डॉ जे.एल.एम. कुशवाहा
हमारी प्रकृति और जीवन सकारात्मक है। हम अगर दुनिया को सकारात्मक नजरिए से देखते हैं तो उसका असर भी वैसा ही दिखता है। अगर हम दुनिया को सकारात्मक भाव से देखते हैं तो हमें सब जगह सकारात्मकता दिखाई पड़ती है। अगर नकारात्मक भाव से देखते हैं तो दुनिया वैसी दिखती है। अपना जीवन और परिवेश ठीक रखने के लिए जरूरी है कि हम अपना नजरिया ही सकारात्मक बनाएं। हमारा जीवन और हमारे कार्य अगर सकारात्मक होते हैं तो आस पास के लोग और हमारी गतिविधियों पर नजर रखने वाले लोग भी हमसे प्रेरित होते हैं। वह सीखते हैं और हमारा उदाहरण देते हैंं। इसलिए हमें खुद अपना आचरण और व्यवहार वैसा ही रखना है। अगर हम मेहनत से काम करेंगे तो हमारा परिवार, पड़ोसी, सहयोगी, साथी कर्मचारी या हमारे रिश्तेदार सब उसका अनुभव करते हुए वैसा ही आचरण करने की कोशिश करते हैं।
अहंकार त्यागें, सबको साथ लें
हमें अपने जीवन से बहुत कुछ सबक देना पड़ता है। जब आप सकारात्मकता के साथ जिएंगे, तभी नूतनता की नव-ऊ$र्जा को पूरेपन के साथ अनुभव कर पाएंगे। डर - डर के जीने वाला व्यक्ति रोज मरता है और जीवन का आनंद लेकर जीने वाला व्यक्ति रोज एक नया जीवन जीता है। अपने ‘अहं‘ को ‘हम‘ बना कर आप कामयाबी पा सकते हैं। जीवन में समस्याओं से न डरें, क्योंकि हर चीज का हल होता है, आज नहीं तो कल होता है। अपने डर को कैसे हराएं, इसके लिए भी लगातार उपाय करते रहना है।
आत्मविजयी बनें
कई बार ऐसा होता है कि हमारा काम और जीवनवृत्त ही हमारे व्यक्तित्व का विरोध करती दिखती है। यानी अपने शत्रु हम स्वयं होते हैं। इसलिए जरूरी है कि हम खुद की गलत आदतों पर विजय पाएं। आत्म विजय पहली और सर्वश्रेष्ठ विजय होती है। खुद को ना कहना सीखें। कोई भी ईंसान अपनी सभी महत्वपूर्ण लड़ाईयां अपने भीतर लड़ता है। अक्सर स्थिति को नहीं बल्कि खुद को बदलने की जरूरत होती है। सिर्फ आप ही है जो खुद को रोके हुए हैं, सिर्फ आपका डर और झिझक आपकी सफलता की राह मे बाधा बना हुआ है। जब आप अपनी सफलता की राह मे बाधक बन खड़े होंगे, तो आपकी आशाएं हमेशा अस्पष्ट होंगी और आपके डर बहुत स्पष्ट। ऐसी स्थिति में अपने अंदर के आलोचक को मुंह तोड़ जवाब दें।
अतीत से सबक लें
जिंदगी हमेशा सबक सिखाती है। ध्यान रखने की बात यह है कि हम उस पर नजर रखते हुए कुछ सीख रहे हैं या नहीं। यदि हम विचार मंथन करें, तो पता चलेगा कि नकारात्मक भावनाएं अतीत के कारण पैदा होती हैं। इसलिए अतीत को कभी अपने वर्तमान के अनुभव को नष्ट न करने दें। अतीत को मा$फ कर दें। यदि आप अपने बीते हुए समय को क्षमा नहीं कर पाएंगे तो आपका भविष्य दु:खपूर्ण हो जाएगा। इसलिए अतीत के गलत कामों पर नजर रखते हुए उससे सबक लेकर आगे बढ़ें।
अपने लिए जरूर समय निकालें
हम हमेशा अपने को व्यस्?त बताकर पूरी दिनचर्या अस्त व्यस्त रखते हैं। हम अपनी दिनचर्या की विभिन्न क्रियाओं में बेहद मशग़ूल रहते हैं। जिसके चलते हम अपने लिए सोचने और उस पर अमल करने पर गौर ही नहीं कर पाते। यही कारण है कि हम खुद को थका हुआ महसूस करते हैं। इसलिए स्वयं के लिए भी कुछ समय निकालने इससे जीवन जीने की गुणवत्ता में विकास होता है। ऐसा करने से अपना जीवन और सुखद होता है।
जिम्मेदारियों को समझें
