अस्पताल से ट्रेन तक, सियासत से फिल्म तक सब हवा-हवा समझ मे नहीं आ रहा अर्जुन कपूर का शुक्रिया अदा करूं या मीका सिंह का प्रकृति कक्कड़ का करूं या इलियाना डीक्रूज का... वैसे हसन जहांगीर की तारीफ तो सबसे पहले करना चाह रहा था लेकिन वो पाकिस्तानी गायक हैं, डर लग रहा है कि पता नहीं कौन खफा हो जाए। दरअसल बड़े-बड़े विद्वानों, शायरों, कवियों ने मुझे कन्फ्यूज़ करने के सिवा कुछ नही किया। बड़े बुजुर्गों ने भी कहा कि अपने पांव जमीन रखना चाहिए, हवा में नहीं। बस क्या, मुझको भी लगा कि ये कोई गाना है।
आज अफसोस हो रहा है कि इतने बेहतरीन गाने को मै हवाई क्यों समझता रहा। अब मुझको लगता है कि इस गाने की आइडियोलॉजी पर जितने लोग बढ़ें होंगे, आज तरक्की की ऊंचे सोपान पर होंगे। सोचिये न अगर गाना बेहतरीन न होता तो इसको रिमिक्स कर दोबारा क्यों पेश किया जाता। पेश कर भी दिया तो सुनता कौन। यूट्यूब पर झांका तो पता चला पचास मिलियन से ज्यादा लोग इस गाने को सुन चुके हैं। तो मान लिया कि मुझे न लिरिक्स की समझ है और न मौसिकी की।
जिन्होंने हवाबाजी की फिलोसफी समझी, वो हवाई जहाज से हवा में उड़ रहे हैं। जो नहीं समझे वो ट्रेन में हैं। और ट्रेनों का हाल ये है कि कैफियत एक्सप्रेस से लेकर कलिंग उत्कल एक्सप्रेस तक सुरक्षा के इंतजाम हवा-हवा हैं। अब आशिक भी अपनी महबूबा को मर्दानगी दिखाने के लिए कह देते हैं- देखो जानू तुमसे मिलने के लिए मैंने अपनी जान की भी परवाह नहीं की, ट्रेन से आया हूं। उधर मरीज कह रहे हैं हमें पूरी हवा से क्या मतलब हमें तो हवा से अपने हिस्से की ऑक्सीजन चाहिए। तो गोरखपुर के एक अस्पताल में जांच चल रही हैं कि मरीजों के हिस्से की ऑक्सीजन कौन खींच गया।
राजनीति की बात करें तो अपने लालूजी ही कुछ दिन तक हवा ही में थे। इधर नितीश बाबू बीजेपी के साथ उड़ लिए। अर्जुन कपूर को देखिये हवा-हवा क्या हिट हुआ, वो भी उडऩे लगे। अब पब्लिक पूछ रही है कि बताओ दोनों अर्जुन कपूर में से किसने ज्यादा खराब एक्टिंग की है। ये सुनकर अर्जुन के पापा बोनी कपूर और नयी मम्मी श्रीदेवी न नाराज हो जाएं। अमा जाने दो मैं कुछ नहीं कहूंगा सिर्फ इसके सिवा कि हवा में रहें या न रहें लेकिन हवा के रुख पर नजर जरूर रखिये।