लखनऊ : सीएम योगी आदित्यनाथ ने लोगों की समस्यायें दूर करने और कानून व्यवस्था में सुधार के लिए, जिलों के पुलिस कप्तान और जनप्रतिनिधियों की एक कमेटी बनाने का आदेश दिया था। ताकि लोगों की मुश्किलों का निवारण जल्द हो सके और कानून व्यवस्था की हालत में भी सुधार हो । इसे पुलिस कोर्डिनेशन कमेटी नाम दिया गया।
कुछ जिलों में ये कमेटी बनी लेकिन उसमें जनप्रतिनिधियों की भूमिका जनता, की समस्याओं को दूर करने के बजाय कुछ और नजर आ रही है। जनप्रतिनिधि कानून व्यवस्था में सुधार के लिए किसी तरह का सुझाव देने, की अपेक्षा पुलिस कप्तानों के पास इस बात की पैरवी ज्यादा कर रहे हैं, कि किस थाने में किस दरोगा को रखा जाए या इंसपेक्टर किस थाने में रहे।
एक पुलिस कप्तान ने नाम नहीं छापने की शर्त पर न्यूज ट्रैक डाट काम को कहा, कि जनप्रतिनिधियों की रूचि अपने लोगों को पास के थानों में रखने की है। वो बैठक में ज्यादातर इस बात पर ही जोर दिया करते हैं। उन्होंने कहा कि इससे तो हालत फिर से उसी तरह हो जाएगी जैसी अखिलेश यादव के समय में थी। उसवक्त भी सपा के विधायक पुलिस कप्तान के पास ज्यादातर इसी काम के लिए आते या बोलते थे। इससे अराजकता बढ़ेगी। पुलिस के काम में इससे हस्तक्षेप भी बढेगा।
हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ का आयडिया बुरा या खराब नहीं है। लेकिन जनप्रतिनिधि इस पर पलीता लगाने में लगे हैं ।