रैलियों में अव्वल नतीजों में फिसड्डी अखिलेश, मोदी के जलवे से यूपी में हुआ केसरिया श्री गणेश
यूपी विधानसभा चुनाव-2017 के लिए सभी दलों ने ‘करो या मरो’ की तर्ज पर जोरदार प्रचार अभियान चलाया। सभी दलों ने प्रचार के लिए बाकायदा स्टार प्रचारकों की लिस्ट बना रखी थी और ये स्टार प्रचारक अपनी पार्टी के पक्ष में मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए प्रचार अभियान के दौरान पूरी ताकत झोंके रहे थे।
लखनऊ: यूपी विधानसभा चुनाव-2017 के लिए सभी दलों ने ‘करो या मरो’ की तर्ज पर जोरदार प्रचार अभियान चलाया। सभी दलों ने प्रचार के लिए बाकायदा स्टार प्रचारकों की लिस्ट बना रखी थी और ये स्टार प्रचारक अपनी पार्टी के पक्ष में मतदाताओं का समर्थन हासिल करने के लिए प्रचार अभियान के दौरान पूरी ताकत झोंके रहे थे।
प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में इन स्टार प्रचारकों ने जनसभाओं में अपने विरोधियों पर जोरदार हमला बोला। स्टार प्रचारकों में भी ज्यादा भीड़ प्रमुख नेताओं की सभाओं में ही उमड़ी। मीडिया में खास तौर पर बीजेपी की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, पार्टी के नेशनल प्रेसिडेंट अमित शाह, यूपी बीजेपी प्रेसिडेंट केशव प्रसाद मौर्य और योगी आदित्यनाथ, कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी, राजबब्बर, गुलामनबी आजाद और प्रमोद तिवारी, सपा की ओर से सीएम अखिलेश यादव, डिंपल यादव, आजम खान और बसपा की ओर मायावती, नसीमुद्दीन सिद्दीकी और सतीश चंद्र मिश्र सुर्खियों में रहे।
इनमें भी सबसे ज्यादा सुर्खियां पीएम मोदी, अखिलेश यादव और मायावती ने ही बटोरी। न्यूज चैनलों ने भी इन नेताओं की सभाओं का लाइव प्रसारण किया। यूपी के चुनावी रण में सभी नेताओं ने वोटरों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
पिछले एक महीने में पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम अखिलेश यादव और अन्य नेताओं ने ताबड़तोड़ रैलियां कीं। संख्या के लिहाज से इस मामले में सबसे आगे सीएम अखिलेश यादव रहे। 225 रैलियों के साथ वे पहले नंबर पर रहे। दूसरा नंबर यूपी बीजेपी प्रेसिडेंट केशव प्रसाद मौर्य का रहा, जिन्होंने 150 सभाएं कर मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में करने का प्रयास किया।
मजे की बात तो यह है कि प्रमुख नेताओं की सभाओं में उमडऩे वाली भीड़ को देखकर कोई भी चुनाव नतीजे का अंदाजा नहीं निकाल सका क्योंकि लगभग सभी नेताओं की सभाओं में समर्थकों और आम लोगों की भारी भीड़ उमड़ी।
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अखिलेश की 36 दिन में 225 रैलियां
सीएम अखिलेश यादव ने चुनावी अभियान 24 जनवरी को सुल्तानपुर से शुरू किया था। यहां से चुनाव अभियान शुरू करने के पीछे भी एक कहानी कही जाती है। सूत्रों के मुताबिक 2012 में भी उन्होंने यहीं से चुनावी अभियान शुरू किया था जिसके बाद उन्हें सीएम की कुर्सी पाने में कामयाबी मिली। यही कारण है कि पहले चरण का चुनाव पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने के बावजूद उन्होंने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत सुलतानपुर से ही की।
