गोरखपुर: सोलहवीं लोकसभा चुनाव में महज 5 साल पहले भाजपा के राजेश पांडेय ने यूपीए सरकार में मंत्री रहे कुंवर आर.पी.एन. सिंह को करीब 85 हजार मतों से हराया तो पूरी पार्टी ने उन्हें हाथों-हाथ लिया था लेकिन बतौर सांसद राजेश पांडेय संगठन में बेअसर रहने के साथ ही अपनी सुस्त इमेज के कारण पार्टी से लेकर पब्लिक के बीच से ऑउट हो चुके हैं। राजनीति के रसूखदार परिवार से जुड़े राजेश पांडेय पिछले पांच वर्षों में कोई उल्लेखनीय काम करने में नाकाम दिखे। चीनी मिलों की बंदी, गन्ना किसानों की बदहाली और भूख से मुसहरों की मौतों को लेकर वह सवालों में घिरे रहे। नतीजतन, पार्टी ने कभी कुंवर आरपीएन सिंह के ही शार्गिद रहे विजय दूबे को उतार कर राजेश पांडेय के सियासी सफर पर ब्रेक लगा दिया है।
देश के चुनिंदा पिछड़े जिलों में शुमार कुशीनगर में गन्ना किसान, पर्यटन, रेल लाइन और भूख से मुसहरों की मौत सबसे बड़ा मुद्दा है। राजेश पांडेय ने पिछला चुनाव कुशीनगर एयरपोर्ट, पडरौना चीनी मिल और रेल लाइन के मुद्दे पर लड़ा था। कुशीनगर एयरपोर्ट का निर्माण अंतिम चरण में तो पहुंचा लेकिन उसका लोकार्पण नहीं हो सका। पडरौना चीनी मिल की नीलामी अभी तक नहीं हो सकी। वहीं कुशीनगर में रेल लाइन की सैद्धांतिक मंजूरी के बाद वित्तीय मंजूरी कराने में सांसद सफल नहीं हो सके। जानकारों का कहना है कि इन्हीं तीन कामों को पूरा कराने का दबाव बनाने और संगठन से मधुर संबंध नहीं रखने के कारण उनका टिकट काट दिया गया।
मोदी मैजिक के सहारे राजेश पांडेय ने चुनाव में फोरलेन सडक़ निर्माण व रसोई गैस के बारे में बेहतर काम करने वाले कुंवर आरपीएन सिंह को हराया था। ऐसे में उनपर विकास कार्यों को लेकर नैतिक दबाव भी था। चुनावी समय में राजेश पांडेय ने मैत्रेय परियोजना, कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट से लेकर जिला मुख्यालय तक रेलवे लाइन के मुद्दों पर लगातार आश्वासन दिया था। तीनों मुद्दों को लेकर प्रगति तो हुई है लेकिन जनता लोकार्पण के इंतजार को लंबा होता नहीं देखना चाहती है। बौद्व पर्यटन की संभावना को पंख लगाने में अहम इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लोकार्पण की उम्मीदें ट्रायल के बाद भी धूमिल हैं।
हालांकि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने बीते दिसम्बर कुशीनगर पहुंच कर चुनाव बाद हवाई सेवा शुरू कराने का दावा किया था लेकिन प्रगति देख कर साफ है कि तेजी से काम चले तो भी 6 महीने से पहले हवाई सेवा शुरू नहीं हो सकेगी। हवाई सेवा को जल्द शुरू कराने की छटपटाहट ही है कि सांसद राजेश पांडेय, देवरिया सांसद कलराज मिश्र और बेतिया के सांसद ने पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर एयरपोर्ट जल्द शुरू कराने की मांग की थी।
पहली बार संसद पहुंचे राजेश पांडेय बतौर सांसद ट्रांसपोर्ट, कल्चर एंड टूरिज्म की स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य रहे हैं। बहरहाल, पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी राजेश पांडेय के पास विकास के सवाल पर बताने को कुछ नहीं है। इसीलिए लोगों के गुस्से से बचने के लिए शीर्ष नेतृत्व ने चेहरा बदलने का दांव चला है। भाजपा ने कभी कुंवर आर.पी.एन सिंह के शार्गिद रहे विजय दूबे को मैदान में उतारा है। लोकसभा में उपस्थिति 93 फीसदी रही है। जो राष्ट्रीय औसत (80 फीसदी) और राज्य औसत (87 ) से कहीं ज्यादा है। उन्होंने संसद में 9 बहस में हिस्सा लिया है। अपने कार्यकाल के दौरान 137 सवाल पूछे हैं और 2 प्राइवेट बिल भी प्रस्तुत किए।
रेल लाइन एक बार फिर चुनावी मुद्दा
शांति, अहिंसा का संदेश देने वाली भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर आज तक रेलवे लाइन को तरस रही है। चुनावी मंच से लेकर देश के सर्वोच्च सदन में यह मुद्दा उठता रहा है लेकिन हकीकत की रेल जमीन पर अभी तक दौड़ नहीं सकी है। कुशीनगर तक रेल लाइन का मुददा 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में ही उठा था। महापरिनिर्वाण स्थली से महज 18 किमी दूर पडरौना में रेल लाइन है। थाईलैंड, जापान, कोरिया, श्रीलंका, चीन आदि दो दर्जन से अधिक देशों के सैलानियों के बड़ी संख्या यहां पहुंचने की आस रहती है लेकिन रेल की पटरी न होने से पर्यटन को अपेक्षित प्रोत्साहन नहीं मिल पा रहा है। वर्ष 2016 के केन्द्रीय बजट में गोरखपुर से कुशीनगर तक करीब 64 किमी लंबे रेललाइन के लिए 1345 करोड़ के डीपीआर को मंजूरी मिली थी। पूर्वोत्तर रेलवे को केन्द्र सरकार से वित्तीय मंजूरी का इंतजार आज भी है।
