आखिर मर्द ही क्यों? हम महिलाएं भी कर सकती हैं पिंडदान
परिजनों की आत्मा की शांती के लिए महिलाएं भी आगे बढ़ कर विधि विधान से पिंडदान और अन्य जरुरी कर्मकांड कर रहीं है। परिवार में किसीपरि।
कानपुर : परिजनों की आत्मा की शांति के लिए महिलाएं भी आगे बढ़ कर विधि विधान से पिंडदान और अन्य जरुरी कर्मकांड कर रहीं है। परिवार में किसी पुरुष के न होने पर वो श्राद्ध , तर्पण और पिण्डदान कर परिजनो को तृप्त करतीं है। जहां तक प्रचलन की बात है, तो अभी तक महिलांओं द्वारा यह नहीं होता था। कानपुर की एक सामाजिक संस्था ने विधिवत इसकी शुरुआत और उन महिलाओ के लिए सहारा बन गयी जिनके परिवार में पुरुष नहीं है।
इन महिलाओं का तर्क है कि जब माता गौरी को जनेऊ अर्पित किया जा सकता है और महिला या बालिका जनेऊ धारण भी कर सकती है, तो आज के पुरुष प्रधान समाज में वह अपने पूर्वजों और पुरखों का तर्पण और पिंडदान भी कर सकती है। क्योंकि नारी किसी भी रूप में पुरुष से पीछे नहीं है।
इसी मकसद को लेकर आज कानपुर के सरसैया घाट पर महिलाओं और लड़कियों ने अपने पुरखों को जहां पानी दिया वहीँ उनका श्राद्ध भी किया। युग दधिची देहदान अभियान संस्था और बेटी बचाओ अभियान संस्था के द्वारा किये गये इस आयोजन में दर्जनों महिलाओं और लड़कियों ने अपने माता पिता,भाई और अजन्मी बेटियों और पूर्वजों का श्राद्ध किया ।इस श्राद्ध और तर्पण में उन्ही महिलाओं और लड़कियों ने भाग लिया जिनके घर परिवार में श्राद्ध करने के लिए कोई भी पुरुष बचा नहीं है ।
इन महिलाओं और लड़कियों ने पूरे वैदिक रीति रिवाज और हिन्दू कर्मकांड विधान के मुताबिक़ अपने पूर्वजों और परिवारीजनों को पिंड अर्पित किये और स्नान अर्घ्य आदि देकर उनकी आत्मा की शान्ति और मुक्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। बाद में श्राद्ध करके उन्हें उनका प्रिय भोग भी अर्पित किया । इस आयोजन की यह भी विशेषता थी कि इसमें अच्छे से अच्छे और प्रतिष्ठित घरों कि महिलाओं और लड़कियों ने भी आगे आकर श्राद्ध कर्म को फलीभूत किया था ।
युग दधिची के आयोजकों का कहना है कि नारी और बेटी की महत्ता बताने के लिए संस्था हमेशा ऐसे कार्यक्रम करती रही है और आगे भी करती रहेगी ।