World Suicide Prevention Day: आपकी ये कोशिशें बचा सकती हैं किसी की जिंदगी, जानें कैसे करें मदद

Suicide Prevention Day 2024: NCRB की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले पांच सालों में भारत में आत्महत्या के मामलों में लगातार वृद्धि ही दर्ज की गई है। यहां जानें संकेत और कैसे करें मदद।

Written By :  Shreya
Update: 2024-09-10 04:11 GMT

World Suicide Prevention Day (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

World Suicide Prevention Day 2024: हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में विभिन्न गतिविधियों के साथ आत्महत्याओं को रोकने के प्रयास को लेकर लोगों को जागरूक करना है। इसकी शुरुआत साल 2003 में की गई थी। विश्व में आत्महत्या एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। हर साल लाखों की संख्या में लोग सुसाइड कर लेते हैं। भारत में भी आत्महत्या (Suicide Cases In India) के बढ़ते मामले चिंता का कारण बने हुए हैं। परेशान करने वाली बात ये भी है कि देश में छात्र आत्महत्या की वार्षिक दर तेजी से बढ़ी है।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट को देखें तो पिछले पांच सालों में भारत में आत्महत्या (Suicide In India) के मामलों में लगातार वृद्धि ही दर्ज की गई है। आत्महत्या की मुख्य वजहें मानसिक रोग, अवसाद, तनाव, लाचारी और जीवन में कुछ नहीं कर पाने की हताशा हो सकती है। ऐसा नहीं है कि अगर किसी के मन में सुसाइड का ख्याल आता है तो उसकी जान नहीं बचाई जा सकती, बल्कि जरूरत होती है, कुछ लक्षणों पर गौर करने की। जिससे आप ये पता कर सकते हैं कि उस व्यक्ति को आपकी मदद की जरूरत है। आज हम आपको आत्महत्या के कुछ संकेत (Signs Of Suicide In Hindi) और इससे व्यक्ति को कैसे बचाया जाए, इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

क्या हैं आत्महत्या के संकेत (Atamhatya Ke Sanket)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, अगर व्यक्ति के व्यवहार में नीचे बताए गए संकेत दिखें तो उनमें आत्महत्या का विचार आ सकता है-

1- डिप्रेशन

2- हमेशा मन में निगेटिव बातों का आना

3- बेचैनी और घबराहट महसूस होना

4- फेवरेट चीजों में भी दिलचस्पी न रह जाना

5- भविष्य को लेकर नकारात्मक दृष्टिकोण का होना

6- मानसिक स्थिति का एकसमान नहीं रहना

कैसे कर सकते हैं मदद

अगर आपके किसी करीबी, दोस्त या परिवारजन में आत्महत्या के संकेत दिखें तो उन्हें बिल्कुल भी इग्नोर न करें। अगर सही समय पर आप उनकी मदद के लिए आगे आएंगे तो आप किसी की जिंदगी भी बचा सकते हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं आप किसी तरह से सुसाइड का ख्याल उनके मन से निकाल सकते हैं।

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

बात करें

कई बार जिस व्यक्ति के मन में सुसाइड करने का विचार आता है, वो बाहर से तो बेहद नॉर्मल लग रहा होता है, लेकिन अंदर ही अंदर उसे कई तरह की टेंशन खा जा रही होती हैं। यह परिवारिक, फ्यूचर या किसी अन्य चीज को लेकर हो सकती है। ऐसे में आपको कोशिश करनी चाहिए कि वो आपसे खुलकर बात करें और अपने मन की बातें आपके साथ शेयर करें। इस दौरान आप उनकी बातों को सुनें और उन्हें ऐसा फील करवाएं कि आप इस मुश्किल वक्त में उनके साथ खड़े हैं और ये कठिन समय भी निकल जाएगा।

न करें इग्नोर

अगर कोई व्यक्ति किसी तरह के तनाव या डिप्रेशन से जूझ रहा है और आपसे अपने दिल की बात करना चाहता है तो उसे कभी भी इग्नोर न करें। क्योंकि हो सकता है कि बात करके ही उसके दिल का भार कम हो जाए और वह आत्महत्या जैसे ख्यालों से दूरी बना लें। इसीलिए आपको उनकी बातें चुपचाप सुननी चाहिए। साथ ही उनमें आत्मविश्वास जगाने की कोशिश करें।

भावनाओं को समझने की कोशिश करें

कई बार बच्चे अपने माता-पिता को या फिर आपके दोस्त, ऑफिस के सहकर्मी आपको अपने दिल की बात बताने की कोशिश करते हैं, लेकिन आप उन्हें इग्नोर कर देते हैं। इससे उनके मन में ये भावना उत्पन्न हो जाती कि उन्हें समझने वाला कोई नहीं है और फिर वो किसी से भी अपने दिल की बात करना ही बंद कर देते हैं। ऐसे में आप उनकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें। उनकी समस्या को समझें और उसे स्वीकार करें। ये न कहें कि ये तो कोई समस्या नहीं है।

किसी को जज न करें

सबसे पहले तो आपको ये समझने की जरूरत है कि हर व्यक्ति अलग-अलग होता है। सबकी पर्सनैलिटी, रहन-सहन, बात करने का तरीका भी अलग होता है। ऐसे में कभी भी किसी को जज नहीं करना चाहिए और किसी को उसके तौर-तरीकों के लिए बुरा फील नहीं करना चाहिए। कई बार आप जाने-अनजाने में व्यक्ति के दिल को बेहद ठोस पहुंचा देते हैं, जो उन्हें बुरी तरह इफेक्ट करता है। ऐसे में पहल आप खुद से करें। किसी को जज न करें और शर्मिंदगी का एहसास न कराएं।

थेरेपी लेने के लिए करें प्रेरित

कई बार सामने वाले व्यक्ति के मन से निगेटिव विचार निकाल पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में उन्हें थेरेपी लेने के लिए प्रेरित करें। कई बार लोग ये सोचकर डॉक्टर के पास नहीं जाते कि लोग उन्हें मानसिक रोगी समझने लगेंगे। लेकिन थेरेपी के जरिए अवसाद को खत्म किया जा सकता है।

नोट- यह खबर सामान्य जानकारी पर आधारित है। इन उपायों पर अमल करने से पहले संबंधित डॉक्टर से परामर्श करना न भूलें।

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