Premanand Ji Maharaj Motivation: क्यों है अपने कर्मो के प्रति सचेत रहने की ज़रूरत, जानिए बच्चों की पढ़ाई कैसे उन्हें सृष्टि से जोड़ती है

Premanand Ji Maharaj Motivation: श्री प्रेमानंद महाराज जी महाराज जी का मानना है कि आपके कर्म ही आपके लिए अच्छा और बुरा भाग्य तय करते हैं। इसलिए आपको अपने कर्मो के प्रति सचेत रहने की ज़रूरत है।

Update:2023-09-29 07:15 IST

Premanand Ji Maharaj (Image Credit-Social Media)

Premanand Ji Maharaj Motivation: श्री प्रेमानंद महाराज जी राधा रानी के परम भक्त हैं उन्होंने हमेशा अपने भक्तों को सत्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया है। वहीँ महाराज जी प्रतिदिन 2 बजे उठकर वृंदावन की परिक्रमा करते हैं। इस दौरान कई लोग उनके दर्शन करने भी आते हैं। परिक्रमा के बाद महाराज जी बांके बिहारी जी और राधा वल्लब के दर्शन भी करते हैं। इसके बाद वो सत्संग करते हैं साथ ही सभी को अपने प्रवचनों के माध्यम से प्रेरित करते हैं। वहीँ महाराज जी का मानना है कि आपके कर्म ही आपके लिए अच्छा और बुरा भाग्य तय करते हैं। इसलिए आपको अपने कर्मो के प्रति सचेत रहने की ज़रूरत है।

क्यों है अपने कर्मो के प्रति सचेत रहने की ज़रूरत

प्रेमानंद जी ने बताया कि ये समय है कलयुग में अपने कर्मों पर नज़र रखने का। दरअसल महारज जी के सत्संग के दौरान एक वकील उनसे मिलने आये साथ ही इस वकील ने महाराज जी से पूछा कि कलयुग में अपने कर्मों पर नजर कैसे रख सकते हैं। इसपर प्रेमानंद जी ने कहा कि इसके लिए हमे साधना करनी होगी। अगर आप सही से साधना करते हैं तो आप समझ जाइएगा कि आप सतयुग में ही हैं। अगर आप भगवान् के नाम का जाप करते हैं और सही आहार ले रहे है और अच्छे व्यवहार कर रहे हैं तो आप सतयुग में हैं कलयुग में नहीं।

इसके बाद महाराज जी ने ये भी बताया कि पढ़ाई क्यों ज़रूरी होती है। दरअसल प्रेमानंद जी महाराज के सन्मुख 10वीं और 12वीं में पढ़ने वाले 2 बच्चे आए। दोनों भाई बहन थे। दोनों ने बताया कि वो दोनों ही प्रभु नाम का जाप करते हैं। वहीँ उन्होंने कहा कि पढ़ाई करते समय ध्यान आता है कि अगर संसारिक पढ़ाई का अध्यात्म में महत्व ही नहीं है तो पढ़ाई की आवश्यकता ही क्यों है। इस प्रश्न का जवाब देते हुए प्रेमानंद जी ने कहा कि जब हमारा जन्म इस सृष्टि में हुआ है तो हम सभी को कोई न कोई सेवा करनी होगी ही। इसके बाद उन्होंने कहा कि अगर हमें सृष्टि से जुड़ा ज्ञान नहीं होता है तो आप सही से पढ़ाई नहीं कर पाते हैं। साथ ही पढ़ाई लिखाई से दूर बच्चे हमारे समाज की सेवा कैसे कर पाएंगे। इसके बाद महाराज जी ने बताया कि पढ़ाई करना भी भगवान् का जप करने के समान है।

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