New year पर लें संकल्प: गोल्डन रूल्स ऑफ हेल्दी लाइफ
नववर्ष का आगमन कालचक्र की शाश्वत गति का प्रमाण है। समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहता है। 365 दिन की अपनी परिधि में तमाम तरह के ख
लखनऊ:नववर्ष का आगमन कालचक्र की शाश्वत गति का प्रमाण है। समय का पहिया अपनी गति से घूमता रहता है। 365 दिन की अपनी परिधि में तमाम तरह के खट्टे-मीठे अनुभवों की सौगात देकर बीता वर्ष विदा हो जाता है और नयी आशाओं-उमंगों और खुशियों के साथ नया साल सामने आ जाता है। तेजी से घूम रहा काल चक्र हर रोज अनगिन परिस्थितियों, घटनाचक्रों प्रक्रियाओं एवं उपक्रमों को जन्म दे रहा है। सब कुछ इतना तीव्र और आश्चर्य कारक है कि विश्लेषक चकित हैं और विशेषज्ञ भौचक। उपनिषदों की भाषा में कहें तो ‘न मेधया न बहुनाश्रुतेन’ यानि कि इसे न तो कोरी बुद्धि से समझा जा पा रहा है और न ही बहुत सुनने-गुनने वाले इसे समझने में सक्षम हैं। लेकिन जिनका अन्तःकरण आलोकित है, जिनके पास गहन अंतर्दृष्टि है, वे इन दिनों अनेकों नवीन सम्भावनाओं को जन्मते, पनपते एवं विकसित होते देख रहे हैं।
क्रान्तियां किस तरह से मालगाड़ी के डिब्बों की तरह
सन् 2017 में हमने बहुत कुछ शुभ-अशुभ घटित होते देखा। परिवर्तन की यह प्रक्रिया सुदीर्घ है। अकेले हम ही नहीं समूचा विश्व इस सत्य का साक्षी है कि क्रान्तियां किस तरह से मालगाड़ी के डिब्बों की तरह एक के बाद एक आयीं और देखते ही देखते सारा पुराना कूड़ा-करकट अपने साथ उड़ा ले गयी।
"इक्कीसवीं सदी-उज्ज्वल भविष्य" के उद्घोषक व वैज्ञानिक अध्यात्म के प्रणेता महामनीषी पं.श्रीराम शर्मा आचार्य के शब्दों में, "अगले दिन हमारा वर्तमान जिस भविष्य का सृजन करने में तत्पर है, उसमें भले ही हमारे समक्ष तमाम समस्याओं से जूझने की चुनौती हो, मगर इतिहास साक्षी है कि हमारी भारतभूमि हर अंधेरे को विजित कर सदैव प्रकाशमान रही है। यही शुभ दृष्टि हमें हौसला देती है कि आसुरी शक्तियां कितनी ही प्रबल, प्रचंड एवं विशालकाय क्यों न हों, पर काल चक्र उन्हें धूल में मिलाए बिना न रहेगा। आसुरी शक्तियों के विनाशकारी शिकंजे की छटपटाहट के मध्य ही विश्व मानवता एक नया इतिहास रचेगी।
कालचक्र के तीव्रगामी वेग से जन्मने वाली नवीन सम्भावनाएं विश्व मानचित्र में कुछ अचरज भरे फेरबदल भी करेंगी; इतिहास को ही नहीं भूगोल को भी नयापन मिलेगा। आत्मबल की धनी तपस्वी आत्माएं ही इन हलचलों को अपनी अन्तर्चेतना में अनुभव करेंगी और नवीन सम्भावनाओं के साकार होने में समर्थ भूमिका निभाएंगी।" इन विशिष्ट पलों में इस महान राष्ट्र संत के इस भविष्य कथन की सत्यता प्रत्येक जाग्रत चेतना वाला मनुष्य सहज ही अनुभव कर सकता है।
अब नए संकल्प की आवश्यकता
