नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पूर्व वकील राम जेठमालानी के जिरह के दौरान वित्तमंत्री अरुण जेटली के खिलाफ की गई टिप्पणी को 'अशिष्ट, अप्रिय व अपमानजनक' करार दिया। न्यायमूर्ति मनमोहन ने केजरीवाल के वकील को यह सुनिश्चित करने को कहा कि जिरह के दौरान कोई 'अशिष्ट या अपमानजनक' प्रश्न नहीं उठाए जाएं और जेटली का अपमान न किया जाए।
जेटली द्वारा आम आदमी पार्टी (आप) के नेता केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया गया है। मामले में केजरीवाल के नए वकील अनूप जॉर्ज चौधरी ने स्वीकार किया कि टिप्पणी 'अपमानजनक' थी।
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उन्होंने अदालत को भरोसा दिया कि आगे जिरह सम्मानजनक तरीके से की जाएगी और कोई अपमानजनक प्रश्न नहीं पूछे जाएंगे।
अदालत ने कहा कि जेटली से जिरह 28 जुलाई को तय थी, जिसे चार हफ्ते के लिए स्थगित रखने की अनुमति दी गई, ताकि नए वकील दस्तावेजों को समझ सकें।जेटली अदालत के समक्ष 28 अगस्त को जिरह के लिए मौजूद होंगे। न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि उन्होंने इस तरह का अपमानजनक शब्द कभी किसी मुकदमे में नहीं देखा है। इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। यह जिरह करने का तरीका नहीं है, उन्हें खुद पर नियंत्रण रखना होगा।
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न्यायमूर्ति ने कहा, "आप क्रूक (धूर्त) जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। क्या यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। क्या आप जानते हैं कि यह एक असंसदीय शब्द है।" उन्होंने केजरीवाल के वकील से शिष्टाचार बनाए रखने को कहा।
न्यायमूर्ति ने कहा, "कोई भी व्यक्ति जिरह में इस तरह के अशिष्ट, आक्रामक, अपमानजनक सवाल नहीं कर सकता।"
उन्होंने कहा, "अदालत का मानना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का इस्तेमाल गैरजिम्मेदाराना बयान के लिए नहीं किया जा सकता।"
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न्यायमूर्ति ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में जिरह में 'जरा' भी अपमानजनक सवाल किए गए तो वह इस मामले को संयुक्त रजिस्ट्रार के पास से उच्च न्यायालय की एक पीठ को स्थानांतरित कर देंगे।
चौधरी ने अदालत से कहा कि केजरीवाल ने जेठमलानी से क्रूक शब्द का इस्तेमाल करने के लिए कभी नहीं कहा।