दुर्गेश पार्थसारथी
अमृतसर: पंजाब में 19 मई को अंतिम चरण में चुनाव होना है। २३ अप्रैल को नामांकन होने हैं लेकिन कुछ चर्चित सीटों पर कांग्रेस, शिअद और भाजपा अपने उम्मीदवार तय नहीं कर पाई है। इन हॉट सीटों में फीरोजपुर और बठिंडा शामिल हैं। ये दोनों अकालियों की परंपरागत सीट मानी जाती है। बठिंडा से अभी केंद्रीय मंत्री हरसीमरत कौर बादल सांसद हैं। हरसीमरत ने 2014 के लोकसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंद्र को भारी अंतर से हराया था। माना जा रहा है कि इस बार भी बठिंडा से हरसीमरत कौर बादल ही मैदान में होंगी।
पंजाब में लोकसभा चुनाव को लेकर जहां शिरोमणि अकाली दल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अपने-अपने सूरमाओं को समर में उतार दिया है वहीं भाजपा अपना प्रत्याशी तक तय नहीं कर पा रही है। पंजाब में लोकसभा की १३ सीटें हैं। भाजपा अपने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल (बादल) के साथ मिल कर तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है, शेष 10 सीटों पर अकाली दल के उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
आपसी खींचतान में फंसी भाजपा
2014 के लोक सभा चुनाव में अमृतसर और उप चुनाव में गुरदासपुर की सीट गंवाने वाली भाजपा के सामने इस समय दोहरी चुनौतियां हैं। पहली यह कि अमृतसर, गुरदासपुर और होशियापुर की सीट दोबारा भगवा लहराना और दूसरी सबसे बड़ी चुनौती अंदरूनी कलह को खत्म कर जिताऊ प्रत्याशी मैदान में उतारना। अमृतसर में पूर्व मंत्री अनिल जोशी, प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सभा सदस्य श्वेत मलिक और राजिंदर मोहन सिंह छीना के बीच पेंच फंसा हुआ है। वहीं होशियारपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री विजय सांपला और सोमनाथ कैंथ के बीच पेंच है। पार्टी तय नहीं कर पा रही कि किसे टिकट दे। सबसे बड़ा सवाल गुरदासपुर सीट को लेकर है। यहां से विनोद खन्ना ने कांग्रेस के दिग्गजों को हरा कर जीत की हैट्रिक लगाई थी।
हालांकि विनोद वह एक बार कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह बाजवा से चुनाव हारे भी थे। विनोद खन्ना के निधन के बाद इस सीट पर हुए उप चुनाव में कांग्रेस सुनील जाखड़ ने भाजपा प्रत्याशी स्वर्ण सलारिया को हराया था।
2019 में चुनाव में भाजपा के सामने सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि वह विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना को मैदान में उतारती है तो सलारिया खेमा नाराज होगा और सलारिया को उतारती है कविता की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा। कयास लगाया जा रहा है कि पार्टी कविता या उनके बेटे अक्षय खन्ना को गुरदासपुर से उतार सकती है।
आप को भगवंत पर भरोसा
आम आदमी पार्टी भी गुरदासपुर और होशियारपुर को छोड़ सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है। पार्टी ने संगरूर से भगवंत मान पर एक बार फिर भरोसा जताया है लेकिन खडूरसाहिब लोकसभा सीट से मंजिंदर सिंह को टिकट दे कर विवादों में घिर गई है। मंजिंदर सिंह पर एक दलित लडक़ी से मारपीट करने के आरोप हैं और वह इस केस में पुलिस स्टेशन से लेकर कोर्ट तक के चक्कर लगा चुके हैं। अब पीडि़त परिवार के साथ-साथ विरोधी भी मोर्चा खोले हुए हैं।
झूठों की सरकार : सुखबीर