अखिलेश यादव ने बीच में चार दिन छोडक़र रोज औसतन सात सभाएं कीं। 36 दिनों में 225 रैलियां कर चुके अखिलेश ने रोज लगभग ढाई-तीन घंटे हवा में ही हेलिकॉप्टर या प्राइवेट प्लेन में गुजारे। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव इस बार ज्यादा सक्रिय नहीं हुए। उन्होंने इस बार सिर्फ चार सभाएं कीं। इनमें दो सभाएं उन्होंने जसवंतनगर में अपने भाई शिवपाल सिंह यादव के लिए की।
मजे की बात तो यह है कि पूरे प्रदेश में रैलियां करने वाले अखिलेश यादव ने इस क्षेत्र में एक भी सभा नहीं की। अलबत्ता डिम्पल यादव ने यहां जरूर एक सभा की। मुलायम ने इन तीन सभाओं के अलावा अपने करीबी पारसनाथ यादव के लिए जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट पर एक सभा की।
पिछले विधानसभा चुनाव में मुलायम ने 300 से ज्यादा सभाएं कर सपा को विजयश्री दिलवाई थी। वहीं, शिवपाल यादव इस बार जसवंतनगर तक ही सीमित रहे। वे इस क्षेत्र के बाहर एक भी सभा करने के लिए नहीं निकले।
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मोदी ही रहे बीजेपी के प्रचार की धुरी
इस बार के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मीडिया में विशेष रूप से छाए रहे। उन्होंने चार फरवरी से प्रचार शुरू किया और पूरे प्रदेश में 23 सभाएं कीं। छह या सात दिन ऐसे थे जिनमें उन्होंने रोज दो सभाएं कीं। बाकी दिनों में उन्होंने औसतन एक ही सभा की। पीएम ने 11 जिलों में एक ही जगह सभा की, जबकि 6 जिलों में उन्होंने दो-दो जगह सभाएं कीं। ज्यादातर उड़ानें मोदी ने दिल्ली से ही भरीं।
प्रचार के दौरान उन्होंने रोज करीब दो से ढाई घंटे और कुल लगभग 40-45 घंटे हवा में गुजारे। पूर्वांचल की चालीस सीटों के लिए आखिरी चरण में होने वाले मतदान के लिए वे तीन दिन बनारस में ही डटे रहे। पीएम के तीन दिन बनारस में प्रचार करने को लेकर तमाम तरह बयान सामने आए। विपक्षी दलों का आरोप था कि भाजपा की खराब हालत को देखकर पीएम को बनारस में विशेष मेहनत करनी पड़ी।
वाराणसी में मोदी ने एक दिन घोषित रोड शो किया जबकि एक दिन विश्वनाथ मंदिर और कालभैरव के दर्शन के लिए जाते समय उन्होंने अघोषित रोड शो किया। इस दौरान उन्होंने तीन जनसभाएं टाउनहाल के मैदान, काशी विद्यापीठ और रोहनिया में की।
उन्होंने डीरेका मैदान में काशी के प्रबुद्धजनों के साथ बैठक भी की। उनके अलावा प्रमुख नेताओं में पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह, राजनाथ सिंह, केशव प्रसाद मौर्य, मनोज सिन्हा, मनोज तिवारी, कलराज मिश्रा और योगी आदित्यनाथ ने भाजपा के पक्ष में चुनावी माहौल बनाने का प्रयास किया।
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मायावती ने 52 सभाएं कर बसपा की हवा बनाई
बसपा में चुनाव प्रचार की बड़ी जिम्मेदारी पार्टी सुप्रीमो मायावती के कंधों पर ही थी। मायावती ही पार्टी के प्रचार का केंद्र बिंदु थीं और पार्टी में सबसे ज्यादा उन्हीं की सभाओं की ही मांग थी। मायावती ने प्रदेश के विभिन्न इलाकों में कुल 52 सभाएं कीं और करीब 55 घंटे हवा में गुजारे।
मायावती ने औसतन दो सभाएं रोज कीं। इन सभाओं के जरिए ही उन्होंने बीजेप और सपा-कांग्रेस गठबंधन पर जोरदार हमला बोला। भाषण की तैयारी वह पहले ही करके आती थीं और उन्होंने इन सभाओं में लिखित भाषण ही पड़ा।
एक फरवरी से प्रचार शुरू कर उन्होंने करीब 27 दिन औसतन दो घंटे रोज हवा में गुजारे। मायावती के अलावा पार्टी के दो अन्य नेताओं सतीशचंद्र मिश्र और नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने धुंआधार प्रचार कर हवा का रुख बसपा के पक्ष में मोडऩे की कोशिश की।