फिजिकल रिलेशन वाले ध्यान दें, बॉम्बे हाईकोर्ट का जवाब, फिजिकल रिलेशन के बाद शादी से इनकार करना धोखाधड़ी नहीं

Physical Relationship: बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने ये टिप्पणी निचली अदालत (Trial Court) की ओर से एक युवक को दोषी ठहराए जाने के फैसले को लेकर कहा है।

Newstrack :  Network
Published By :  Ragini Sinha
Update: 2021-12-21 10:44 GMT

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Physical Relationship: रिलेशनशिप (Relationship) को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High court) ने कहा कि अगर लंबे समय तक फिजिकल रिलेशन (physical relationship) में रहने के बाद कोई शादी से इनकार करता है, तो उसे धोखाधड़ी नहीं माना जा सकता है। बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने ये टिप्पणी निचली अदालत (Trial Court) की ओर से एक युवक को दोषी ठहराए जाने के फैसले को लेकर कहा है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल, मामले में एक युवती ने अपने प्रेमी पर शादी का वादा कर उसके साथ फिजिकल रिलेशन (Physical Relation) बनाने का आरोप लगया। युवती ने कहा कि पालघर में रहने वाले युवक के खिलाफ थाने में मामले दर्ज करवाया है। इस मामले में 19 फरवरी 1999 करे अतिरिक्‍त सेशन जज ने काशीनाथ (Kashinath) को रेप के आरोप में तो बरी कर दिया था लेकिन धोखाधड़ी में दोषी पाया था।

महिला और आरोपी के बीच तीन साल से रिश्‍ता था

मामले में निचली अदालत (trial court) ने काशीनाथ घरात (Kashinath gharat) को 3 साल के बाद शादी से इनकार करने के आरोप में एक साल की सजा सुनाई थी। इसी को लेकर काशीनाथ ने इस आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई ने कहा कि सभी तथ्‍यों को देखने के बाद पता चलता है कि महिला और आरोपी के बीच तीन साल से रिश्‍ता था और फिजिकल रिलेशनशिप (Physical Relationship) में भी थे। कोर्ट ने कहा कि महिला के बयानों से यह साबित नहीं होता है कि वह किसी तरह के धोखे में रखी गई थी। वहीं, कोर्ट ने काशीनाथ को इस आरोप से मुक्त कर कर दिया।

कोर्ट ने युवक को किया मुक्त

जज ने आगे कहा कि मामला जानने के बाद पता चला कि आरोपी के खिलाफ ऐसे कोई सबूत नही मिले हैं, जिससे ये साबित हो कि आरोपी युवती से शादी नहीं करना चाहता था। इस बात का भी सबूत नहीं मिला है कि आरोपी ने महिला को गलत जानकारी देकर उसके साथ संबंध बनाए। ऐसे में उसे लंबे रिलेशनशिप के बाद शादी से इनकार करने के लिए धोखाधड़ी का दोषी नहीं माना जा सकता है ।

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