कोरोना को रोकने में ऐसे मदद कर रहा आरोग्य सेतु, क्या आपने डाउनलोड किया
“भारत में कोरोना से लड़ रही टीमें संक्रमण की पूरी चेन का पता लगा कर उसकी जड़ तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं। लेकिन ये काम आसान नहीं है। इस जंग में टेक्नालजी का भी बहुत बड़ा हाथ है।“
नई दिल्ली। कोरोना वाइरस से जंग में सुपर कम्प्यूटर्स और स्मार्टफोन का भी बहुत बड़ी भूमिका है। अमेरिका, ब्रिटेन, चीन समेत तमाम देशों में इस महामारी से जुड़े एक-एक आंकड़े का विश्लेषण बहुत तेज गति से करने के लिए सुपरकम्प्यूटर्स की ताकत का इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकारी एजेंसियों के अलावा बड़ी-बड़ी टेक्नालाजी कंपनियाँ इस काम में एक साथ जुटी हैं। वैज्ञानिकों के लिए इन सुपर कम्प्यूटर्स की सेवाएँ मुफ्त कर दी गई हैं।
सुपर कम्प्यूटर्स के अलावा मामूली स्मार्टफोन भी कोरोना से जंग में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। चीन, सिंगापुर के बाद अब भारत में कोरोना प्रकोप से लोगों को बचाने के लिए स्मार्टफोन की सहायता ली जा रही है। भारत में भी स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा हाल ही में ‘आरोग्य सेतु एप’ लांच किया गया है।
कठिन है कोरोना की चेन पकड़ना
स्मार्टफोन से कोरोना महामारी जंग कैसे लड़ी जा रही है इसके लिए एक उदाहरण देखिये - मुंबई के धारावी में कोई एक व्यक्ति कोरोना संक्रमित पाया जाता है। इतनी भीड़भाड़ वाले इलाके में कैसे पता लगाया जाए कि वह किस-किस व्यक्ति के संपर्क में आया था? कोरोना से लड़ रही टीमें अपने अपने तरीकों से संपर्क में आए व्यक्तियों की सूची बनाती हैं, फिर उन सबसे भी पूछताछ करती हैं कि वे लोग कहां कहां गए, किस किस से मिले। कोई चेन दिल्ली के निजामुद्दीन तक पहुंचाती है, तो कोई देश के किसी और भीड़भाड़ वाले इलाके में। हर जगह यही सब किया जाता है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि यह काम कितना मुश्किल है। टीम एक को पकड़ती है तो उसके दस और साथियों का पता चल जाता है, फिर टीम उनके पीछे निकल पड़ती है। इस तरह से तो इस खेल का कोई अंत ही नहीं दिखता।
प्रचलित तकनीक का सहारा
संक्रमण की चेन आसानी से पकड़ने के लिए कुछ ऐसे एप बनाने का काम चीन, यूरोप, भारत में हुआ जो पता लगा पाएंगे कि कोरोना संक्रमित लोग कब और किससे मिले। यानी जो काम भारत में टीमें कर रही हैं वह काम तकनीक कर देगी। आइडिया यह है कि स्मार्टफोन में लोकेशन ट्रैकर की मदद से संक्रमित व्यक्ति पर नजर रखी जाए। यह कोई नई तकनीक नहीं है। गूगल जैसी बड़ी कंपनियां ट्रैफिक का हाल बताने के लिए इसी का इस्तेमाल करती हैं।
भारत का आरोग्य सेतु
भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने “आरोग्य सेतु एप” लॉन्च किया है जिसे महज चार दिन में एक करोड़ से ज्यादा लोग इंस्टॉल कर चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा है कि हर कार्यकर्ता 40 लोगों के फोन में ये एप डलवाए। भारतीय रेलवे अपने 12 लाख कर्मचारियों के फोन में ये एप डलवा रही है। शिक्षण संस्थानों से अपने समस्त विद्यार्थियों, टीचरों व कर्मचारियों से ये एप इंस्टाल करवाने को कहा गया है। गृह मंत्रालय ने भी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के सभी जवानों को एप इंस्टॉल का निर्देश दिया है। कुल मिला कर ज्यादा से ज्यादा लोगों के स्मार्ट फोन में ये एप इंस्टाल कराया जा रहा है ताकि इसका पूरा लाभ हर व्यक्ति को मिल सके।
इससे क्या फायदा होगा
एप कोरोना से आपको जोखिम का स्तर बताता है। यह ‘सेल्फ असेसमेंट टेस्ट’ में दिए गए लक्षणों, बीमारियों जैसी जानकारियों और आपकी लोकेशन के आधार पर बताता है कि आपको कोरोना का कितना जोखिम है। यह बताता है कि क्या आपको टेस्ट की, डॉक्टर को दिखाने की या फोन पर परामर्श की जरूरत है। एप पर सभी प्रदेशों और सेंट्रल हेल्पलाइन नंबर की जानकारी है।
एप कैसे काम करता है?
