Maharashtra Election 2024 : महायुति का सीट बंटवारा फाइनल, गठबंधन की मजबूती के लिए BJP ने किया 16 सीटों का त्याग

Maharashtra Election 2024 : महाराष्ट्र में इन दिनों विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां काफी तेज हैं। मंगलवार को नामांकन का आखिरी दिन होने के कारण विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में पर्चा दाखिल करने वालों की काफी भीड़ उमड़ी।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-10-29 17:26 IST

Maharashtra Election 2024 : महाराष्ट्र में इन दिनों विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां काफी तेज हैं। मंगलवार को नामांकन का आखिरी दिन होने के कारण विभिन्न चुनाव क्षेत्रों में पर्चा दाखिल करने वालों की काफी भीड़ उमड़ी। नामांकन दाखिले के आखिरी दिन जाकर ही सत्तारूढ़ महायुति में सीट बंटवारे की तस्वीर साफ हो सकी है। सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा सबसे अधिक 148 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है।

पार्टी ने नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन दो सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित किए। 2019 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने 164 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। इस तरह पार्टी ने मौजूदा विधानसभा चुनाव में गठबंधन की मजबूती के लिए 16 सीटों का त्याग किया है।

सत्तारूढ़ गठबंधन में इस तरह हुआ सीटों का बंटवारा

सत्तारूढ़ महायुति में बिना किसी बड़े विवाद के सब सफलतापूर्वक सीट बंटवारे को बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा के अलावा दो अन्य प्रमुख दल शिवसेना का शिंदे गुट और एनसीपी का अजित पवार गुट शामिल है। तीनों दलों ने मिलकर आपस में सफलता पूर्वक सीट बंटवारा कर लिया है। इसके मुताबिक बीजेपी सबसे अधिक 148 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

शिवसेना के शिंदे गुट के हिस्से में विधानसभा की 85 सीटें आई हैं जबकि एनसीपी के अजित पवार गुट ने 51 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। गठबंधन में शामिल होने छोटे दलों को चार सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका दिया गया है।

2019 में 164 सीटों पर लड़ी थी भाजपा

2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र के सियासी हालात बिलकुल अलग थे। उस समय भाजपा का अविभाजित शिवसेना के साथ गठबंधन था। उस समय शिवसेना दोफाड़ नहीं हुई थी। इस गठबंधन के तहत भाजपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिनमें 105 सीटों पर पार्टी प्रत्याशियों को जीत हासिल हुई थी।

दूसरी ओर उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना ने 126 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे 56 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बाद में मुख्यमंत्री पद को लेकर दोनों दलों के बीच मतभेद पैदा हो गए थे और गठबंधन टूट गया था। कांग्रेस और शरद पवार का समर्थन हासिल करके उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने में कामयाब हुए थे।

भाजपा ने किया 16 सीटों का त्याग

इस बार भाजपा 148 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। महायुति गठबंधन की मजबूती के लिए पार्टी ने इस बार 16 सीटों का बलिदान किया है। पार्टी ने बड़ा दिल दिखाते हुए अपनी ये 16 सीटें सहयोगी दलों को दे दी हैं। भाजपा ने अपनी पहली सूची में 99 प्रत्याशियों के नाम घोषित किए थे। दूसरी सूची में 22 और फिर तीसरी सूची में 25 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया गया था। नामांकन के आखिरी दिन पार्टी ने दो सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए।

भाजपा की चौथी और आखिरी सूची में पूर्व विधायक नरेन्द्र मेहता को ठाणे जिले के मीरा भयंदर विधानसभा क्षेत्र से और सुधीर परवे को नागपुर जिले के उमरेड (अनुसूचित जाति) विधानसभा क्षेत्र से उतारने का ऐलान किया गया।

शिवसेना के दोफाड़ होने के बावजूद एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने गठबंधन के भीतर अच्छी बार्गेनिंग की और उसने 85 सीटें हासिल कर लीं। 4 महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव के दौरान काफी खराब प्रदर्शन करने वाली अजित पवार की एनसीपी ने भी 51 सीटें हथिया ली हैं।

मुख्यमंत्री पद को लेकर नया फॉर्मूला

वैसे इस बार के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा की ओर से दबाव बढ़ा दिया गया है। जानकार सूत्रों के मुताबिक चुनाव नतीजे के बाद गठबंधन की जीत की स्थिति में नए मुख्यमंत्री को लेकर भाजपा की ओर से नया फॉर्मूला दिया गया है। भाजपा की ओर से इस बार स्पष्ट कर दिया गया है कि सबसे अधिक सीटें जीतने वाले दल का नेता ही अगला मुख्यमंत्री होगा। इस फॉर्मूले के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री पद के सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं।

हालांकि इस फॉर्मूले का खुलकर ऐलान नहीं किया गया है मगर इस फॉर्मूले को लेकर सहयोगी दलों के बीच चर्चा जरूर हुई है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई फडणवीस के ही हाथों में है। वे पूर्व में भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में महायुति के चुनाव जीतने पर वे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री हो सकते हैं।

दूसरी ओर यह भी सच्चाई है कि शिवसेना शिंदे गुट की ओर से शिंदे के नाम को लेकर दबाव बनाया जा रहा है। शिंदे की शिवसेना से जुड़े नेताओं का मानना है कि उनकी अगुवाई में ही महाराष्ट्र में सत्ता बदलने में कामयाबी मिली है। इसलिए उन्हें फिर मौका दिया जाना चाहिए। हालांकि बीजेपी अब इसके के लिए तैयार नहीं दिख रही है।

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