लखनऊ: यूपी की दो महिला डीएम से सरकार की किरकिरी हो रही थी और उनके खिलाफ जनता और कर्मचारियों में आक्रोश भी बढ़ रहा था लिहाजा अब यूपी गर्वमेंट ने उन्हें हटाने का फैसला ले लिया है। एक हैं बुलंदशहर की डीएम बी चन्द्रकला और दूसरी हैं लखीमपुरखीरी की किंजल सिंह। दोनों 2008 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। उच्च पदस्थ अधिकारी ने newztrack.com को बताया कि सीएम दोनों अधिकारियों के खिलाफ जनता और कर्मचारियों के बढ़ते आक्रोश से खिन्न हैं।
बुलंदशहर की डीएम बी चन्द्रकला
बुलंदशहर की डीएम बी चन्द्रकला उस वक्त चर्चा में आईं जब उन्होंने एक हिंदी अखबार के दफ्तर के सामने दो ट्रक कूड़ा डलवा दिया। दरअसल उस अखबार में डीएम साहिबा की कार्यशैली के बारे में कुछ छप गया था। एक युवक ने उनके साथ सेल्फी क्या ली उसे गिरफ्तार करा दिया। बाद में माफी मांगने पर उसे छोड़ दिया गया। खबर छपने के बाद वह उस अखबार से खुन्नस रखने लगी हैं। चन्द्रकला ने खबर लिखने वाले रिपोर्टर के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया। भारतीय किसान यूनियन ने गुरुवार को चन्द्रकला के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया।
लखीमपुरखीरी की डीएम किंजल सिंह
देश विदेश के टूरिस्टों को लुभाने वाले दुधवा नेशनल पार्क का बड़ा हिस्सा लखीमपुरखीरी में आता है। वे देर रात तेज म्यूजिक बजाते हुए पार्क में चली आती हैं। पार्क में अपने दोस्तों के साथ पार्टी करती हैं। मानों पार्क के जानवर और पूरा पार्क उनकी जागीर का हिस्सा हो। म्यूजिक बंद करने के कर्मचारियों के आग्रह पर वे उन्हें फटकार लगाती हैं । मनमानी करने में उन्हें वन नियमों का ख्याल भी नहीं रहता। कई बार ऐसी घटना होने के बाद पार्क के कर्मचारियों ने इसकी शिकायत लखनऊ में बडे़ अधिकारियों से की। कोई कार्रवाई नहीं हुई तो डीएम साहिबा का हौसला और बढ़ गया। मजबूरन कर्मचारियों को आंदोलन पर उतरना पड़ा।कर्मचारियों ने पहले काम का वहिष्कार किया। बाद में हड़ताल पर गए, सुरक्षाकर्मियों ने अपने हथियार जमा किए ,सफाई करने वालों ने अपने झाडू़ सौंप दिए।
मजबूरी की हद तो तब हो गई जब टूरिस्टों को घुमाने वाले हाथी भी जमा करा दिए गए। कर्मचारियों की योजना तो हाथियों को लखनऊ लाकर अधिकारियों को सौंपने की थी लेकिन यह संभव नहीं हो सका। कर्मचारियों की हड़ताल और आन्दोलन का नतीजा यह हुआ कि पार्क को टूरिस्टों से होने वाली आय एकदम बंद हो गई। संयोग है कि दोनों महिला डीएम की अच्छी खासी राजनीतिक पैरवी है। दोनों को सीएम अखिलेश यादव का विश्वास भी मिला हुआ है। लेकिन अब हालात हाथ से निकलते दिखाई दे रहे हैं इसीलिए दोनों को हटाने का निर्णय ले लिया गया है।