लखनऊ: यूपी में विधानसभा चुनाव नजदीक है। ऐसे में कुछ अजीब और विचित्र बातें भी हो रही हैं। तीन दिन पहले एक साधारण रिक्शे वाला उच्च सुरक्षा इलाके को पार कर सीएम अखिलेश यादव के सरकारी आवास के पोर्टिको तक पहुंच गया।
संभवत: ऐसा चुनाव के बाद नहीं हो सकेगा, क्योंकि जिस इलाके में साइकिल, रिक्शा और यहां तक कि मोटरसाइकिल के ले जाने तक पर प्रतिबंध हो, वहां एक साधारण रिक्शे वाला पहुंच गया और वो भी बिना किसी रोकटोक के और वो भी सवारी को बिठाकर। सवारी भी कोई ऐसी वेसी नहीं बल्कि पेटीएम के सीईओ विजय शंकर शर्मा थे।
इस खबर ने अखबारों और सोशल मीडिया में खूब वाहवाही लूटी। सीएम अखिलेश यादव की खूब तारीफ हुई।इस बात पर नहीं कि सीएम के दरवाजे तक एक रिक्शा वाला पहुंच गया, बल्कि इस बात पर कि अखिलेश ने उससे बात की। कुछ पैसे दिए और एक ई रिक्शे की सौगात दी।
रिक्शा चालक मणीराम को सीएम ने आवास भी देने का वायदा किया। इसके अलावा उसके बच्चे को मुफ्त शिक्षा का भी वायदा किया गया। सीएम ने शनिवार को बिजली विभाग के एक कार्यक्रम में मणीराम पर किए एहसानों का जिक्र भी किया।
अखबारों और सोशल मीडिया में हो रही वाहवाही के बीच किसी का भी ध्यान इस बात पर नहीं गया कि रिक्शा वाला इतने हाई सिक्योरिटी जोन में बिना किसी रोकटोक के कैसे पहुंच गया। किसी ने भी तारीफ करने के पहले विवेक का इस्तेमाल क्यों नहीं किया?
एक बात जो सीएम ने शनिवार को बिजली विभाग के कार्यक्रम में कही, उसे बहुत अच्छा तो नहीं कहा जा सकता। खासकर तब जब ये बात सीएम कह रहे हों। उन्होंने कहा, कि 'मणीराम की पत्नी का नाम उनकी 'बुआ' (मायावती) से मिलता है।
लेकिन एक बात बिना जवाब के रह गई कि रिक्शा चालक मणीराम हाई सिक्योरिटी जोन में कैसे पहुंचा। सीएम ने उसकी इस तरह सहायता क्योंकि और इसका प्रचार क्यों किया। क्या चुनाव के दौरान प्रचार में इसका इस्तेमाल नहीं होगा? होगा या नहीं इसका पता तो चुनाव के दौरान ही चलेगा।