Student Committing Suicide: क्यों कोटा में लगातार स्टूडेंट के सुसाइड के मामले आ रहे सामने, माता पिता ऐसे कर सकते बच्चों की मदद

Student Committing Suicide: माता पिता के रूप में आप अपने बच्चों को तनाव में रहने और किसी तरह की परेशानी को कम करके उन्हें सकारात्मक सोच के साथ आगे ला सकते हैं। जिससे वो सुसाइड जैसी चीज़ के बारे में सोचे भी न।

Update:2024-01-31 11:49 IST

Student Committing Suicide (Image Credit-Social Media)

Student Committing Suicide:  माता पिता अपने बच्चों को आगे बढ़ते देखना चाहते हैं ऐसे में वो हर संभव प्रयास करते हैं कि वो अपने जीवन में सफल हो जाएं। लेकिन वहीँ जब बच्चे अपने जीवन में आई परेशानी से हार कर उस जीवन को ही ख़त्म कर लेते हैं तो ऐसे में माता पिता किस दौर से गुज़रते हैं ये पैरेंट्स होने के नाते वो अच्छे से समझते हैं। कोटा में स्टूडेंट्स के बीच हो रही सुसाइड की घटनाओं में बीते कुछ समय में काफी वृद्धि हुई है जो एक चिंताजनक स्थिति है। लेकिन ऐसे में माता पिता कुछ टिप्स अपनाकर उन्हें ऐसा करने से रोक सकते हैं। आइये जानते हैं क्या हैं ये टिप्स।

बच्चों में बढ़ रही सुसाइड करने की भावना को रोकने का ऐसे करें प्रयास

जहाँ कोटा भारत के प्रमुख शैक्षिक हब के रूप में अपनी विशेष जगह रखता हैं वहीँ अब इसकी चर्चा एक गंभीर सामाजिक मुद्दे को लेकर ज़्यादा हो रही है, वो है छात्रों के सुसाइड के मामले। कोटा में कई प्रतिस्पर्धी कोचिंग संस्थान मौजूद है। जहाँ हर साल लाखों स्टूडेंट्स आपने भविष्य को सही दिशा की ओर आगे बढ़ाने के लिए आते हैं। यहाँ वो विभिन्न प्रतिष्ठित परीक्षाएं जैसे IIT-JEE और NEET की तैयारी करते हैं। लेकिन इन सबके बीच यहाँ छात्रों का सुसाइड करना काफी चिंताजनक स्थिति तक आ गया है। जिसके पीछे का कारण जैसे अधिक प्रतिस्पर्धा, अकेलापन, घर से दूरी, और परीक्षा का दबाव। लेकिन इन सबके बीच माता-पिता की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। जहाँ स्टूडेंट्स तनाव और चिंता का अनुभव करते हैं जिसकी वजह से वो गलत निर्णय ले लेते हैं। ऐसे में आइये जानते हैं कि पेरेंट्स कैसे उन्हें इस विचार से बचाएं और ऐसा कोई कदम उठाने न दें।

कम्युनिकेशन को सरल बनाये

अपने बच्चों के साथ ओपन कम्युनिकेशन रखें जिससे वो आपसे अपने मन की बात कहने में हिचकिचाए नहीं। उन्हें अपनी चिंताएं, बात और मानसिक स्थिति के बारे में बात करने का मौका दें। बच्चों की भावनात्मक स्थिति को समझिये और उनसे सकारात्मक बातचीत करते रहे। अक्सर बच्चे अपनी समस्याओं और नकारात्मक भावना के बारे में माता पिता से बात नहीं कर पाते हैं। लेकिन अगर उनसे ओपन कम्युनिकेशन रखा जाये तो वो आपसे खुलकर कर अपनी बात कर पाएंगे।

अपनी अपेक्षाओं को उनपर हावी न होने दें

बच्चों पर अनुचित या ज़्यादा पढ़ाई को लेकर दबाव मत डालिए। उनकी क्या क्षमता है और क्या उनकी रूचि है उसे समझें इसी तरह से उनका मार्गदर्शन करने का प्रयास करें। ज़्यादातर पेरेंट्स समाज में अपनी प्रतिष्ठा और अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए बच्चों पर अनजाने में दबाव डाल देते हैं। जिससे वो इससे दबाव के चलते तनावग्रस्त हो जाते हैं।

उन्हें इमोशनली सपोर्ट करें

माता पिता के रूप में आप अगर अपने बच्चों को ये समझाएं की रिजल्ट कुछ भी हो वो उनके साथ हैं। उन्हें ये अहसास करवाएं कि उनकी कीमत उनके प्रदर्शन से नहीं बल्कि उनसे है, उनके होने से है।

तनाव को कम करने का करें प्रयास

माता पिता अपने बच्चों को ये समझा सकते हैं कि उनके बच्चे तनाव से कैसे निपट सकते हैं। उनकी हॉबी और उनकी रूचि को ध्यान में रखते हुए उन्हें बीच बीच में उसके लिए भी प्रोत्साहित करें।

स्वास्थ का रखें ख्याल

उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ का ख्याल रखना भी बेहद ज़रूरी है। आप भले ही उनसे दूर हों लेकिन उन्हें अच्छी नींद और व्यायाम करने को प्रेरित करें। उन्हें उनके शारीरिक या मानसिक किसी भी तरह की दिक्कत पर ध्यान देने को कहें।

मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ की सहायता ले सकते हैं

अगर आपको लग रहा है कि आपका बच्चा काफी तनावग्रस्त है या आपसे खुलकर बात नहीं कर रहा है तो आप मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ या काउंसलर से परामर्श कर सकते हैं। अक्सर लोग इस तरफ ध्यान नहीं देते और विशेषज्ञ के पास जाने से हिचकिचाते भी हैं। लेकिन अगर कोई गंभीर समस्या आपको दिखाई दे रही है तो संकोच न करें। क्योंकि थोड़ा सा तनाव भी उन्हें गंभीर स्थिति में ला सकता है।

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