भाषण ने पाकिस्तान के निर्माण की मांग को मजबूत आधार दिया। जिन्ना का यह भाषण उन्हें पाकिस्तान आंदोलन का मुख्य नेता बना गया।

इतिहासकार स्टैनली वोल्पर्ट (Stanley Wolpert) ने अपनी पुस्तक "Jinnah of Pakistan" में लिखा कि लाहौर में जिन्ना का भाषण उनके विचारों में निर्णायक परिवर्तन को दर्शाता है। वोल्पर्ट के अनुसार, लाहौर अधिवेशन के बाद जिन्ना ने संयुक्त भारत के विचार को पूरी तरह त्याग दिया और पाकिस्तान की मांग को लेकर दृढ़ हो गए।

लाहौर प्रस्ताव पर आलोचना और विरोध

लाहौर प्रस्ताव का कई भारतीय मुसलमानों ने विरोध किया। अबुल कलाम आज़ाद और देवबंद उलेमा के नेता हुसैन अहमद मदनी जैसे प्रमुख मुस्लिम नेता विभाजन के खिलाफ थे। वे एक संयुक्त भारत के पक्षधर थे और विभाजन को मुसलमानों के लिए हानिकारक मानते थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पाकिस्तान की मांग को खारिज कर दिया। कांग्रेस ने इसे "अवास्तविक" और "देश को विभाजित करने वाला" बताया।

नई दिल्ली में पाकिस्तान दिवस का आयोजन

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नई दिल्ली में हर साल पाकिस्तान दिवस का आयोजन पाकिस्तान दूतावास (Pakistan Embassy) में किया जाता है। इस कार्यक्रम में विभिन्न देशों के राजनयिक और भारतीय मेहमान शामिल होते हैं। कार्यक्रम में भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रगान बजाए जाते हैं और दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया जाता है।

इस वर्ष पाकिस्तान दिवस का आयोजन 28 मार्च को नई दिल्ली में प्रस्तावित है। इसका उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक संवाद को बढ़ावा देना है। 23 मार्च 1940 को पारित लाहौर प्रस्ताव पाकिस्तान के निर्माण में मील का पत्थर साबित हुआ। हालांकि प्रस्ताव में "पाकिस्तान" शब्द का उल्लेख नहीं था, लेकिन इसका अर्थ एक अलग मुस्लिम राष्ट्र की स्थापना था। इस प्रस्ताव ने भारतीय उपमहाद्वीप का राजनीतिक भूगोल बदल दिया और भारत-पाकिस्तान विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया। आज भी 23 मार्च को पाकिस्तान में राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है, जो इस ऐतिहासिक प्रस्ताव की याद दिलाता है।

23 मार्च 1940 का लाहौर प्रस्ताव भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था। यह प्रस्ताव भारत के विभाजन का आधार बना और पाकिस्तान के गठन का मार्ग प्रशस्त किया। हालांकि, इसके कारण उपमहाद्वीप में सांप्रदायिकता और विभाजन की त्रासदी देखी गई। पाकिस्तान प्रस्ताव केवल मुस्लिम लीग की राजनीतिक मांग नहीं थी, बल्कि एक ऐसी ऐतिहासिक घटना थी, जिसने दक्षिण एशिया का भूगोल और भविष्य हमेशा के लिए बदल दिया।

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