लॉकडाउन से सब परेशान, ये कौन जो 1500 किमी से आ गया लखनऊ

रामाकृष्णा तब से अनथक काम कर रहे हैं। लेकिन मां-बाप का फोन आने पर एक झूठ इन्हें बोलना पड़ता है कि हैदराबाद में हैं दोस्त से बात भी करानी पड़ती है। तो इस तरह कह सकते हैं कि ये हैं कोरोना के सच्चे योद्धा, जिन पर हमें नाज है। जिसने कोरोना से मुकाबले के लिए अपनी थीसिस भी छोड़ दी।;

Update:2020-04-09 15:08 IST

आज पूरे देश में कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू है। कई राज्यों के अनेक जिलों के कुछ इलाके तो सील कर दिये गए हैं। हर आदमी समझ रहा है कि घर से थोड़ी दूर निकल कर जाना भी मुश्किल है। ऐसे में आपको यदि पता चले की लखनऊ में गए एक फोन पर एक युवक हैदराबाद के गांव से चल देता है लखनऊ के लिए। वो जनता कर्फ्यू की रात थी। सड़क पर सन्नाटा और पुलिस की गाड़ियों की आवाज थी। लेकिन घर से सिर पर कफन बांधकर निकला ये शख्स तो जैसे कुछ ठानकर निकला था। घर वालों से झूठ बोला। पुलिस ने पकड़ा पूछताछ हुई लेकिन इस युवक को लखनऊ आने से कोई नहीं रोक सका आखिर क्यूं। और आज हीरो क्यों बन गया ये युवक।

दरअसल ये कहानी है तेलंगाना के युवक रामाकृष्णा की जो घर जाने को बेचैन लोगों से ठीक उलट अपना घर गांव छोड़कर निकला था। इस युवक को दरअसल जल्द से जल्द लखनऊ पहुंचना था। हम आपको बता दें कि ये युवक माइक्रोबायोलॉजिस्ट है और इसे फोन काल इसके गाइड की गई थी। और इसे लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की लैब में पहुंचना था, ताकि वह कोरोना संक्रमण की जांच में सहयोग कर सके।

ये थी कहानी

रामाकृष्णा को फोन केजीएमयू के माइक्रोबायोलॉजिस्ट विभाग की हेड डॉ अमिता जैन ने किया था। इसका कारण यह था कि रामाकृष्णा इस तरह की जांचों में पहले भी अहम भूमिका निभा चुके थे। ज़ीका वायरस, स्वाइन फ्लू, जापानी इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारियों की जांच में इससे पहले रामाकृष्णा ने अहम भूमिका निभाई थी। इस समय वह अपनी थीसिस पूरी करने अपने घर आए थे।

डॉ अमिता जैन को यह बताने में रामाकृष्णा ने ज्यादा देर नहीं लगाई कि वह कोरोना जांच में सहयोग करने लखनऊ आ रहे हैं। कोरोना जैसी महामारी की जांच में जाने की बात सुनते ही इनके माता पिता भड़क गए। अपने बेटे को कैसे वह जाने देते इसलिए रामाकृष्णा ने माता-पिता से झूठ बोला कि हैदराबाद रिसर्च लिखने जा रहे हैं।

दोस्त की ली मदद

दोस्त से बात करके लखनऊ के लिए हवाई जहाज का टिकट बुक कराया। वो जनता कर्फ्यू की रात थी जब फ्लाइट पकड़ने के लिए रामाकृष्णा निकले पुलिस ने रोका थाने ले गई लेकिन किसी तरह से पुलिस को समझाकर वह लखनऊ के लिए रवाना हुए। आते ही केजीएमयू में जांच टीम से जुड़ कर अपने काम में जुट गए। रामाकृष्णा तब से अनथक काम कर रहे हैं। लेकिन मां-बाप का फोन आने पर एक झूठ इन्हें बोलना पड़ता है कि हैदराबाद में हैं दोस्त से बात भी करानी पड़ती है। तो इस तरह कह सकते हैं कि ये हैं कोरोना के सच्चे योद्धा, जिन पर हमें नाज है। जिसने कोरोना से मुकाबले के लिए अपनी थीसिस भी छोड़ दी।

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