इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रद्द किया जिला विद्यालय निरीक्षक का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक सहारनपुर के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत एम पी एम इंटर कॉलेज सिमलाना में प्रबंध समिति द्वारा खाली पद को तदर्थ पदोन्नति देने का अनुमोदन करने से इंकार कर दिया था।

Update: 2017-10-16 19:46 GMT
माध्यमिक स्कूलों में आउट सोर्सिंग से भर्ती नियम को HC में चुनौती

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षक सहारनपुर के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसके तहत एम पी एम इंटर कॉलेज सिमलाना में प्रबंध समिति द्वारा खाली पद को तदर्थ पदोन्नति देने का अनुमोदन करने से इंकार कर दिया था।

कोर्ट ने कहा कि यूपी माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड एक्ट की धारा 18 यदि दो माह तक चयन न होने पर पद खाली हो तो प्रबंध समिति प्रोन्नति या चयन से तदर्थ रूप में पद भर सकती है।

यह आदेश जस्टिस यशवंत वर्मा ने भूगोल के प्रवक्ता सत्यपाल सिंह की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। याचिका पर वकील का कहना था कि लेक्चरर का पद खाली था तो प्रबंध समिति ने याची को भूगोल प्रवक्ता पद पर पदोन्नति देने दी। लेकिन, डीआईओएस ने यह कहते हुए अनुमोदन नहीं किया कि पद सीधी भर्ती से भरा जाएगा।

प्रबंध समिति को तदर्थ पदोन्नति देने का अधिकार नहीं है। कोर्ट ने 16 अप्रैल 1996 के अंतरिम आदेश से नियमित चयन होने तक याची को पद पर बनें रहने का आदेश दिया था। वकील ने चारु चंद्र तिवारी केस का हवाला देते हुए कहा कि प्रबंध समिति को धारा 18 के तहत तदर्थ पदोन्नति देने का अधिकार है। जिस पर कोर्ट ने जिला विद्यालय निरीक्षकके आदेश को रद्द कर दिया है और कहा है कि नए सिरे से पक्षों को सुनकर निर्णय लें।

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जूनियर इंजीनियर की बर्खास्तगी आदेश रद्द

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शहरी सीलिंग विभाग अलीगढ़ में सरवेयर पद से पी डब्ल्यू डी विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर तदर्थ पदोन्नत कर्मी की बर्खास्तगी का आदेश रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे कर्मी सेवा संतोषजनक नहीं है तो उसे बर्खास्त न कर पदावनति दी जाएगी। कोर्ट ने डायरेक्टर अर्बन सीलिंग के याची को बर्खास्त करने के 8 अगस्त 2012 के आदेश और 10 सितंबर 2009 की नोटिस को रद्द कर दिया है और तीन महीने में याची को सरवेयर पद पर वापस भेजने का निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

यह आदेश जस्टिस संगीता चंद्रा ने अरविंद कुमार शुक्ल की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। सरकार का कहना था कि याची को तदर्थ रूप से नियुक्त किया गया था। उसकी सेवाएं संतोषजनक नहीं होने के कारण बर्खास्त कर दिया गया क्योंकि यह पद लोक सेवा आयोग की परिधि में आता है। ऐसे में इस पद पर अस्थाई नियुक्ति नहीं की जा सकती।

याची का कहना था कि वह सरवेयर पद पर कार्यरत था। उसे अस्थाई प्रोन्नति दी गई है। ऐसे में सेवा नियमित की जानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता तो उसे मूल पद पर वापस किया जाए। याचिका में सरवेयर पद पर बहाली के साथ नियमित वेतन देने की माँग की गई थी।

 

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