कविता: ओंठों पर मुस्कान, दिल में आँसू के सागर हैं

Update:2018-06-22 16:28 IST

दिल में आँसू के सागर हैं

ओंठों पर मुस्कान धरी है

 

सबसे आगे हो जाने की

बस जीवन में होड़ मची है

सुबह शाम के सोपानों ने

टेढ़ी मेढ़ी कथा रची है

 

काँटों पर बैठे फूलों के

चेहरों पर उजास बिखरी है

 

कोलाहल है जगर मगर है

भीड़ भाड़ है यहाँ शहर में

दो जोड़ी बूढ़ी आँखों में

खालीपन पसरा है घर में

आशंकाओं की साँसों में

अन्दर तक उम्मीद भरी है

 

मगर हो सके तो सचमुच में

तन से मन से तुम खुश रहना

दुख की धूप तेज होगी, पर

उसको भी तुम हँस कर सहना

 

पैरों में बबूल के कांटे?

देखो आगे मौलसिरी है

डॉ. प्रदीप शुक्ल

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