भारत की आर्थिक नीतियां जबर्दस्त, मोदी कमल के नेता : ट्रंप

Update:2017-11-11 11:41 IST

डेनांग (वियतनाम): अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एपेक (एशिया पैसिफिक इकोनोमिक को-ऑपरेशन) के मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है। उन्होंने एपेक के सालाना सम्मेलन से इतर मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) के सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत की 'असाधारण' आर्थिक प्रगति की भी सराहना की है। साथ ही एशिया-पैसिफिक के बजाय 'इंडो-पैसिफिक' की पैरोकारी कर दुनिया और क्षेत्रीय ताकतों को संदेश दिया है।

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ट्रंप एशियाई दौरे के तहत वियतनाम की पहली यात्रा पर पहुंचे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि पीएम मोदी भारत जैसे एक विशाल देश के लोगों को साथ लाने की दिशा में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं। ट्रंप के मुताबिक, एपेक से बाहर के देश भी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा, 'अर्थव्यवस्था को बाहरी दुनिया के लिए खोलने के बाद से भारत ने असाधारण विकास किया है। इससे देश में लगातार बढ़ रहे मध्य वर्ग के लिए मौकों की नई दुनिया सृजित हुई है। भारत स्वतंत्रता की 70वीं वर्षगांठ मना रहा है, जो यह दर्शाता है कि 1.3 अरब की जनसंख्या वाला देश सफल संप्रभु लोकतांत्रिक राष्ट्र है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भी है।' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत-आसियान और ईस्ट एशिया के शिखर सम्मेलनों में हिस्सा लेने के लिए रविवार को फिलीपींस रवाना होंगे। ट्रंप भी पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।

ट्रंप ने भी की 'इंडो-पैसिफिक' की पैरोकारी

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एचआर मैकमास्टर के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने भी 'इंडो-पैसिफिक' की पैरोकारी की है। यहां इंडो का तात्पर्य हिंद महासागर और पैसिफिक का प्रशांत महासागर से है। ट्रंप ने कहा, 'इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में लंबे समय से अमेरिका के साझीदार और मित्र देश रहे हैं। हाल के दशकों में क्षेत्र के विकास की कहानी उस बात को दिखाती है कि लोगों द्वारा अपने भविष्य की जिम्मेदारी खुद लेने पर क्या संभव हो सकता है।' ट्रंप द्वारा इंडो-पैसिफिक के इस्तेमाल ने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच उस चतुष्कोणीय रणनीतिक सहयोग की अटकलों को हवा दे दी है, जिसके तहत चीन के बढ़ते प्रभुत्व पर नकेल लगाने की बात कही जा रही है।

प्रभावशाली देशों का समूह है एपेक

एपेक में दुनिया के 21 प्रभावशाली देश शामिल हैं। वर्ष 1989 में अस्तित्व में आए इस संगठन में एशिया और प्रशांत क्षेत्र में आने वाले देश शामिल हैं। इसका मुख्यालय सिंगापुर में है। इन देशों का वैश्विक अर्थव्यस्था के जीडीपी में 60 फीसद तक की हिस्सेदारी है।

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