कविता : असली कवि की पहचान, श्रोताओं में पाए मान, यदि न सुनना चाहे कोई...

Update: 2018-01-27 13:35 GMT

असली कवि की यह पहचान,

श्रोताओं में पाए मान,

यदि न सुनना चाहे कोई,

धर पकड़ का भी रखे ज्ञान,

कविता जिसकी मन को छूती,

निज जीवन से मिलती-जुलती,

अंतस को प्रतिबिंबित करती,

करुना रस की वर्षा करती,

कभी-कभी वह बहुत रुलाती,

पेट पकड़ कर कभी हंसाती,

कभी पेंटर के ब्रुश जैसी,

प्रकृति के सुंदर चित्र बनाती

या वो प्रभु का साथ कराती,

निस्स्सारता की याद दिलाती,

मानव सेवा ही प्रभु सेवा

यिशु का संदेश सुनाती

कवि है औघड़ फक्कड़ दानी

सबकी पीड़ा अपनी मानी,

उसका दुखड़ा इसकी जुबानी,

कलम थाम कर सही कहानी

- नीलिमा गर्ग

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