लखनऊः उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव आलोक रंजन के रिटायर होने का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा है। इस पद की दौड़ में शामिल अधिकारी राजनीतिक आकाओं के चक्कर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यही नहीं उठापटक के इस दौर में एक दूसरे पर कीचड़ उछालने में भी गुरेज नहीं किया जा रहा है।
ऐसे ही एक अधिकारी हैं 1979 बैच के आईएएस जो पहले से ही मुख्य सचिव की कुर्सी पर नजर लगाये हैं। यह तो खैर स्वाभाविक भी है लेकिन ये अधिकारी महोदय थोडा आगे निकल गए और वर्तमान मुख्य सचिव के एक मामले में शिकायत करने पीएमओ पहुंच गए। यह बात दूसरी है कि वहां से उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। जब उन्हें बताया गया कि इस मामले पर कोर्ट पहले ही बोल चुका है। आपकी चिंता की कोई आवश्यकता नहीं हैं।
उनका मकसद इतना था कि आलोक रंजन को अगर एक्सटेंशन मिल रहा हो तो न मिले। इनका डर भी वाजिब है क्योंकि वर्तमान मुख्य सचिव की सभी वर्गों में लोकप्रियता देखते हुए ऐसा लग भी रहा है कि सरकार ही उनको एक्सटेंशन दिलवाना चाहेगी। ऐसे सूरत में इन अधिकारी के हाथ से अंतिम मौका भी निकल सकता है।
अब एक और अधिकारी हैं जो इनसे जूनियर हैं और किसी भी अधिकारी के लिए कैसी भी भाषा का इस्तेमाल कर देते हैं। हालांकि उनसे प्रसन्न रहने वालों की लिस्ट बेहद छोटी है। यही कारण था कि जब कृषि उत्पादन आयुक्त (APC) बनने का मौका आया था तो उन्हें बनाया नहीं गया। वह सोच रहे थे APC बन जाने के बाद मुख्य सचिव का पद आसान हो जाता है। बहरहाल वह भी दौड़ में शामिल हैं और बाकी अधिकारिओं के बारे में उल्टी सीधी टिप्पणी करने से बाज नहीं आते हैं।
जैसे जैसे ३१ मार्च यानि मुख्य सचिव की रिटायरमेंट की डेट पास आती जायेगी अधिकारिओं के चेहरे और साफ नजर आने लगेंगे।