हम यह जरूर कहते रहते हैं कि हम सारी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं लेकिन हकीकत इससे अलग होती है। हम हकीकत को समझने की कोशिश ही नहीं करते। हमारा जीवन बहुत छोटा होता है। इसमें कुछ भी स्थाई नहीं होता। आवश्यक है कि हम जीवन की क्षणभंगुरता को समझें और खुद से यह सवाल पूछें कि भला मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है? तब हमारा दायित्वबोध जागेगा और तब हम जागरूक बनेंगे। और तब हम जीवन के प्रत्येक क्षण को जीना सीख सकेंगे। आपसे और लोग भी प्रेरणा पा सकते हैं।
दूसरों की सेवा का भी अवसर निकालें
हम अपने लिए तो हमेशा काम करते हैं। अपना, अपने परिवार का और खास लोगों का ध्यान रखने की कोशिश करते हैं लेकिन दुनिया इतनी ही नहीं है। दूसरों का भी ध्यान रखना जरूरी है । खुद से ये वादा कीजिए कि आप इस दुनिया को जीने योग्य बनाएंगे। बिना किसी उम्मीद व अपेक्षा किए, अपने जीवन में दयालुता के काम करें। यकीन मानिये सेवा जीवन में शांति ला सकती है। जब आप किसी की मदद कर, उसके जीवन में कुछ राहत व सुकून लाते हैं तो आप सकारात्मक तरंगों को अपनी ओर आकॢषत करते हैं। इस तरह की सोच हर छोटे बड़े इंसान के लिए जरूरी है।
मुस्कान के साथ मिलें
आपको हर दिन यह तय करना है कि आप किसी से मनहूसियत के साथ नहीं बल्कि मुस्कान लिए हुए चेहरे से मिलेंगे। आप देखेंगे कि ऐसा करते ही आपको काफी कुछ बदला हुआ नजर आएगा। हर सुबह खुद को शीशे में देखें और हर नए दिन का एक अच्छी मुस्कान के साथ स्वागत करें। अपनी मुस्कान को सस्ता और अपने गुस्से को महंगा बनाएं। ऐसा करने से आपका जीवन सरल और शांत हो जाएगा। विचार भी अच्छे आएंगे।
ध्यान करें
जब हमारे जीवन का लक्ष्य बड़ा और महान होता है, तो बेचैनी व तनाव भी होना सामान्य है। लेकिन केवल कुछ मिनट के ध्यान व आत्मनिरीक्षण के बाद हम अपने जीवन को तनावमुक्त कर सकते हैं। सजगता, ध्यान से ही आ सकती है। जितना गहरे हम ध्यान में उतरेंगे, उतनी ही हम अपने जीवन में ऊ$र्जा व सजगता ला पाएंगे।
अध्ययन जरूर करें
हम जब कुछ पढ़ लिख जाते हैं तो समझने लगते हैं कि हम सब कुछ जान गए हैं पर हकीकत में ऐसा नहीं है। छोटे सा यह एक जीवन बहुत कुछ सीखने के लिए हर दिन सीखने और जानने के लिए बना है। भजदगी एक स्कूल की कक्षा जैसी है। जिसमें हम एक छात्र की तरह है। इस बात को हमेशा याद रखें और किसी भी इंसान को कमतर न आंकें। ज्ञान आपको कभी भी और किसी से भी मिल सकता है। हर स्थिति व हर एक व्यक्ति हमें अपने जीवन में कुछ न कुछ नया अवश्य सिखाता है। ये पूरी दुनिया ही आपकी टीचर है। जब आप हमेशा सीखने के लिए तैयार रहेंगे तो आप दूसरे को कम आंकना भी छोड़ देंगे और तब आपके जीवन में विनम्रता का उदय होगा। जब विनम्रता आएगी तो जीवन में सकारात्मक बदलाव आने लगेगा।
ईश्वर के प्रति विश्वास बनाए रखें
हम अपने जीवन में अक्सर स्वार्थी भाव में आ जाते हैं। हम भगवान को श्रेष्ठ तो मानते हैं, उसके प्रति विश्वास भी रखते हैं पर जब कभी कुछ नुकसान हुआ तो उसे ही दोष देते हैं। यह सोच सही नहीं है। ईश्वर के प्रति इंसान का प्यार और विश्वास बहुत गहरा होना चाहिए। ऐसा होने पर खुद-ब-खुद सब कुछ हमारे जीवन में घटित होने लग जाता है। खुद पर विश्वास कीजिए। भावना खुद की विफलता व मुश्किल समय में आपकी मदद कर सकती है। ध्यान रखें कि आपके हर आचरण और व्यवहार पर प्रकृति प्रतिक्रिया देती है। इसलिए हमेशा सकारात्मक रहें, ईश्वर के प्रति कृतज्ञ भाव रखें। शक्तिशाली बनें और दूसरों के लिए अनुकरणीय बनने की कोशिश करते रहें।
(लेखक वरिष्ठ चिकित्सक हैं)