गन्ना और भूख है कुशीनगर का चुनावी मुद्दा
कभी कुशीनगर में 9 चालू चीनी मिलें समृद्धि का आधार थीं लेकिन धीरे-धीरे पांच चीनी मिलें बंद हो गईं। बंद चीनी मिलों ने करीब 25 हजार रोजगार तो छिना ही किसानों की नकदी फसल की उम्मीद पर भी ग्रहण लगा दिया। बाद में ढाढा चीनी मिल चालू हुई लेकिन छितौनी, लक्ष्मीगंज, रामकोला खेतान, पडरौना और कठकुइयां की चीनी मिलें एक-एक कर बंद होती गईं। मौजूदा समय में प्राइवेट सेक्टर की सेवरही, रामकोला पंजाब, कप्तानगंज, खड्डा और ढाढ़ा की चीनी मिलें ही पेराई कर रही हैं।
कुशीनगर में भूख, गरीबी, कुपोषण बड़ा मुद्दा रहा है। बीते वर्ष सितम्बर महीने में कुशीनगर में मुसहर टोले में सात दिनों के अंदर एक के बाद एक पांच मौतों के बाद सियासत खूब गर्म हुई।
तमाम दावों के बाद भी कुशीनगर में शौचालय, प्रधानमंत्री आवास और सौभाग्य सरीखी योजनाएं जमीन पर सफल होती नहीं दिख रही हैं। बीते वर्ष खड्डा ब्लाक के नरकहवा गांव में पीएम आवास में देरी पर मिली प्रशासन की नोटिस के बाद सदमे में आए एक किसान की मौत हो गई थी।
मुसहर टोलों तक विकास नहीं पहुंचा है। कुशीनगर के 10 ब्लाक में कुल 10247 मुसहर परिवार रहते हैं। इनकी आबादी 37296 चिह्नित है। इनमें से आवास प्राप्त मुसहरों की संख्या महज 5960 है।
त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना
परिसीमन के बाद 2009 में लोकसभा चुनाव हुआ तो कांग्रेस के रतनजीत प्रताप नारायण सिंह (आरपीएन सिंह) ने बसपा के स्वामी प्रसाद मौर्या को नजदीकी मुकाबले में हराया था। तब भाजपा से लड़े विजय दुबे तीसरे और सपा के ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी चौथे स्थान पर रहे। 2014 में भाजपा के टिकट पर उतरे राजेश पांडेय ने क्षेत्र के लिए विकास पुरुष कहे जा रहे आरपीएन सिंह को हराकर सभी को चौंका दिया।
फिलहाल सीट पर सभी प्रमुख दलों के प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। भाजपा ने कांग्रेस की टिकट पर मैदान में डटे आरपीएन सिंह के मुकाबले हिन्दू युवा वाहिनी से लेकर कांग्रेस का सफर तय करने वाले विजय दूबे को उम्मीदवार बनाया है। वहीं गठबंधन की तरफ से सपा ने पूर्व सांसद नथुनी कुशवाहा को टिकट दिया है। सपा के रणनीतिकार कुशवाहा वोटों के प्रभाव को देखते हुए टिकट दिया है लेकिन उन्हीं के पार्टी के पूर्व मंत्री राधेश्याम सिंह, बालेश्वर यादव, पूर्व मंत्री ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी के अंदरूनी विरोध का उन्हें सामना करना पड़ रहा है। फिलहाल सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र के तहत 5 विधानसभा क्षेत्र (खड्डा, पडरौना, कुशीनगर, हाटा और रामकोला) आते हैं। सभी पर भाजपा और सहयोगी दलों के विधायक हैं।
आदर्श गांव में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं
सांसद राजेश पांडेय ने नेशनल हाईवे २८ के किनारे बसे गोपालगढ़ को जब आदर्श सांसद गांव योजना के तहत विकसित करने के लिए चुना तो खूब विवाद हुआ। कहा गया कि शहर से सटे गांव के चुनाव का क्या फायदा। वह तो पहले से ही विकसित है। वर्तमान में यह गांव कुशीनगर नगर पंचायत में शामिल हो चुका है लेकिन विकास के लिए जरूरी सुविधाएं नजर नहीं आतीं। कसया तहसील से महज दो किमी दूर पर स्थित यह गांव औद्योगिक विकास से महरूम है। सडक़ें बदहाल हैं। अतिक्रमण का बोलबाला है। 494.2 हेक्टेयर एरिया वाले इस गांव से कुछ दूरी पर कई इंटर कॉलेज तथा बुद्ध पीजी कॉलेज मौजूद है। बहरहाल, करीब 5000 आबादी व 519 घरों इस आदर्श सांसद गांव में वैसी ही सुविधाएं हैं, जैसी सामान्य गांव में होती हैं। सांसद द्वारा उपलब्ध कराए गए धन से गांव के कुछ इलाकों की सडक़ें व नालियां पक्की की गईं थीं लेकिन अब नालियां टूट चुकी हैं।