भले ही हमारा बीता साल कैसा भी गुजरा हो, अब नए संकल्प की आवश्यकता है। आने वाले नये साल में आइए हम सब मिलकर एक नयी सकारात्मक ऊर्जा और नये संकल्पों के साथ स्वयं व राष्ट्र जीवन में एक नये शुभत्व का संचार करें। नया साल ऐसा खास अवसर होता है जो हम सबके भीतर एक नया आत्मबोध भरता है। हमें पुरानी भूलें सुधारकर नए संकल्पों के साथ जीवन जीने का संदेश देता है। हम सब भली भांति जानते हैं कि जीवन की अवधि समिति है, मालूम नहीं कि कब बुलावा आ जाए। तो आइए इस मौके पर हम सब मिलकर खुशहाल व अर्थपूर्ण जीवन के कुछ नियमों को अपनी जिंदगी में लागू करने का संकल्प लें। आइए जानें क्या हैपी एंड हेल्दी लाइफ के ये गोल्डन रूल्स -
1. आर्ट ऑफ बिकमिंग
स्वामी विवेकानंद ने कहा था "बी एंड मेक" अर्थात "बनो और बनाओ"। सबसे पहले हम स्वयं को सुधारना होगा। अपने व्यक्तिव के निर्माण के लिए हमें अपने जीवन की प्राथमिकताओं को बदलना होगा। दूरदर्शी बनकर इस पर ध्यान रखना होगा कि आगामी समय में हमारे आज के कर्मों के क्या नतीजे होंगे। स्वनिर्माण का दूसरा कदम है विवेक बुद्धि विकसित करना क्योंकि यही हमारे उज्ज्वल भविष्य का द्वार खोलेगा और हमारी जीवन दृष्टि प्रखर होगी। तीसरा कदम है खुद से ऊपर उठकर सोचना और देशहित के साथ अशिक्षित, पिछड़े, गरीब व असहायों के हितों के लिए जीना। इन सुंदर व विधेयात्मक विचारों से जब हमारा जीवन खुशहाल व सार्थक होगा तो हमसे जुड़े लोग भी हमें देखकर बदलाव के लिए प्रेरित व जागरूक होंगे।
2. आर्ट ऑफ थिंकिंग
कई लोग बिना सोचे समझे कुछ भी बोल देते हैं और बाद में पछताते हैं। दरअसल हम यह समझ ही नहीं पाते कि सोचना भी एक कला है। इस कला को विकसित करने के लिए हमें नियमित स्वाध्याय करना होगा, अपने भीतर विचारों का एक कोषागार बनना होगा और हर बात पर गहराई से चिंतन करना होगा और तब हम इस कला को सीख कर अपना व्यक्तित्व निखार सकेंगे और विचारों की अनंत श्रंृखला में विचरण करने योग्य हो जाएंगे।
3. आर्ट ऑफ वर्किंग
काम को सुचारु रूप से करना भी एक कला है। रोजमर्रा के जीवन में हम अपने सारे काम कैसे करें कि कोई गतिरोध न आये और हमारे सारे काम बिना किसी बाधा के समय से पूरे हो जाएं, इसके लिए हमें अपने भीतर स्वअनुशासन विकसित करना होगा। यदि हम काम को भार न समझकर उसे साधना मानकर करेंगे तो कभी कोई परेशानी नहीं होगी। हमें चाहिए कि दिनभर के कार्यों की क्रमवार सूची बनाकर व्यवस्थित तरीके से काम करें और बीच-बीच में काम बदलते भी रहें ताकि एकरसता के कारण ऊब न हो हो।
4. आर्ट ऑफ रिलेटिंग
हम अपने परिवार,कार्यालय, मित्र समुदाय सभी से प्रेम और आत्मीयता भरा सम्बंध बना रखें, नियमित संवाद करें, कोई बीमार है और जान पाएं तो उनका हाल-चाल पूछें व उनकी हर यथा संभव मदद करते रहें, विशेष रूप से बुजुर्गों की क्योंकि उन्हें हमारे प्रेम और अपनत्व की बहुत जरूरत होती है, दूसरे स्थान पर छोटे बच्चे आते हैं। उनके प्रति अकारण गुस्सा न करें पर अतिशय दुलार में उनकी अनुचित बातों को मांग कर उन्हें बिगड़ने भी न दें।
5.डीप इकॉलाजी एण्ड हेल्दी डाइट
