सर्जिकल स्ट्राइल के एक साल, भरतीय सेना — देश के रीयल हीरो को सलाम
भरतीय सेना पर गर्व करने के लिए हम भारतीयों के पास बहुत कुछ। देश की सीमाओं की सुरक्षा के अलावा देश में प्राकृतिक आपदाओं से चुटकियों में निपटने वाली हमारी भारतीय
लखनऊ : भरतीय सेना पर गर्व करने के लिए हम भारतीयों के पास बहुत कुछ। देश की सीमाओं की सुरक्षा के अलावा देश में प्राकृतिक आपदाओं से चुटकियों में निपटने वाली हमारी भारतीय सेंना ने सीमा पार आतंकवाद की तमाम कोशिशों को नाकाम कर दिया। उन्ही कोशिशों एक सर्जिकल स्ट्राइल भी थी। आज यानी 29 सितबंर 2016 को भारतीय सेना ने आतंकीप्रशिक्षण शिविरों को जमींदोज कर दिया था। इस गंभीर कारवाई में भारतीय सेना के जवानों को कोई नुकसान नहीं हुआ।भारतीय सेना के इस हौसले के कारनामें को देख कर विश्वसमुदाय में उसकी प्रसशां हुई। देशवासियों से सेना द्वारा दिया गया वादा भारतीय सेनिकों ने सहजता से पूरा कर दिखया। सर्जिकल स्ट्राइल के बाद से सीमा पार आतंक की कहानी को करारा जबाब मिला।
आज के ठीक एक साल पहले उरी हमले के हमले के ठीक 10वें दिन भारतीय सेना के 150 जवानों का स्पेशल दस्ता LOC में 3 किलोमीटर तक घुस गया। सेना ने 7 आतंकी ठिकाने को नष्ट कर दिया और 38 आतंकी मार गिराए। सेना ने इस स्पेशल ऑपरेशन को सर्जिकल स्ट्राइल कहा है। सेना की इस कारवाई का पाकिस्तान ने हर स्तर पर विरोध किया पर विश्व समुदाय में उसकी बातें सुनने को कोई तैयार नहीं था।
सर्जिकल स्ट्राइक की अगुवाई करने वाले मेजर ने इस पूरी घटना पर अपने अनुभव को एक किताब में समेटा। 'इंडियाज मोस्ट फीयरलेस : ट्रू स्टोरीज ऑफ मॉडर्न मिलिट्री हीरोज' शीर्षक किताब में अधिकारी को मेजर माइक टैंगो बताया गया है।किताब में बताया गया है कि हमला बहुत ठीक तरीके से और तेज़ी के साथ किया गया था, लेकिन वापसी सबसे मुश्किल काम था और दुश्मन सैनिकों की गोली कानों के पास से निकल रही थी। इस सर्जिकल स्ट्राइक के लिए घटक टुकड़ी का गठन किया गया और उसमें उन दो यूनिट के सैनिकों को शामिल किया गया, जिन्होंने अपने जवान गंवाए थे।
किताब में कहा गया है।रणनीतिक रूप से ये चालाकी से उठाया गया कदम था, अग्रिम भूमि की जानकारी उनसे बेहतर शायद ही किसी को थी। लेकिन कुछ और भी कारण थे।' उसमें साथ ही कहा गया है।उनको मिशन में शामिल करने का मकसद उरी हमलों के दोषियों के खात्मे की शुरुआत भी था। मेजर टैंगो को मिशन की अगुवाई के लिए चुना गया था।
पाक के 11000 बार सीजफायर तोड़ने की सजा है।पाकिस्तान के साल 2002 से जून 2016 तक किए गए सीजफायर उल्लंघन की घटनाओं में करीब 313 भारतीय नागरिक मारे गए हैं जबकि 144 सेना के जवान शहीद हुई हैं। सबसे ज्यादा बार सीजफायर उल्लंघन साल 2002 में ही देखने को मिला था। तब LOC पर ऐसी 8376 घटनाएं देखने को मिली थीं। 2003 में ये आंकड़ा घटकर 2045 रह गया था। पाकिस्तान के मुताबिक भिम्बर, हॉटस्प्रिंग केल और लिपा सेक्टर के पास इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया था।
भारतीय सेना के इस कदम से पूरे देश में सेना के प्रतििवश्वास बढ़ा गया और देश में गांवों गांवों से सेना को बधाइयां मिलने लगी । पूरके देश में जश्न का माहौल बनगया था। उस समय भारतीय सेना हीरो थी । हर तरफ सेना के चर्चे से दिन रात बीत रहे थे। सेना की इस कदम से आतंको मुहं की खनी पड़ी और आतंकियों को अपने इरादे बदलने पड़े। वो यह यह समझ चुके थे कि अब भारतीय सेना किसी तरह से बर्दाश्त नहीं करेगी। सीमा पार आतंकी संगठनों छिपने के लिए जगह मिलनी दूभर हो गयी थी।
पड़ोसी देश के हुक्मरान खिसियाते हुए बयान जारी कर रहे थे। उनको लग रहा था कि उनके हाथ से बाजी निकल गयी और हमारे हर कदम का हमें सख्ती से मिलेगा। देश के अंदर देश वासियों के हौसले उफान पर थे। वह भारती सेना को अपने रीयल हीरों की तरह देख रहे। सेना के इस कदम से सीमा पार के धुसपैठियों को पाकिस्तान के दूसरे इलाकोंं में शरण लेनी पड़ी। वो एकदम से डत्रर गए थे। आज जब सर्जिकल स्ट्राइक की पहली सालगिरह है तो देश की सेना को ढेर सारी शुभकामनाएं। सेना सीमा पर चौकसी करती है तभी हम आप वेखौफ जीवन जीते है।