CM अखिलेश का निष्कासन हो सकता है रद्द, पार्टी से निकाले गए अमर सिंह
चीफ मिनिस्टर अखिलेश यादव का पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासन वापस हो सकता है, लेकिन महासचिव अमर सिंह का जाना अब तय हो गया है।
लखनऊ: समाजवादी पार्टी में चल रहे निष्कासन और बैठकों के बीच सीएम अखिलेश यादव और अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव के बीच बातचीत चल रही है। सूत्रों के अनुसार, सीएम का पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासन वापस हो सकता है, लेकिन महासचिव अमर सिंह का जाना अब तय हो गया है। अमर सिंह अभी लंदन में हैं और उन्होंने वहीं से पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलायम सिंह को समर्थन देने की अपील की।
इस शर्त पर राजी हुए सीएम ...
सपा सूत्रों के अनुसार, सीएम अखिलेश अपने पिता और पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह से इस शर्त पर बात करने को राजी हुए हैं कि पहले अमर सिंह को बाहर का रास्ता दिखाया जाए। अब चूंकि सीएम और मुलायम की बात हो रही है इसलिए तय माना जा रहा है कि अमर सिंह अब सपा से बाहर होंगे। अखिलेश लगातार ये आरोप लगाते रहे हैं कि पार्टी में चल रहे घमासान के सूत्रधार अमर सिंह हैं और उन्हें पार्टी से बाहर किए बिना किसी तरह का कोई समझौता नहीं हो सकता।
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आजम ने संभाली समझौते की कमान
-अखिलेश और मुलायम के बीच समझौते की कमान आजम खान ने संभाली है।
-इस दंगल में सपा परिवार के करीबी और मंत्री आजम खान असमंजस की स्थिति में थे।
-आजम का कहना था कि वो किसी भी बैठक में नहीं जाएंगे।
-जो हो रहा है वो सही नहीं है। वो बीच-बचाव करने की कोशिश करेंगे।
-बातचीत से बीच का रास्ता निकाला जा सकता है।
-इसी कोशिश के तहत वो अखिलेश को लेकर मुलायम के आवास पर पहुंचे हैं।
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आजम खान ने क्या कहा था ?
-आजम खान ने मुलायम सिंह और सीएम अखिलेश के बीच चल रहे घमासान पर अफसोस जताते हुए शुक्रवार (30 दिसंबर) को कहा था कि ये पार्टी बहुत संघर्ष के बाद बनी है।
-आज जो कुछ हो रहा है वह इतिहास में बहुत खराब लफ्जों में लिखा जाएगा।
-क्या कहेगा जमाना, रिश्तों पर उंगली उठेगी, लोग खून पर यकीन नहीं करेंगे।
-खून से खून जुदा होने लगा है। यह हमने कौन सा इतिहास रचा।
-रिश्ते पटरी से क्या उतरे, प्रदेश का मुकद्दर ही बिगाड़ दिया है।
-इससे लोग औलाद के और औलाद बाप के नाम से नफरत करेंगे।
-उन्होंने कहा कि 5 साल की कामयाबी के बाद पार्टी नुख्ता चीनी का विषय बन गई है।
-आजम खान ने पहले भी कई बार पार्टी को चेताया था कि दोनों का ये गुस्सा यूपी की जनता और सपा के लिए कितना नुकसानदेह हो सकता है।
-इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। आने वाले समय में लोग सपा के किस योगदान को याद रखेगें।
-जीवन कुछ दिन का है जबकि इतिहास हमेशा पढ़ा जाता है।