मुलायम सिंह यादव: जानिए पहलवानी से सियासत तक का कैसा रहा सफर

Update: 2016-11-21 11:42 GMT

22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव ने सियासत में बहुत ही बेहतरीन पारी खेली है। लोहियावादी मार्ग पर चलते हुए उन्होंने सियासत में बहुत बड़ा कुनबा तैयार किया है। जिसके घर के एक-एक सदस्य राजनीति से जुड़ा है, लेकिन इतना बड़ा कुनबा तैयार करने से पहले मुलायम सिंह के किन-किन दौर से गुजरना पड़ा ये हम आपको बता रहे हैं। कहते हैं कि मुलायम सिंह जितने अच्छे राजनेता हैं उतने ही बेहतरीन पहलवान भी रहे हैं। बहुत कम लोगों को मालूम होगा, लेकिन 78 साल के मुलायम सिंह जितनी अच्छी पारी राजनीति में खेलते रहे हैं उतने ही अच्छी पहलवानी भी करते थे। छोटे कद के मुलायम सिंह बहुत अच्छे पहलवान और कई प्रतियोगिता के विजेता भी रहे है। उन्होंने अपने पहलवानी के गुणको राजनीति में भी आत्मसात किया है।

तीन बार उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री और एक बार केंद्र में रक्षा मंत्री रहे मुलायम सिंह के लंबे राजनीति करियर के शुरुआत से पहले और बाद की उनसे जुड़ी अहम बातों पर डालते हैं नजर....

* मुलायम सिंह यादव का जन्म उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के सैफई में हुआ था। सुघर सिंह के तीसरी संतान थे मुलायम सिंह, जिसके बारे में पंडितों ने भविष्यवाणी की ये अपने कुल खानदान का नाम रौशन करेगा और खानदान का नाम आगे बढ़ाएगा।

*उसके बाद उनके पिता ने मुलायम सिंह को पढ़ाना शुरु कर दिया। मुलायम के साथ उनके दूसरे भाई भी पढ़ाई करने लगे। उनके पिता ने गांव के ही प्रधान के बेटे से मुलायम को पढ़ाने के लिए गुजारिश की।

*मुलायम सिंह का पसंदीदा खेल कुश्ती, कब्बडी,खो-खो रहा है। मुलायम सिंह शुरु से जातिवाद की व्यवस्था के खिलफ रहे हैं। और दूसरों की मदद में हमेशा आगे रहे। एक वाकया है कि एक बार एक उच्चजाति के लड़के ने एक नीचली जाति के लड़के की पिटाई करी तो मुलायम सिंह ना सिर्फ उस बच्चे की मदद किए, बल्कि पिटने वाले लड़के की पिटाई भी की।

*मुलायम सिंह यादव का बाल विवाह किया गया था, जिसके वो खिलाफ था। बाद में दहेज प्रथा, बाल विवाह और समाजिक कुरीतियों के खिलाफ लड़ते रहे हैं। पहली शादी मालती देवी के साथ हुई। उनके निधन के पश्चात उन्होंने साधना गुप्ता से विवाह किया। अखिलेश यादव मालती देवी के पुत्र हैं, जबकि मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव को उनकी दूसरी पत्नी साधना ने जन्म दिया है। साल 1954 में पंद्रह साल की किशोरावस्था में ही मुलायम के राजनीतिक तेवर उस वक़्त देखने को मिले, जब उन्होंने डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर ‘नहर रेट आंदोलन’ में भाग लिया और पहली बार जेल गए।

*डॉ. लोहिया ने फर्रुखाबाद में बढ़े हुए नहर रेट के विरुद्ध आंदोलन किया और जनता से बढ़े हुए टैक्स न चुकाने की अपील की थी। इस आंदोलन में हजारों सत्याग्रही गिरफ्तार हुए। इसमें मुलायम भी शामिल थे। इसके बाद वे 28 वर्ष की आयु में वर्ष-1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से विधानसभा सदस्य चुने गए। इसके बाद वह 1974, 77, 1985, 89, 1991, 93, 96 और 2004 और 2007 में बतौर विधान सभा सदस्य चुने गए। इस बीच वे 1982 से 1985 तक यूपी विधान परिषद के सदस्य और नेता विरोधी दल रहे। पहली बार 1977-78 में राम नरेश यादव और बनारसी दास के मुख्यमंत्रित्व काल में सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री बनाए गए। इसके बाद से ही वे करीबी लोगों के बीच मंत्री जी के नाम से जाने जाने लगे।

*नत्थु सिंह मुलायम के राजनीति गुरु माने जाते हैं। मुलायम को पहलवानी करते पहली बार उन्होंने देखा था। मुलायम को राजनीति में लाने वाले नत्थु सिंह ही रहे हैं।

* भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ मुलायम पहली बार 5 दिसंबर 1989 को 53 साल की उम्र में यूपी के मुख्यमंत्री बने, लेकिन बीजेपी की रामजन्म भूमि यात्रा के दौरान मुलायम और बीजेपी के संबंधों में दरार आ गई। इसका कारण था मुलायम सिंह यादव का आडवाणी की रथ यात्रा को सांप्रदायिक करार देना और इसे अयोध्या ना पहुंचने देने पर अड़ जाना। 2 नवंबर 1990 को अयोध्या में बेकाबू हो गए, कारसेवकों पर यूपी पुलिस को गोली चलने का आदेश देकर मुलायम विवादों में आ गए। इस फायरिंग में कई कार सेवक मारे गए थे। हालांकि अभी हाल में ही उन्होंने अपने इस फैसले पर अफसोस भी जताया है।

*मुलायम सिंह यादव 1989 से 1991 तक, 1993 से 1995 तक और साल 2003 से 2007 तक तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे चुके हैं। वर्ष 2013 में एक बार फिर जब उनके मुख्यमंत्री बनने का मौका आया तो वे केंद्र सरकार में अपना महत्वपूर्ण रोल देख रहे थे और इसी वजह से उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव के हाथों में उत्तर प्रदेश की कमान सौंप दी। वैसे, मुलायम 1996 से ही केंद्र की राजनीति में सक्रिय हो गए थे और उन्होंने अपनी महत्ता भी अन्य राजनैतिक पार्टियों को समझा दी थी। मुलायम सिंह यादव 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में लोकसभा के सदस्य चुने गये।

*मुलायम को 1977-78 में जब पहली बार मंत्री बनाया गया, तो उन्होंने एक क्रान्तिकारी कदम उठाया था, जिससे न केवल यूपी को फायदा हुआ, बल्कि कहने को तो समाजवादी पार्टी में आज के परिवारवाद की नींव भी उसी समय पड़ी। बतौर यूपी के सहकारिता एवं पशुपालन मंत्री मुलायम सिंह यादव ने पहले किसानों को एक लाख क्विंटल और उसके दूसरे साल 2.60 लाख क्विंटल बीज बंटवाए। उनके इसी कार्यकाल में यूपी में डेयरी का उत्पादन बढ़ा। मुलायम ने समाजवाद के साथ जो शुरुआत की वह आगे चलकर परिवारवाद का कारण बना।

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