रोम: ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि क्रिसमस अब बाजारवाद और सामानों की चमक-दमक का शिकार बनकर रह गया है। क्रिसमस की पूर्व संध्या पर वेटिकन में दिए अपने भाषण में पोप ने कहा, कि 'लोग बाजार और खरीददारी में इतने अंधे हो गए हैं कि उन्हें भूखों और जरूरतमंदों का ख्याल भी नहीं आता है।
क्रिसमस के मौके पर वेटिकन में करीब 10,000 लोगों की भीड़ जमा हुई, जिसे संबोधित करते हुए पोप ने ये बातें कही। पोप ने साफ कहा, 'दुनियादारी ने क्रिसमस को जैसे बंधक बना लिया है। हमें क्रिसमस को बाजारवाद के चंगुल से निकालना होगा।'
उन्हें याद करें जो तकलीफ में हैं
अपने संबोधन में पोप फ्रांसिस ने युद्ध प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों की तकलीफों का जिक्र किया। पोप ने कहा, 'क्रिसमस के बहाने उन सब लोगों को याद करना चाहिए जो तकलीफ में हैं। खासतौर पर ऐसे बच्चों के बारे में सोचना चाहिए जो अपने माता-पिता के प्यार के साए में आराम से नहीं जी पा रहे। ऐसे बच्चे जो कि बमबारी से बचने के लिए भूमिगत ठिकानों में दुबके हुए हैं या फिर किसी बड़े शहर की फुटपाथ पर ठोकर खा रहे हैं।'
शरणार्थियों की दिक्कतों का भी जिक्र किया
पोप ने अपने भाषण में शरणार्थियों की तकलीफों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'क्रिसमस पर हमें उन लोगों और बच्चों के बारे में सोचना चाहिए जो शरणार्थियों से ठसाठस भरी नाव में नीचे की ओर ठुंसे और कुचले हुए हैं।'
अब विनम्रता सीखें
गौरतलब है कि पोप फ्रांसिस का यह चौथा क्रिसमस भाषण था। आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया में तक़रीबन 1 अरब 20 करोड़ ईसाई हैं। पोप ने आगे कहा, दुनिया उपहारों, त्योहार की चमक-दमक और अपने बारे में सोचने की आदत की शिकार हो गई है। लोगों को अब विनम्रता सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अमीरों को याद दिलाना पड़ता है कि क्रिसमस विनम्रता और सादगी का संदेश देने वाला त्योहार है।
क्रिसमस ने ली दावत की शक्ल
अपने भाषण के दौरान पोप ने कहा, 'अगर हम पारंपरिक तौर पर क्रिसमस मनाना चाहते हैं, तो हमें एक नवजात बच्चे की तरह सामान्य और सादगी से भरा होना होगा। सादगी में ही भगवान है।' पोप ने आगे कहा, 'अब क्रिसमस एक दावत की शक्ल में बदल गया है। इस दावत में हमारा जोर हमारी अपनी खुशियों पर होता है। जब बाजार की रोशनी हम पर हावी हो जाती है और हमारा ध्यान उपहारों पर ज्यादा होता है।