कुर्सी के करीब तक पहुंच गए, और इस तरह DGP बनते बनते रह गए ओपी सिंह
कभी आदमी का शौक उस पर कितना भारी पड़ जाता है, इसका अहसास सूबे के डीजीपी की कुर्सी के करीब तक पहुंच गए ओपी सिंह को इन दिनों हो रहा होगा। उनके गाने का शौक और कभी गेस्ट हाउस कांड का पुराना मामला या फिर जेट एयरवेज की होस्टेस के विदेश डॉलर पहुं
आरबी त्रिपाठी
लखनऊ: कभी आदमी का शौक उस पर कितना भारी पड़ जाता है, इसका अहसास सूबे के डीजीपी की कुर्सी के करीब तक पहुंच गए ओपी सिंह को इन दिनों हो रहा होगा। उनके गाने का शौक और कभी गेस्ट हाउस कांड का पुराना मामला या फिर जेट एयरवेज की होस्टेस के विदेश डॉलर पहुंचाने का मामला ओपी सिंह को भुगतना पड़ गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चाहत के बावजूद वह उत्तर प्रदेश के डीजीपी की कुर्सी नहीं हासिल कर सके।
19 दिन लगातार सूबे के डीजीपी की कुर्सी ओपी सिंह को इंतजार करती रही। सीआईएसफ के डीजी ओपी सिंह का उत्तर प्रदेश के डीजीपी बनने का सपना उसी दिन चकनाचूर हो गया था जिस दिन डीजी कांफ्रेंस में देश के एक बड़े नेता ने उनके वायरल हुए गाने की तारीफ करते हुए यह भी कह दिया था कि इसे काम्लीमेंट मत मानिएगा। इस राजनेता की टेबिल से भी ओपी सिंह की फाइल को क्लियरेंस मिलना था।
केंद्रीय अभिसूचना एजेंसी ने भी ओपी सिंह की इस राह में रोड़े खड़े किए। उसकी रिपोर्ट के मुताबिक उनके डीजीपी बनने के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती गेस्ट हाउस कांड की याद को ताजा कर दलित वोटों के ध्रुवीकरण को अंजाम देने की रणनीति पर काम कर रही थीं। गेस्ट हाउस कांड में समाजवादी पार्टी के लोगों पर मायावती को जान से मारने का आरोप था। उन्हें लखनऊ का पुलिस कप्तान बने चौबीस घंटे भी नहीं हुए थे कि मायावती ने उन पर सपा की मदद करने का आरोप चस्पा कर दिया।
किसका किया किसको भरना पड़े, इसके भुक्तभोगी भी ओपी सिंह बने। जेट एयरलाइंस की एयरहोस्टेस खाने की ट्रे में डॉलर भारत से हांगकांग ले जा रही थी। पूछताछ में उसने बताया कि वह यह काम छह महीने से कर रही थी। उस समय एयरपोर्ट की सुरक्षा का जिम्मा भी ओपी सिंह के पास था। हालांकि इस मामले से उनका लेना देना था नहीं था लेकिन यह बात ऐसे समय उजागर हुई, जब ओपी सिंह को इसकी कीमत चुकानी पड़ गई।