हम अपना जीवन प्रकृति के जितने निकट होकर जिएंगे, उतने ही अधिक स्वस्थ व निरोगी रहेंगे। इसलिए हमें चाहिए कि पर्यावरण के अनुकूल जीवन पद्धति से हम स्वयं के अंतस को भरा हरा-भरा बनाएं एवं आस-पास के वातावरण को भी। यदि हम जीव जगत, वनस्पति जगत, पर्यावरण, ऋतुचर्या आदि के साथ सामंजस्य बिठा लेंगे तो हमारा जीवन निखर उठेगा। डीप इकॉलाजी हमें अंदर तक सोचना सिखाती है। आज जीवनशैली की अधिकतर व्याधियां स्वाद रोग के कारण बढ़ रही हैं। फास्ट फूड कल्चर ने सब गड़बडझाला कर दिया है। हमें सोचना होगा कि हम स्वाद के लिए खाएं या स्वास्थ्य के लिए।
6. बी एक्टिव टू लिव हेल्दी
स्वस्थ रहना है तो आरामतलबी से बचें और नियमित योग व व्यायाम करें, पैदल चलें, दौड़ें या साइकिल चलाएं ताकि रोग हमसे दूर रह सकें। नियमित व्यायाम शरीर को साध लेता है, मांसपेशियां मजबूत बनाता है एवं हार्मोन्स, एन्जाइम्स के संतुलित स्राव से भोजन सही से पचता है और हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।
7. अंडरस्टैंड दि जॉय ऑफ सर्विस
निस्वार्थ सेवा को महत्व समझें और अपने भीतर सबके प्रति आत्मीयतापूर्ण सेवाभाव विकसित करना सीखें। इससे हमें औरों की सद्भावना भी मिलेगी एवं आत्मसंतोष भी। घर में मां-बाप की देखभाल करें। जो बूढ़े और अकेले हैं, अपनी छुट्टी के दिन कुछ समय उनके लिए भी रखें। अस्पताल जाएं। हो सकता है वहां कई लोग आपकी प्रतीक्षा कर रहे हों। गरीब कामगारों की बस्ती, अनाथालयों में भी आपकी जरूरत है। मंदिर साफ कीजिए, अनाथों को सहारा दीजिए एवं गंदी बस्ती में स्वालंबन, स्वच्छता का क्रम बनाइए। यकीन मानिए जो आत्मिक सुख मिलेगा, वह शब्दों में बयान नहीं हो सकता।
8. हेल्दी एजिंग
बूढ़े हों तो शान के साथ। आप आज से ही अपने बुढ़ापे की तैयारी कर लीजिए और जो उम्र के उस दौर में पहंच गये हैं, उन्हें भी हेल्दी एजिंग यानी गौरवपूर्ण बुढ़ापे के के सूत्र दीजिए। उन्हें बताइए कि रिटायरमेंट के बाद घर परिवार पर बोझ बने बिना किस तरह अपने अनुभवों की पूंजी से समाज को लाभान्वित किया जा सकता है। सांसारिक बंधनों से मुक्त कैसे हो, ध्यान व योग साधना से इसका अभ्यास हर सीनियर सिटिजन करे तो वह तनाव मुक्त सुंदर जीवन आराम से जी सकता है।
9. होलिस्टिक हेल्थ मैनेजमेंट
होलिस्टिक हेल्थ मैनेजमेंट यानी समग्र स्वास्थ्य प्रबंधन का अर्थ है ऐसी सर्वांगपूर्ण चिकित्सा व्यवस्था जिसका मकसद हमारे सम्पूर्ण स्वास्थ्य यानी फिजिकल, मेंटल और स्प्रीचुअल हेल्थ सभी को पूर्ण रूप से दुरुस्त रखना। समग्र स्वास्थ्य प्रबंधन के तहत सभी चिकित्सा प्रणालियों का समन्वय कर रोगी को श्रेष्ठतम सेवा प्रदान की जाती है। चिकित्सा की यह आधुनिकतम विधि आज तेजी से लोकप्रिय हो रही है। ऐसे चिकित्सकों के संगठन मरीजों में जागरूकता भी फैलाते हैं एवं डॉक्टरों को गलत कदम उठाने से बचाते भी हैं। इसके तहत उपयोग में लायी जाने वाली वनौषधि चिकित्सा, जैविक चिकित्सा, पंचकर्म चिकित्सा, आहार चिकित्सा, प्राणिक हीलिंग, मर्म चिकित्सा व ध्यान चिकित्सा आदि विधियां आज बहुत तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।