Sahitya, Samaj aur Sanskriti Seminar: जेएनपीजी महाविद्यालय में आजादी के 75 वर्ष पर साहित्य,समाज और संस्कृति राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया
Sahitya, Itihaas, Sanskriti Seminar: संगोष्ठी के मुख्य वक्ता बीएचयू के प्रोफेसर आशीष त्रिपाठी कहते हैं भारत देश में सभी क्षेत्रों का प्रचार प्रसार होगा और समानता पाई जाएगी एवं समाज के सभी वर्गों को समान तरीके से बढ़ने का मौका मिलेगा तभी भारत देश को सही मायने में आजाद कहा जा सकता है।
Sahitya, Samaaj aur Sankriti Seminar: जयनारायण मिश्रा पीजी महाविद्यालय लखनऊ में आजादी के अमृत महोत्सव के तहत साहित्य, समाज व संस्कृति पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के तौर पर बनारस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉक्टर आशीष त्रिपाठी, प्रोफेसर नलिन रंजन सिंह प्रभारी हिंदी विभाग, प्रोफेसर वंदना श्रीवास्तव, महा विद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर मीता शाह एवं उपप्राचार्य प्रोफेसर विनोद चंद्र ने दीप प्रज्वलन कर संगोष्ठी का विधिवत प्रारंभ किया।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता
साहित्य समाज और संस्कृति विषय पर अपने विचार व्यक्त करने के लिए मुख्य वक्ता के रूप में बीएचयू के प्रोफेसर डॉ आशीष त्रिपाठी, बीबीएयू के प्रोफेसर बीडी चौधरी,डॉ अभय प्रताप सिंह, हिंदी संस्थान से डॉ अभिनीता दुबे, दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रोफेसर संजीव कुमार, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला से ड्रॉ पूनम चौहान और डॉशोभा रानी आदि मौजूद रहे। उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिललूम और भारत देश के विभिन्न प्रदेशों सी आई हिंदी के गणमान्य वक्ताओं ने आजादी के अमृत महोत्सव के तहत साहित्य, समाज और संस्कृति विषय पर अपने विचारों को व्यक्त कर सभी छात्रों का ज्ञानवर्धन करा।
साहित्य, समाज व संस्कृति विषय पर मुख्य अतिथियों के विचार
बीएचयू के प्रोफेसर डॉ आशीष त्रिपाठी विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहते हैं “साहित्य समाज का एक दर्पण है । किसी भी समाज को गहराई से जानने के लिए उस समाज के साहित्य को पढ़ना और समझना आवश्यक है। भारतीय इतिहास आजादी के पूर्व से ही बहुत गौरवशाली है लेकिन एक छोटे से विदेशी देश ने भारत पर कब्जा कर अपनी ईस्ट इंडिया कंपनी को इस प्रकार फैलाया कि सभी भारतीय एकजुट होकर अंग्रेजों को भगाने और भारत को आजादी दिलाने में जी जान से लग गए। भारत की इन 75 वर्षों की आजादी को अनेक प्रकार से देखा जा सकता है- महिलाओं की बाहर निकलकर कार्य करने की आज़ादी, दलितों को समानता मिलने की आजादी, आदिवासियों को शहर आकर आगे बढ़ने और नौकरी करने की आज़ादी, शोषित लोगों को और अन्याय से आजादी। जब समाज के सभी वर्ग और क्षेतो में विकास होगा तभी पूरी तरह से भारत की आज़ादी सफल कहलाएगी।”
बीबीएयू के राजनीतिशास्त्र प्रोफेसर बीडी चौधरी भारत की आजादी को राजनीति से जोड़कर कहते हैं “राजनीति किसी भी देश की अहम भूमिका है। देश के संचालन और कार्यभार में राजनीति बहुत आवश्यक है। देश की राजनीति अगर अच्छे ढंग से सुचारु रहेगी तो एक देश अच्छे से चल सकता है। आज के समय में राजनेता मात्र डिश को बढ़ाने और सही तरीके से चलाने के अलावा जातिवाद को अधिक मान्यता प्रदान कर रहे है। आज के समय में राजनीति जातिवाद बन गई है। देश के विकास को कम महत्त्व देते हुए जाति के अनुसार वोट लिए जाते है। सभी राजनेताओं को जातिवाद को पीछे छोड़ कर समाज और भारत देश के विकास के लिए एकजुट होकर कार्य करना चाहिए।”
संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य
दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी भारत देश की आज़ादी के 75 वर्षों की गाथा और समाज के सभी वर्ग एवं क्षेत्रों में समानता, प्रचार- प्रसार एवं समाज के विकास को दर्शाता है। इस संघोष्ठी के माध्यम से भारत देश की संस्कृति, वीर गाथाओ द्वारा लड़ी गयी आज़ादी की लड़ाई को समझने का उद्देश्य है।