यह आपकी लोकेशन और ब्लूटूथ का इस्तेमाल कर यह जांचता रहता है कि आपके आसपास कोई संक्रमित व्यक्ति या संभावित संक्रमित तो नहीं है। साथ ही संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने की आशंका के बारे में अलर्ट/नोटिफिकेशन भी देता है। इसके लिए आपको मोबाइल में बैकग्राउंड में एप हमेशा चालू रखना होगा, साथ ही ब्लूटूथ और लोकेशन भी ऑन रखनी होगी।
क्या जान सकते हैं?
आप जो जानकारियां देंगे, उस आधार पर एप बताएगा कि क्या आपको कोरोना का जोखिम है। अगर है, तो क्या परीक्षण की जरूरत है या क्वारनाटाइन से काम चल जाएगा। अगर परीक्षण की जरूरत है, तो आप कहां परीक्षण करा सकते हैं, इसकी जानकारी भी मिलेगी। इस टेस्ट के आधार पर ही यूजर के लिए जोखिम का अंदाजा लगाया जाता है और बाकी यूजर्स को भी अलर्ट किया जाता है।
डेटा की सुरक्षा
एप की प्राइवेसी पॉलिसी में दावा है कि डेटा केवल भारत सरकार के साथ साझा होगा। आपके नाम या नंबर को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। निजी जानकारी को अलर्ट करने या अन्य जरूरी जानकारी देने के लिए ही इस्तेमाल किया जाएगा।
विदेशों में भी काम कर रहे ऐसे एप
सिंगापुर : ‘ट्रेस टूगेदर’ एप यूजर की लोकेशन को ट्रैक करता है। यह ब्लूटूथ से ऐप के दूसरे यूजर्स के संपर्क में आने का रिकॉर्ड रखता है। इसकी मदद से उन लोगों को ट्रैक किया गया, जो बाद में कोरोना संक्रमित पाए गए। चूंकि सरकार के पास यूजर का रिकॉर्ड रहता है, इसलिए पता चल जाता है कि वो कब इस ऐप को इस्तेमाल करने वाले दूसरे यूजर के संपर्क में आया है। यह ये भी बता देता है कि वो व्यक्ति कितनी देर तक के लिए संपर्क में रहा है। आरोग्य सेतु में भी ऐसे ही फीचर्स हैं।
ब्रिटेन: सी-19 कोविड सिम्पटम्स ट्रैकर एप पर मरीज खुद अपने लक्षण बता सकता है। यही नहीं वो उन स्थानों का पता भी कर सकता है जहां खतरा ज्यादा है।
दक्षिण कोरिया: कोरोनामैप के इस्तेमाल से यूजर उन स्थानों का पता कर सकता है जहां कोई संक्रमित मरीज भर्ती हुआ हो। इसमें मरीज की लोकेशन से लेकर उसके अस्पताल की जानकारी और वो कब से पीड़ित है जैसी जानकारियां मिल जाती हैं।
चीन में व्यापक इस्तेमाल
चीन में एप से कोरोना के खिलाफ जंग में बहुत मदद मिली है। ‘क्लोज कॉन्टैक्ट डिटेक्टर’ एप यूजर को बताता है कि वो किसी संक्रमित व्यक्ति या इसकी आशंका होने वाले किसी व्यक्ति के करीब है। चीन ने इस एप के लिए कैमरा, फेशियल रिकग्निशन सॉफ्टवेयर और एआई की मदद से डेटा जुटाया। इसके अलावा ‘हेल्थ कोड’ नाम से एक और एप शुरू किया गया। ‘अलीबाबा’ कंपनी द्वारा बनाया गए इस एप में ट्रैवेल हिस्ट्री और शरीर के तापमान के हिसाब से लाल, पीला और हरा कलर कोड मिलता है। जिसके आधार पर तय होता है कि किसी को संक्रमण है या नहीं। चीन में मॉल, ट्रेन, ऑफिस, आदि कहीं भी जाने के लिए ‘हेल्थ कोड’ दिखाना अनिवार्य है।