यहूदी पूजा कैसे करते हैं,उपासना गृहों के जीर्णोद्धार की योजना
यहूदी पूजा कैसे करते हैं : भारत में बसने वाले यहूदियों और पारसियों के बीच और भी कई समानताएं हैं। पारसियों ने सूरत के पास ही -- सन्जान में अपनी सबसे पहली 'अग्यारी' की स्थापना की। 'अग्यारी' पारसियों का धर्मस्थल है। यहूदियों ने भी, सूरत पहुँचने के बाद, वहां अपने पहले
लखनऊ:भारत में बसने वाले यहूदियों और पारसियों के बीच और भी कई समानताएं हैं। पारसियों ने सूरत के पास ही -- सन्जान में अपनी सबसे पहली 'अग्यारी' की स्थापना की। 'अग्यारी' पारसियों का धर्मस्थल है। यहूदियों ने भी, सूरत पहुँचने के बाद, वहां अपने पहले सायनागॉग का निर्माण किया था। लेकिन अब उसके ध्वंसावशेष ही बचे। सूरत के उस सायनागॉग और कोचीन के सायनागॉग के निर्माण के बीच लम्बा फासला रहा है।1568 में निर्मित कोचीन के सायनागॉग को भारत में सबसे प्राचीन माना जाता है।
बग़दादी यहूदी 1798 में कोलकता पहुंचे। और अपनी धार्मिक गतिविधियों के लिए उन्होंने यहां भव्य सायनागागों के निर्माण कराये। कोलकता में यहूदियों के 5सायनागॉग हैं। इनमें से 2 में ही प्रार्थनाएं होती हैं। पहला सायनागॉग, जिसे सबसे प्राचीन बताया जाता है,कब का है ? इसका ठीक-ठीक पता नहीं चलता। और दूसरा सायनागॉग कैनिंग स्ट्रीट की भीड़ में भी दूर से दिखाई देता है -- ''नेवेन शलोम'' या नबी सलाम सायनागॉग। इस सायनागॉग का निर्माण सन 1825 ई० में हुआ था। बाद में ई० सन 1911 में इसका पुनर्निर्माण कराया गया।
भारतीय यहूदी कैसे करते हैं पूजा, उपासना गृहों के जीर्णोद्धार की योजना
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इस सायनागॉग में एक बहुत छोटे से धार्मिक समुदाय के भारत में आने और बसने का जातीय इतिहास सुरक्षित है। शनिवार-रविवार ये दोनों दिन प्रार्थनाओं के लिए निर्धारित हैं। कोलकता में इने-गिने बचे हुए यहूदी धर्मावलम्बी इन प्रार्थनाओं में शामिल होने के लिए यहां आते हैं। पहले गैर-यहूदियों के लिए इस सायनागॉग में प्रवेश की मनाही थी। अब अनुमति मिल जाती है। बस एक ही मनाही बची कि सर खुला हुआ नहीं होना चाहिए। अब प्रवेश के लिए अनुमति और सर ढांकने के लिए यहूदी टोपी भी यहीं मिल जाती है।
सामान्य तौर पर यहूदियों की पहचान एक समृद्ध व्यापारिक समुदाय की है। ये लोग बहुमूल्य रत्नों के अच्छे पारखी होते हैं। और कोलकता के चाय व्यवसाय और जूट उद्योग के विकास मे इस समुदाय का बड़ा हिस्सा रहा है। लेकिन इनका अपना इतिहास उद्योग और व्यापार के अतिरिक्त भी है। शायद आपको पता हो कि सन 1947में चुनी गयी पहली 'मिस इंडिया' या भारत सुन्दरी,एस्टर विक्टोरिया अब्राहम, भारतीय मूल की नहीं बल्कि कोलकता के बग़दादी यहूदी समुदाय की थीं। लेकिन उनका भारतीय नाम -- प्रमिला था।
भारत के यहूदी उपासना गृहों के जीर्णोद्धार की योजना
मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के सौजन्य से भारत के तमाम यहूदी उपासना गृहों (सिनेगॉग) का जल्द जीर्णोद्धार होने जा रहा है। एएसआई टीम ने कोलकाता स्थित सिनेगॉग का दौरा भी किया था और 2010 में उसके संरक्षण और जीर्णोद्धार को लेकर एक प्रारूप भी तैयार किया था।लेकिन उस समय यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई थी।
भारत में करीब 35 सिनेगॉग हैं। इनमें से अधिकतर कोच्ची, कोलकाता, मुंबई और अहमदाबाद में हैं। संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि हमारे देश में सिनेग़ॉग की मौजूदगी, हमारी मजबूत संस्कृति और धार्मिक परंपरा को दर्शाती है। एएसआई पूरे देश में सिनेगॉग के संरक्षण और जीर्णोद्धार पर गंभीरता से विचार कर रही है। शुरुआत में कोच्ची के थेक्कुमभागम सिनेगॉग और बेथ ईआई सिनेगॉग के अलावा कोलकाता के माघेन डेविड सिनेगॉग में जीर्णोद्धार का काम शुरू किया जाएगा। सरकार 'यहूदी टूरिज्म सर्किट' शुरू करने को लेकर योजना बना रही है, जो देश के सभी सिनेगॉग से जुड़ा होगा।