रियो डी जेनेरोः ओलंपिक बैडमिंटन के महिला सिंगल्स के फाइनल में पहुंचीं शटलर पीवी सिंधु ने देश को पहला स्वर्ण पदक दिलाने के लिए जी-जान लगाने का ऐलान कर दिया है। सिंधु को आज शाम दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी कैरोलिना मारिन से मुकाबला करना है।
मारिन को हराना बड़ी चुनौती
सिंधु के सामने मारिन हैं, जो दुनिया की नंबर एक खिलाड़ी हैं। मारिन ने गुरुवार को ओलंपिक की दो बार की गोल्ड विजेता चीन की ली जुरुई को हराया। जुरुई पिछले ओलंपिक की स्वर्ण विजेता थीं। इस तरह मारिन को हराना सिंधु के लिए बड़ी चुनौती होगी। फिर भी फाइनल में पहुंचकर सिंधु के हौसले बुलंद हैं और बुलंद हौसलों के साथ कोर्ट में उतरकर वह करिश्मा कर सकती हैं।
सायना से इस मायने में अलग है सिंधु की जीत
बता दें कि लंदन में 2012 में हुए पिछले ओलंपिक खेलों में बैडमिंटन सिंगल्स में सायन नेहवाल ने भारत के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता था। उस जीत से सिंधु की जीत इस लिहाज से भी अलग है कि सायना जहां सेमीफाइनल में हारकर तीसरे-चौथे स्थान के लिए मैच जीतने के बाद ब्रॉन्ज जीती थीं, वहीं सिंधु ने भारत के लिए कम से कम सिल्वर मेडल पक्का कर लिया है।
विरासत में मिला खेल
पीवी सिंधु को बैडमिंटन का खेल अपने पैरेंट्स से विरासत में मिला है। उनके पिता पीवी रमन्ना और मां पी. विजया दोनों ही वॉलीबॉल के खिलाड़ी रहे हैं। उनके पिता सिंधु की तरह अर्जुन अवॉर्ड भी हासिल कर चुके हैं। महज आठ साल की उम्र में बैडमिंटन का रैकेट थामने वाली पीवी सिंधु का करियर ग्राफ पुलेला गोपीचंद की बैडमिंटन एकेडमी में जुड़ने के बाद से लगातार ऊपर गया है।
इन ईवेंट्स में जीते हैं मेडल
सिंधु ने सार्क गेम्स, एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल हासिल किए हैं। वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में वह दो बार ब्रॉन्ज मेडल जीत चुकी हैं। अब ओलंपिक का मेडल भी उन्हें मिलना तय हो गया है। देखना बस ये है कि सिंधु सिल्वर मेडल हासिल करती हैं या कैरोलिना को हराकर पोडियम में सबसे ऊपर खड़े होकर मेडल सेरेमनी में भारत का राष्ट्रगान बजवाती हैं।