सब बोले- नेताजी..नेताजी.., लेकिन कोई नहीं मान रहा नेताजी की बात

Update: 2016-09-16 10:29 GMT

Vinod Kapur

लखनऊ: देश के सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे मुलायम सिंह यादव के परिवार में अब सामने आ गया कि 'झगड़ा परिवार का नहीं बल्कि कुर्सी का है।' इसके लिए कोई भी मुखिया की बात मानने को तैयार नहीं है। सभी यही कह रहे हैं कि नेताजी की बात मानेंगे लेकिन वो अब सिर्फ नाम के रह गए हैं। सच तो ये है कि कोई भी उनकी बात समझने तो क्या सुनने तक को तैयार नहीं हैं। इसे सबसे बड़े राजनीतिक कुनबे के पतन की शुरुआत माना जा रहा है।

मुखिया मुलायम सिंह यादव खुद को इस मामले में विवश पा रहे हैं। बेटा अखिलेश अभी सीएम समेत सभी पद छोड़ने को तैयार हैं। उनकी शर्त है कि आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट देने का अधिकार उनका हो। दूसरी ओर, प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए शिवपाल सिंह यादव का भी कहना है कि चुनाव में कोई भी सीएम प्रोजेक्ट नहीं होगा बल्कि चुने गए विधायक नेता चुनेंगे।

राजनीति में सभी लोग जानते हैं कि टिकट बांटने में जिसकी भूमिका होती है, चुनाव के बाद नेता उसे ही बनाया जाता है।

मुखिया मुलायम सिंह यादव जिस वक्त कार्यकर्ताओं को ये बता रहे थे कि अखिलेश और शिवपाल उनकी सभी बात मानेंगे, उसी वक्त अखिलेश एक खबरिया चैनल के कार्यक्रम में ये कह गए कि चाचा शिवपाल को मैं अभी ही सभी पद देने को तैयार हूं लेकिन शर्त ये कि चुनाव में टिकट बांटने का अधिकार मेरा ही हो। मुलायम ने ये भी कहा कि कार्यकर्ताओं में चिंता है। लेकिन घबराने जैसी कोई बात नहीं है।

12 सितंबर से शुरू हुए घटनाक्रम में पहले तो परिवार में मतभेद की बात सामने आई। लेकिन सीएम अखिलेश ने दूसरे दिन ही ये साफ कर दिया कि झगड़ा उस कुर्सी का है जिस पर मैं बैठा हूं। मुलायम ने मनमुटाव दूर करने के लिए शिवपाल और अखिलेश से कई दौर की बात की। पानी सिर से गुजरता देख वो पार्टी कार्यालय में मीडिया और कार्यकर्ताओं के सामने आए और राजनीतिक बयान दे दिया कि कहीं कोई झगड़ा या मनमुटाव नहीं।

दिलचस्प है कि परिवार के सभी सदस्य आपस में एक साथ बैठकर बात नहीं कर रहे। मुलायम, अखिलेश और शिवपाल से बात करते हैं। शिवपाल और अखिलेश बात करते हैं। रामगोपाल यादव की अखिलेश से बात होती है लेकिन दूरियां इस कदर बढ़ गई हैं कि पूरा कुनबा एक साथ बैठकर बात करने को तैयार नहीं है। सभी अपनी बात मीडिया के हवाले से एक-दूसरे से बता रहे हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण की मृत्यु के बाद आपसी कलह के कारण यादव वंश के पतन की शुरुआत हो गई थी। अब लग रहा है कि मुलायम सिंह यादव को अपने वृद्वावस्था में ही ये दिन देखना पड़ेगा।

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