वाह रे यूपी पुलिस: हद हो गई,अब तो मृत डॉक्टर भी बनाने लगे मेडिकल रिपोर्ट

Update:2018-10-01 17:52 IST

मेरठ: उत्तर प्रदेश पुलिस के कारनामें जितने गिनाए जाए उतने कम हैं। इन कारनामों की सूची में पुलिस का एक और कारनामा उजागर हुआ है। मामला दो साल पुराना है और इसमें चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है। इस मामले में हमले में आरोपी पक्ष ने विवेचक पर आरोप लगाए हैं कि केस में जो मेडिकल रिपोर्ट लगाई गई वो डॉक्टर की मृत्यु होने के बाद की है। मामले का खुलासा तब हुआ जब आरटीआइ से डॉक्टर का मृत्यु प्रमाण पत्र हाथ आरोपित पक्ष के हाथ लग गया। आरोपित पक्ष ने डीजीपी, आइजी और जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत कर मामले की जांच की मांग की है।

थाना पुलिस द्वारा वादी से मिलकर मृतक डॉक्टर द्वारा जारी मेडिकल रिपोर्ट केस डायरी में सब मिट करदिए जाने मामले का खुलासा होने के बाद मेडिकल छात्र-छात्रा वीडियों प्रकरण में पहले से ही बदनामी झेल रही मेरठ पुलिस महकमें हड़कंप मचा है। एसपी सिटी रणविजय सिंह का इस मामले में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट की जांच कराने के बाद कानून विदों से राय लेकर ही आगामी कार्रवाई की बात कह रहे हैं।

क्या है पूरा मामला

दरअसल,मामला टीपीनगर थाने से जुड़ा है। थाना क्षेत्र के मलियाना स्थित जसवंत मिल इंटर कॉलेज में वर्ष 2016 में कुछ छात्रओं ने शिक्षक श्रवण पर छेड़छाड़ और अश्लीलता का आरोप लगाया था। इस बात को लेकर जमकर हंगामा हुआ और मामले की शिकायत डीएम तक से हुई थी। इस घटना को लेकर शिक्षक श्रवण को दूसरी जगह अटैच कर दिया गया था, लेकिन बाद में उसने फिर से मलियाना स्कूल में तैनाती पा ली थी। इसके विरोध में स्कूल की बच्चियों व उनके अभिभावकों ने शिक्षक की पिटाई कर दी थी।

घटना के बाद श्रवण के परिजनों ने उसे 24 अक्टूबर 2016 को कंकरखेड़ा में सरधना रोड स्थित आशुतोष नर्सिग होम में भर्ती दिखाया। इस मामले में शिक्षक के भाई परविंदर ने टीपीनगर थाने में पार्षद प्रवीण राही, प्राचार्य राजेश कुमार अग्रवाल और मास्टर श्याम सुंदर को नामजद तक 10-12 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। विवेचक ने 6 दिसंबर 2016 को अस्पताल के प्रबंधक से श्रवण के इलाज संबंधी मेडिकल रिपोर्ट मांगी। अस्पताल प्रबंधन ने 8 दिसंबर को रिपोर्ट दी, जिस पर विपिन शर्मा की मुहर व हस्ताक्षर थे। इसमें श्रवण के सिर की हड्डी टूटना बताया गया था।

आरटीआइ से मिले नगर निगम के मृत्यु प्रमाण पत्र से हुई पुष्टि

मुकदमे के आरोपितों ने खोजबीन की तो पता चला कि डॉ. विपिन शर्मा की मौत सर्टिफिकेट जारी होने से आठ दिन पहले 30 नवंबर 2016 को ही हो चुकी थी। आरटीआइ से मिले नगर निगम के मृत्यु प्रमाण पत्र से इसकी पुष्टि हुई। यही नही परविंदर ने मुकदमे में लिखवाया कि वह अपने भाई श्रवण को गोदी में उठाकर ले गया था। जबकि पीड़ित ने वो फोटो उपलब्ध कराए हैं, जिसमें पिटाई की सूचना के बाद पहुंची पुलिस के साथ श्रवण अपने पैरों पर जा रहा है। अब सवाल यह है कि मेडिकल रिपोर्ट में श्रवण के सिर की हड्डी टूटना कैसे आ गया।

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