बस्ती: यूपी में डीएम बनने के लिए मोटी रकम अदा करनी पड़ती है। तय रेट नहीं देने पर अधिकारियों को जिले में तैनाती नहीं दी जाती है। यह खुलासा राष्ट्रीय एकीकरण विभाग के सचिव अशोक कुमार ने शुक्रवार को किया है। हालांकि उन्होंने किसी का नाम लिए बिना यह बात कही। मीडिया में यह खबर आते ही उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है। बता दें कि अशोक कुमार 1999 बैच के IAS ऑफिसर हैं।
क्या है पूरा मामला
-सचिव राष्टीय एकीकरण अशोक कुमार तीन दिवसीय दौरे पर बस्ती में संचालित सरकारी योजनाओं की हकीकत जानने के लिए आए थे।
-इसी दौरान पत्रकारों से बातचीत करते समय उन्होंने कहा कि उनके पास 70 लाख नहीं थे वरना आज वो डीएम होते।
-मेरी भी इच्छा है डीएम बनने की लेकिन पैसे नहीं हैं और कमिश्नर मैं बनना नहीं चाहता।
- 'जो यह रेट नहीं देता है तो उसे मुख्यालय पर ड्युटी बजानी पड़ती है।'
-शुक्रवार को विकास भवन में डीएम नरेंद्र सिंह पटेल सहित अन्य अधिकारियों के साथ बैठक के दौरान अशोक कुमार ने मातहतों को राजनीति करने से बाज आने की नसीहत भी दी।
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- वे पीडब्लूडी के डाक बंगले पर पत्रकारों से मुखातिब थे।
-सचिव अशोक कुमार ने कहा कि रुपया देने वालों को जिले में तैनाती मिलती है।
-इसके लिए बाकायदा 70 लाख देने पड़ते हैं।
-अगर कोई यह रेट नहीं देता है तो उसे मुख्यालय पर ड्युटी बजानी पड़ती है।
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