Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं जिसका चरित्र ठीक नहीं है, वह कभी सुखी नहीं हो पाएगा इसलिए चरित्रवान बनो

Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचन सुनकर लोग अपने जीवन में अगर इसे आत्मसात कर लेते हैं तो काफी बड़ी बात है। आइये उनके इन्ही अनमोल विचारों पर एक नज़र डालते हैं।

Newstrack :  Network
Update:2024-07-07 07:30 IST

Premanand Ji Maharaj (Image Credit-Social Media)

Premanand Ji Maharaj: वृन्दावन के प्रेमानंद जी महाराज सोशल मीडिया पर बेहद पॉपुलर हैं वो इस भौतिकवादी युग में लोगों को आध्यात्मिक जीवन की ओर नयी किरण और नई दिशा का रास्ता दिखा रहे हैं और मनुष्य को सत्यमार्ग पर अग्रसर करने में मदद कर रहे हैं। उनके प्रवचन युवा पीढ़ी को भी आकर्षित कर रहे हैं और उन्हें सही गलत का अंतर समझा रहे हैं। आइये प्रेमानंद जी के कुछ अनमोल विचारों पर एक नज़र डालते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल विचार (Premanand Ji Maharaj Anmol Vichaar)

  • सुख एवं दुःख की स्थिति सत्य नहीं है। सुख का स्वरुप विचार से है।
  • जो हरि का भक्त होता है, उसे हमेशा जय की प्राप्ति होती है। उसे कोई परास्त नहीं कर सकता है।
  • जिनके मुख में प्रभु का नाम नहीं है, वह भले ही जीवित है लेकिन मुख से मरा हुआ है।
  • कोई व्यक्ति तुम्हें दु:ख नहीं देता बल्कि तुम्हारे कर्म उस व्यक्ति के द्वारा दु:ख के रूप में प्राप्त होते हैं।
  • जिसका चरित्र ठीक नहीं है, वह कभी सुखी नहीं हो पाएगा इसलिए चरित्रवान बनो।
  • हमें सच्चा प्रेम प्रभु से प्राप्त होता है। किसी व्यक्ति से क्या होगा, कोई व्यक्ति हमसे प्यार कर ही नहीं सकता क्योंकि वो हमे जानता ही नहीं तो कैसे करेगा।
  • बहुत होश में यह मत सोचो कोई देख नहीं रहा। आज तुम बुरा कर रहे हो, तो तुम्हारे पुण्य खर्चा हो रहे हैं। जिस दिन तुम्हारे पुण्य खर्चे हुए, अभी का पाप और पीछे का पाप मिलेगा, त्रिभुवन में कोई तुम्हें बचा नहीं सकेगा।
  • क्रोध से कभी किसी का मंगल नहीं हुआ है, ये आपके समस्त गुणों का नाश कर देता है।
  • कौन क्या कर रहा है, इस पर ध्यान मत दो। केवल हमें सुधारना है, इस पर ध्यान दो।
  • ब्रह्मचर्य की रक्षा करें। ब्रह्मचर्य बहुत बड़ा अमृत तत्व है, मूर्खता के कारण लोग इसे ध्यान नहीं देते हैं।
  • क्रोध को शांत करने के लिए एक ही उपाय है... बजाय यह सोचने के कि उसका हमारे प्रति क्या कर्तव्य है, हम यह सोचे कि हमारा उसके प्रति क्या कर्तव्य है।
  • दुखिया को न सताइए दुखिया देवेगा रोए, दुखिया का जो मुखिया सुने, तो तेरी गति क्या होए।
  • प्रभु का नाम जप संख्या से नहीं, डूब कर करो।
  • यदि हम अपने मन को शांत और स्थिर करना चाहते हैं तो इसका एक उपाय यह है कि हम दृढ़तापूर्वक भगवान के चरणों में शरण लें और उनके नाम का जाप करें।
  • स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दो। यह जीवन जैसा भी है, उनका दिया हुआ है। तुम्हारे पास जितने भी साधन संसाधन है, वह उनकी कृपा का प्रभाव है। तुम जिसका भोग कर रहे हो, वह सब ईश्वर का है। ऐसे विचार के साथ कर्म करो, जीवन यापन करो, जीवन सुखमय होगा। 
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