Rajendra K. Gautam
लखनऊ: दलित नहीं दौलत की बेटी और पैसा लेकर टिकट बेचने के आरोपों के दाग से बहुजन समाज पार्टी बेचैन है। इन आरोपों से जहां दलित समाज आहत है तो वहीं जनता में बसपा की छवि धूमिल हो रही है। इस मुद्दे पर जनता को जागरूक करने और 2017 में यूपी में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती सितम्बर से मैदान में उतरने जा रही है। ताकि बसपा के विद्रोही नेता और विपक्षी पार्टियों को तगड़ा जवाब दिया जा सके। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा सुप्रीमो की इस रणनीति से अब आयरन लेडी की छवि में और निखार आएगा।
बसपा के इतिहास पर नजर डाले तो गरीब-गुरबों की इस पार्टी के संस्थापक कांशीराम ने पार्टी चलाने के लिए जनता से चंदा लेने की परम्परा शुरू की थी। कांशीराम के कार्यकाल में बसपा पर पैसा लेकर टिकट बेचने का आरोप नहीं लगा था। 2007 से लेकर 2016 तक बसपा सुप्रीमो मायावती के कार्यकाल में पैसा लेकर टिकट बेचने और दलित नहीं दौलत की बेटी होने के खूब आरोप लगे। इस तरह के आरोप बसपा से निष्काषित विद्रोही नेता बाबू सिंह कुशवाहा, जुगुल किशोर, स्वामी प्रसाद मौर्य और आर.के. चौधरी ने खूब लगाए । कुछ माह बाद यूपी में विधान सभा चुनाव हैं।
इन आरोपों से बसपा की छवि धूमिल हुई है। बसपा के एक बड़े नेता का कहना है कि 2007 से लेकर 2016 तक हुए देश और प्रदेश के चुनावों में बसपा को खास सफलता नहीं मिली। 2017 के विधान सभा चुनाव बसपा के लिए प्रतिष्ठा का सबब बने हुए हैं। मार्च से लेकर जून तक कई मीडिया चैनलों द्वारा कराए गए सर्वे में बसपा को नम्बर एक की पार्टी बताया है। इससे संकेत है कि यूपी में 2017 में बसपा की सरकार बन सकती है ।इसके बावजूद अभी भी बसपा को धरातल पर और मेहनत करने की जरूरत है।
बसपा के एक जोनल कोआर्डिनेटर ने बताया कि बीते एक दशक से तकनीक ने दलित समाज और जनता में काफी बदलाव किए हैं। गांव से लेकर शहर के अधिकतर मतदाताओं के हाथों में मोबाइल और घरों में डीटीएच ने जगह बना ली है। इस वजह से अब तकनीक के जरिए मात्र कुछ ही सेकेंड में कोई भी बात तिल का ताड़ बनने में समय नहीं लगता है।बसपा को लेकर विरोधी पार्टियां अक्सर अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं।
सोशल मीडिया पर बसपा कई ग्रुप से बारीक नजर रख रही है। बसपा पर लगे आरोपों का जवाब देने के लिए पूरा नेटवर्क काम कर रहा है। यूं तो मायावती मीडिया के माध्यम से आरोपों का जवाब देती रहती हैं। सितम्बर से वे विपक्ष के हर आरोपों का मुंह तोड़ जवाब देंगी। खास तौर से दलित नहीं दौलत की बेटी और टिकट बेचने के आरोपों पर काफी आक्रामक नजर आएंगी।
बसपा की राजनीति पर बारीक नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक ए.पी. दीवान का कहना है कि अभी तो मायावती पर सिर्फ पैसा लेकर टिकट देने का ही आरोप है। जबकि इससे पहले बीजेपी और कांग्रेस ने उन्हें फंसाने के लिए भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर सीबीआई से लेकर ईडी तक को लगाया। सुप्रीम कोर्ट ने कई मामलों में क्लीन चिट दी।
इस बात को जनता अच्छी तरह से जानती है। इन आरोपों से तनिक भी भयभीत न होने वाली मायावती अब अपनी छवि को लेकर काफी सतर्क हैं। जिसका असर कुछ दिनों बाद दिखने को मिलेगा।