दीन दुखियों के लिए ईश्वर से प्रार्थना
ईश जीव में भेद यह जिव माया लपटान।
माया ईश न मोहई मायापति भगवान।।
ईश जीव से है बड़ा कर उसको परनाम।
हाथ जोरि विनती करहुँ छोड़ मोह मद काम।।
सुख दुख दोनहुँ बंधु हैं हैं ईश्वर अधीन।
देवभह ईश्वर कर्म फल जो जस करनी कीन।।
हे जग करता सब दुख हरता तुम जग पालनहार।
किसी को अति सुख दीन्ह तुम किसी को दुख अपार।।
सुखियन को दुख में करत दुखियन को सुख देहु।
यह सब प्रभुता आप में तौ हमारि सुनि लेहु।।
है दीनन की विनय यह सुनिए दीनदयाल।
काटहु दुख जग दुखिन का जिन कृपाण कराल।।
है अपराधी तोर सब भूल कीन्ह तन पाय।
क्षमहु नाथ अपराध सब तुम बिनु कौन सहाय।।
तोर दीन्ह दुख तुम हरहु दुख नाशक तुव नाम।
लाख राज निज नाम की यही विनय वसु याम।।
सुखियन को यह उचित है लख दुखियन कर हाल।।
बनें सहायक दुखिन कर देकर धन तत्काल।।
है दुख सागर अगम यह तुम केवट बलवान।
पार करहुँ प्रभु दुखिन को तुव आशा रहमान।।
मुंशी रहमान खान