वर्ल्ड टीबी डे: ऐसे करें पहचान, रहें सतर्क, इसमें लापरवाही लें सकती जान

टीवी के मरीज बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।

Update:2021-03-24 10:45 IST

लखनऊ: देश में कई दशकों से क्षय रोग उन्मूलन कार्य प्रगति पर है। लगभग हर जिले में रोग की जांच की अत्याधुनिक विधि वाली जीन-एक्स्पर्ट मॉलीक्यूलर जांच उपलब्ध है जो मात्र दो घंटे के भीतर टीबी की पक्की जांच करने के साथ ही दवा प्रतिरोधक टीबी की भी जानकारी दे देती है।

खांसते रहने की समस्या

कई लोगों को हमेशा खांसते रहने की समस्या रहती है लेकिन हर खांसते हुए व्यक्ति को टीबी की बीमारी हो, यह जरूरी नहीं है। असल में कुछ ऐसे मुख्य लक्षण जो टीबी और आम खांसी को अलग करते हैं। टीबी के लक्षण कितने भी खतरनाक हो लेकिन अगर सही देखभाल और वक्त पर इसकी पहचान की जाए, तो कम समय में टीबी से छुटकारा पाया जा सकता है।

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टीबी एक संक्रामक रोग है जो मैकोबैक्टोरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक जीवाणु के कारण होता है। यह जीवाणु सीधा आपके फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। नाखून तथा बाल के अलावा यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। यह संक्रामक बीमारी है, जो मरीज के लार, बलगम और उसके संपर्क में रहने से होती है। फेफड़ों के अलावा तपेदिक यूटरस, हड्डियों, मस्तिष्क, लिवर, किडनी और गले में भी हो सकती है। खास बात यह है कि फेफड़े की टीबी के अलावा अन्य अंगों की टीबी संक्रामक नहीं होती है।

टीबी के लक्षण

दो सप्ताह से अधिक होने पर खांसी का आना पल्मोनरी टीबी का प्रमुख लक्षण हैं। सीने में दर्द, बुखार आना, वनज का निरन्तर कम होना, भूख न लगना, कमजोरी या थकान महसूस करना एवं रात में पसीना आना।उपरोक्त कोई भी लक्षण होने पर आप तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए और अपने बलगम की जांच अवश्य करानी चाहिए।


Why TB is dangerous

ऐसे फैलती है यह बीमारी

यह हवा के माध्यम से फैलती है। जब कोई टीबी मरीज खांसता, छींकता या बोलता है तो जीवाणु हवा में फैल जाते हैं। एक टीबी मरीज से 10 लोगों को संक्रमण,एक टीबी मरीज वर्ष भर में कम से कम 10 लोगों को संक्रमित करता है।

ऐसे कराएं टीबी की जांच

टीबी रोग की पुष्टि सामान्यतः बलगम की जांच एंव छाती के एक्स-रे के माध्यम से की जाती है। सभी जांचें नि:शुल्क हैं। इसके लिए मरीज को अपने निकटतम स्वास्थ्य केंद्र या डिस्ट्रिक्ट माइक्रोस्कोपी सेंटर पर होती है।

टीबी का इलाज संभव

टीबी का इलाज संभव है लेकिन इसके लिए 6 से 9 महीने तक एंटी-टी बी दवाएं दी जाती हैं। डॉट्स टीबी के इलाज का प्रमुख माध्यम है। बस यह ध्यान रखें कि डॉक्टर आपको टीबी होने पर जो दवा का कोर्स चला रहा हो, उसको मरीज पूरा करे।

भारत को टीबी-मुक्त बनाने से जुड़े रहे अमिताभ बच्चन के मुताबिक भारत सरकार के नेतृत्व में टीबी को खत्म करने की लड़ाई में हम में से प्रत्येक की महत्वपूर्ण भूमिका है। साथ-साथ काम कर और सम्मिलित क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए हम यह लड़ाई जीत सकते है।

उनका कहना है कि टीबी के मरीजों को लेकर गलत नज़रिया और भेदभाव कहीं भी हो सकता है। कार्यस्थल पर, स्वास्थ्य केंद्र पर, समुदाय में और यहां तक कि अपने घरों में ही। भेदभाव का भय लोगों को समय पर मदद लेने से रोकता है, जिससे बीमारी का इलाज करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि मैं खुद टीबी का मरीज था, इसलिए मेरा इस अभियान से गहरा और ज़्यादा सीधा नाता है।

रोकथाम

तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें, वह भी नियमित तौर पर। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें। आमतौर पर बीमारी खत्म होने के लक्षण दिखने पर मरीज को लगता है कि वह ठीक हो गया है और इलाज रोक देता है। ऐसा बिलकुल न करें। इससे दवा के प्रति रेजिस्टेंट पैदा हो सकता है और बीमारी तो बढ़ ही सकती है, दूसरों में भी टीबी फैलने का खतरा बढ़ जाता है।

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मास्क पहनकर रखें। मास्क नहीं है तो हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर कर लें। इस नैपकिन को ढक्कनवाले डस्टबिन में डालें। बाद में इन नैपकिन को आग लगा दें।

यहां-वहां थूकें नहीं। मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। प्लास्टिक में आग लगाने से बचें।

मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे। मरीज एसी से परहेज करे क्योंकि तब बैक्टीरिया अंदर ही घूमते रहेंगे और दूसरों को बीमार करेंगे।

मरीज खूब पौष्टिक खाना खाए, एक्सरसाइज व योग करें और सामान्य जिंदगी जिएं।मरीज बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।

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