अपनी रैलियों में शिअद प्रधान सुखबीर बादल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर वादों को पूरा न करने का आरोप लगाते हैं। वह यह भी कहते हैं कांग्रेस द्वारा गैंगस्टर्स को पार्टी में शामिल कर खतरनाक राजनीति का संकेत है। वह कैप्टन को झूठों की सरकार का मुखिया बताते हुए आरोप लगाते हैं विधानसभा चुनाव में कैप्टन ने कसम खाई थी कि पंजाब को नशा मुक्त करेंगे, घर-घर नौकरी देंगे, किसानों का कर्ज तक माफ करने की घोषणा की थी लेकिन पिछले ढाई सालों में एक भी वादा पूरा नहीं हुआ।
कांग्रेस भी हमलावर
दूसरी तरफ कांग्रेस भी शिअद पर हमलावर होने लगी है। कांग्रेस नेता अपनी रैलियों बादल को श्री गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी का दोषी बता कर घेरने की कोशिश कर रहे हैं। गुरुग्रंथ साहिब मसले को लेकर पिछले दिनों अकाली दल दो फाड़ हो गया। शिअद के सांसद रहे रंजीत सिंह ब्रह्मपुरा अकालीदल टकसाली नाम से अपनी अलग पार्टी बना कर चुनाव मैदान में डटे हैं। इसके अलावा इसी मामले को लेकर कई बड़े नेता भी शिअद से नाराज चल रहे हंै। 2017 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी और सूबे में बढ़ रहे नशे को मुद्दा बनाया था।
सिद्धू ने हरसिमरत को दी चुनौती
नवजोत सिंह सिद्धू की पत्नी डा. नवजोत कौर सिद्धू ने केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल को अमृतसर से चुनाव लडऩे की चुनौती दे डाली है। डा. नवजोत खुद चंडीगढ़ से टिकट मिलने की उम्मीद लगाए बैठीं थी और खुद को यहां कांग्रेस प्रत्याशी बता कर प्रचार भी करना शुरू कर दिया था लेकिन पार्टी नेतृत्व ने सुरेश बंसल पर भरोसा जताया। डा. सिद्धू ने हरसिमरत को यहां तक कह डाला कि यदि दम है तो वह बठिंडा छोड़ अमृतसर से चुनाव लड़ें, उनकी जमानत जब्त करवा दूंगी। अमृतसर से कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह औजला मैदान में हैं।
16 साल बाद वोट डालेंगी ताहिरा मकबूल
16 साल बाद वोट डालना कोई बड़ी बात नहीं है, जो चर्चा में आए लेकिन यह इसलिए चर्चा में है एक पाकिस्तानी महिला अपनी शादी के 16 बरस बाद भारतीय तोकतंत्र के इस महापर्व का हिस्सा बनेगी। गुरदासपुर जिले के कादियां कस्बे के अहमदिया मोहल्ले में रहने वाली ताहिरा मूल रूप से पाकिस्तान के फैसलाबाद की रहने वाली है। इनकी शादी 2003 में कादियां के मकबूल अमद से हुई थी। बताया जाता है मकबूल के वालिद सियालकोट (पाकिस्तान) से 1947 में भारत के कादियां में बस गए थे। ताहिरा और मकबूल की तीन संतानें हैं। शादी के बाद 2003 में ताहिरा को 8 माह का वीजा मिला था। उसके बाद उसे एक-एक साल का वीजा मिलता रहा।
2011 में स्थाई नागरिकता लेने के लिए उसने वीजा अप्लाई किया, लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा होने में पूरे पांच साल का वक्त लग गया। अब वह खुश है कि देर से ही सही उसे नई सरकार के गठन में सहभागिता निभाने का मौका तो मिला। ताहीरा ने उन पाकिस्तानी परिवारों की भी मदद की है, जिनके बच्चों की शादियां भारत में हुई हैं। सियालकोट की रहने वाली किरण की शादी कुछ माह पहले हरियाणा तेपला गांव निवासी परविंदर से हुई। इस मामले में भी किरण को 45 दिनों का वीजा मिला। इस बात की जानकारी जब ताहीरा और उसके पति मकबूल को हुई तो उन्होंने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह स्थाई वीजा दिलवाने की मांग की।